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अमेरिका के लिए नया खतरा एक्यूएपी

Priya Esselborn१ अक्टूबर २०११

अल कायदा का गढ़ अब अफगानिस्तान की पहाड़ियों में नहीं यमन के अरब प्रायद्वीप में बनता दिख रहा है. अरब प्रायद्वीप में अल कायदा की शाखा एक्यूएपी हाल के सालों में इस दुर्दांत आतंकी संगठन की सबसे सक्रिय शाखा बन गई है.

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नासिर वुहैशीतस्वीर: picture-alliance/dpa

हाल के सालों में एक्यूएपी या अल कायदा अरब पेनिन्सुला पश्चिमी देशों के लिए और मध्य पूर्व में उनके हितों के लिए सबसे बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है.

एक्यूएपी इलाके के सबसे गरीब मुल्क यमन से काम करती है. इसके पूर्वी हिस्से में एक्यूएपी के संस्थापकों को छिपने की और वहां से काम करने की बेहतरीन जगह मिली है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पड़ोसी सऊदी अरब में अमेरिकी सैनिकों ने उनका रहना मुश्किल कर दिया था. वहां डंडा चला तो इन आतंकियों ने यमन की पहाड़ियों में बसेरा खोज लिया.

कहां से आया एक्यूएपी

माना जाता है कि एक्यूएपी की स्थापना 2009 में हुई. इसके लिए सऊदी अरब और यमन में काम कर रहे छोटे छोटे संगठनों को मिलाया गया. इस ग्रुप का मूल नेता नासिर वुहैशी था जो कभी मारे जा चुके अल कायदा नेता ओसामा बिन लादेन का निजी सहायक रहा.

लेकिन शुक्रवार को अमेरिकी खुफिया एजेंसी के ड्रोन हमले में मारा गया अनवर अल-अवलाकी इसका मुख्य अध्यात्मिक नेता माना जाता था. यमनी मूल का अमेरिकी नागरिक अल-अवलाकी सीआईए की संदिग्ध आतंकवादियों की सूची में था. कहा जाता है कि अल-अवलाकी ही निदाल मलिक हसन का मार्गदर्शक था. हसन ने 2009 में नवंबर में टेक्सस के फोर्ट हूड सैन्य बेस में 13 लोगों की हत्या कर दी थी.

उसके एक महीने बाद एक्यूएपी दुनियाभर की सुर्खिया में था. 2009 में क्रिसमस के मौके पर इसका एक सदस्य 23 साल का नाईजीरियाई उमर फारूक अब्दुलमुतल्लब यमन से नीदरलैंड्स होते हुए अमेरिका जा रहे एक विमान पर पकड़ा गया. फारूक के अंडरवेयर में एक बम छिपा था. लेकिन यह हमला नाकाम हो गया.

कई हमलों का जिम्मेदार

एक्यूएपी की चर्चा अक्तूबर 2010 में विमान के कार्गो में विस्फोटक भेजने के मामले में भी हुई. ब्रिटेन और दुबई के हवाई अड्डों पर अमेरिका जा रहे विमानों में ये विस्फोटक पकड़े गए. तब अल-अवलाकी ने कहा कि उसने आत्मघाती बम हमलों के लिए किसी तरह का फतवा जारी नहीं किया. उसने कहा, "अच्छा होता अगर निशाना अमेरिकी सैन्य ठिकाना होता या फिर किसी अमेरिकी सैन्य विमान को निशाना बनाया जाता." लेकिन उसने कहा कि अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाना भी गलत नहीं है क्योंकि वे अपनी सरकार के अपराधों के लिए जिम्मेदार हैं.

जिहादी आतंकी संगठनों पर नजर रखने वाले अमेरिकी गैर सरकारी संगठन इंटेलसेंटर का कहना है कि अल-अवलाकी की मौत एक्यूएपी के लिए बड़ा धक्का है और इससे संगठन की नई भर्तियां करने, लोगों को प्रेरित करने और पैसा उगाहने की कार्रवाई प्रभावित होगी.

गंभीर खतरा

अगस्त 2010 में एक्यूएपी ने कहा कि उसने एक नई सेना तैयार कर ली है जो अमेरिका के सैन्य अभियानों को रोकने का काम करेगी. इसके बाद अमेरिका ने कहा कि एक्यूएपी उसके लिए गंभीर खतरा है.

स्थापित किए जाने के कुछ ही दिन एक्यूएपी को अयमान अल जवाहिरी ने अल कायदा की छत्रछाया में बुला लिया था. और जल्दी एक्यूएपी ने यमन और विदेशों में हमलों को अंजाम देना शुरू कर दिया. लेकिन औपचारिक स्थापना से पहले भी एक्यूएपी यमन और सऊदी अरब में हुए कई हमलों की जिम्मेदारी ले चुका था. इसमें सऊदी अरब में अमेरिका के एक बेस पर हमला भी शामिल था. 2003 के इस हमले में 29 लोगों की जान गई. इसके अलावा यमन की राजधानी सना में अमेरिकी दूतावास में 2008 में हुए डबल कार धमाके में भी इसी संगठन का हाथ था.

वॉशिंगटन के सेंटर फॉर स्ट्रैटिजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज का कहना है कि यमन में चल रही राजनीतिक उथल पुथल एक्यूएपी को और ज्यादा मजबूत बनाने का काम कर सकती है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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