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कारोबार

अभी तक भंग है आवश्यक सामान की सप्लाई चेन

चारु कार्तिकेय
३१ मार्च २०२०

दिशानिर्देशों में स्पष्टता की कमी की वजह से सामान घर पर पहुंचा देने वाली सेवाओं को ऐसा धक्का लगा है कि उन्हें वापस पटरी पर आने में और समय लगेगा. इस बीच सामान से लदे हुए तमाम ट्रक अभी भी शहरों की सीमाओं पर रुके हुए हैं.

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Indien Flipkart & Amazon
तस्वीर: Imago/ZumaPress

तीस वर्षीय सुयश आदित्य दिल्ली में अपने माता पिता के साथ रहते हैं और सामान घर पर पहुंचा देने वाली सेवाओं का काफी इस्तेमाल करते हैं. तालाबंदी के दौरान जिन जरूरी सेवाओं को चलते रहने की छूट मिली थी उनमें ऐसी सेवाएं भी थीं. इसीलिए तालाबंदी लागू होने के बाद सुयश को पूरा भरोसा था कि इन्हीं सेवाओं की मदद से वो हर तरह का सामान जरूरत के अनुसार मंगवा लेंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

उन्होंने 'फ्लिपकार्ट' के जरिए जो किराने का सामान तालाबंदी से दो दिन पहले यानि 22 मार्च को ऑनलाइन आर्डर किया था, वो अभी तक उनके घर पर नहीं पहुंचा है. 'ग्रोफर्स' की वेबसाइट पिछले कई दिनों से आर्डर स्वीकार ही नहीं कर रही है. 'बिग बास्केट' पर आर्डर करने के लिए स्लॉट बुक करना पड़ रहा है और इस वक्त वेबसाइट पर पहला स्लॉट लगभग एक महीने बाद का दिखाई दे रहा है. यही हाल कमोबेश सभी डिलीवरी सेवाओं वाली कंपनियों का है. 

तालाबंदी के शुरुआती दिनों में ही इनकी सेवाओं को लेकर सरकारी दिशानिर्देशों में स्पष्टता की कमी दिखी. आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को चलते रहने की इजाजत थी और किराने का सामान आवश्यक वस्तुओं की सूची में था. इसके बावजूद देश के कई हिस्सों में इन कंपनियों के गोदाम सील कर दिए गए. डिलीवरी करने वाले कर्मचारियों को रास्ते में पुलिस द्वारा रोका गया और कई जगह पीटा भी गया. नतीजा ये हुआ कि इनकी सेवाएं भंग हो गईं. फिर इन कंपनियों ने सरकार तक अपनी बात पहुंचाई और मामले को सुलझाने में मदद मांगी. 

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Swarup

बताया जा रहा है कि सभी राज्यों में पुलिस और प्रशासन को स्पष्ट रूप से समझा दिया गया है कि आवश्यक वस्तुएं क्या क्या हैं और उनकी आवाजाही नहीं रोकी जानी चाहिए. लेकिन स्थिति अभी भी सामान्य नहीं हुई है. ग्रोफर्स ने सोमवार 30 मार्च को ट्विटर पर बताया कि कुछ दिनों तक सेवाएं बाधित रहने की वजह से कंपनी के पास पांच लाख से भी ज्यादा पिछले आर्डरों का ढेर लग गया है. कंपनी ने यह भी बताया कि अभी उसे अपने हर गोदाम के लिए परमिट और 50 प्रतिशत डिलीवरी करने वाले कर्मचारियों के लिए पास नहीं मिले हैं. तालाबंदी की वजह से कुछ कर्मचारी अपने अपने घर भी लौट गए थे और कंपनी अब उन्हें वापस बुलाने की कोशिश कर रही है. 

ऐसा ही संदेश 'बिगबास्केट' ने भी ट्विटर के जरिए अपने ग्राहकों तक पहुंचाने की कोशिश की है. 

देखना होगा कि कितनी जल्दी इन कंपनियों की सेवाएं पटरी पर वापस आ पाती हैं. रोजमर्रा की जरूरत के सामान का उत्पादन और थोक सप्लाई भी तालाबंदी के निर्देशों में स्पष्टता की कमी से प्रभावित है. लॉकडाउन के दूसरे दिन ही सामान से लदे हुए ट्रक शहरों की सीमा पर रोक दिए गए थे.

बताया जा रहा है कि कई ट्रक अभी भी वहीं रुके हुए हैं क्योंकि उनके चालकों को अभी तक शहर में प्रवेश करने की इजाजत नहीं मिली है. स्थानीय मीडिया में आई एक रिपोर्ट के अनुसार तो कई चालक अब ट्रकों को वहीं छोड़ कर भाग गए हैं. कई ट्रकों से सामान लूटे जाने की भी खबरें आई हैं.

अगर हालात कुछ और दिनों तक ऐसे ही रहे तो देश के कई हिस्सों में खाने पीने के सामान की भी कमी हो जाएगी. ऐसे में प्रशासन के लिए हालात को संभालना और मुश्किल हो जाएगा.

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