अमेरिका के खिलाफ एक होते रूस और चीन
६ अप्रैल २०१८चीन के नए रक्षा मंत्री जनरल वाई फेनघे ने मॉस्को के दौरे पर अमेरिका को यह चेतावनी दी. वाई ने रूसी रक्षा मंत्री सेरगेई शोईगु से मुलाकात करने के बाद कहा, "चीनी पक्ष यहां (मॉस्को) आकर अमेरिकियों को दिखा रहा है कि चीन और रूस की सेनाओं के बीच गहरे संबंध हैं." ब्रिटेन में पूर्व रूसी जासूस सेर्गेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी यूलिया को जहर दिए जाने के बाद से पश्चिम और रूस के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है. चीनी रक्षा मंत्री के मुताबिक वह रूस को समर्थन देने के इरादे से भी मॉस्को पहुंचे हैं. ब्रिटेन और अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर रासायनिक हथियार इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. रूस आरोपों का खंडन कर रहा है और ब्रिटेन से सबूत देने या माफी मांगने को कह रहा है.
वहीं दूसरी तरफ अमेरिका और चीन के बीच कारोबारी युद्ध छिड़ा हुआ है. ट्रंप के चीनी स्टील और एल्युमिनियम पर शुल्क बढ़ाने के बाद बीजिंग ने भी करीब 128 अमेरिकी आयातों पर कस्टम शुल्क बढ़ा दिया है. दोनों देश एक दूसरे की आलोचना करते हुए और कड़े कदम उठाने की चेतावनी दे रहे हैं. रूस पहुंचे चीनी रक्षा मंत्री के मुताबिक बीजिंग मॉस्को की चिंताओं को साझा करता है, "अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अहम अंतरराष्ट्रीय समस्याओं को लेकर हमारी चिताएं और नजरिया समान है."
वाई को चीनी राष्ट्रपति ने मार्च 2018 में नया रक्षा मंत्री नियुक्त किया है. चीनी राष्ट्रपति शी सेना का आधुनिकीकरण करना चाहते हैं, वह मिलिट्री को साइंस फिक्शन जैसे अत्याधुनिक युद्धों के लिए तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं. रूस भी अपनी सैन्य शक्ति बढ़ा रहा है. पुतिन पश्चिम और नाटो को चेतावनी देते हुए कह चुके हैं कि रूस ऐसी हाइपरसॉनिक मिसाइलें बनाएगा जो हर किस्म के डिफेंस सिस्टम को भेद देंगी.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग बीते साल नवंबर में द्विपक्षीय रिश्तों बेहतर करने और अंतरराष्ट्रीय मामलों में सहयोग बढ़ाने का एलान कर चुके हैं. इस साल के अंत में पुतिन चीन का दौरा भी करने वाले हैं. चौथी बार राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन चीन के सर्वोच्च अधिकारियों से मुलाकात करेंगे.
दोनों देश अमेरिका पर वैश्विक मामलों में आक्रामक रुख अख्तियार करने का आरोप भी लगा चुके हैं. बीते साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र की बैठक में रूस और चीन ने कहा कि दुनिया एक महाशक्ति के दौर से निकलकर बहुध्रुवीय ताकतों वाले युग में जा रही है.
अतीत में रूस और चीन के रिश्ते बहुत मधुर नहीं रहे हैं. लेकिन बीते एक दशक में अमेरिका की ताकत को चुनौती देने के लिए दोनों देश तेजी से करीब आए हैं. यूक्रेन के क्रीमिया संकट के दौरान जब पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए तो चीन मॉस्को के समर्थन में आ गया. उत्तर कोरिया और सीरिया जैसे मुद्दों पर भी दोनों देश अमेरिकी रुख को चुनौती देते हुए एक सुर में अपनी बात रख रहे हैं.
ओएसजे/एमजे (एपी)