अबु गैथ पर मुकदमा
३ मार्च २०१४सुलेमान ओसामा बिन लादेन का दामाद है और पहले उसका प्रवक्ता था. सुलेमान अबु गैथ आतंकी नेटवर्क अल कायदा का पहला नेता है जिस पर अमेरिकी अदालत में मुकदमा चल रहा है. उस पर ग्वांतानामो के सैनिक अदालत में मुकदमा चलाने के बदले न्यू यॉर्क की सिविल अदालत में मुकदमा चलाने के फैसले पर अमेरिका में भारी विवाद हुआ. रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसी ग्रैहम ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा, "हम एक मिसाल कायम कर रहे हैं जो हमें बाद में परेशान करेगा."
सैनिक अदालत की जद
ग्रैहम और दूसरे रिपब्लिकन राजनीतिज्ञ चाहते थे कि आतंकवाद के संदिग्ध पर ग्वांतानामो की सैनिक अदालत में मुकदमा चले. इसके विपरीत ह्यूमन राइट्स फर्स्ट संगठन की वकील डाफने एविएतार कहती हैं कि अमेरिकी अधिकारियों के सामने और कोई विकल्प ही नहीं था. "वे उसे सैनिक अदालत के सामने ले ही नहीं जा सकते थे. न तो साजिश और न ही आतंकवादियों की मदद के आरोप पर सैनिक अदालत में मुकदमा चल सकता है." सैनिक अदालत युद्ध अपराध के लिए जिम्मेदार हैं.
कानूनी तौर पर यह स्पष्ट नहीं है कि आतंकवाद के संदिग्धों पर सैनिक अदालत में मुकदमा चल सकता है या नहीं. इस मुकदमे में अभियोजन पक्ष ने अबु गैथ के खिलाफ आरोप लगाया है कि वह जुर्म में तथाकथित शू बॉम्बर रिचर्ड राइड का राजदार था. राइड जूते में रखे विस्फोटक की मदद से मायामी से पेरिस जा रहे विमान को उड़ाना चाहता था, लेकिन उसे समय रहते ही पकड़ लिया गया.
अबु गैथ ने 2001 में एक वीडियो में विमान हमलों के तूफान की चेतावनी दी थी. अभियोजन पक्ष इस बात का सबूत मानता है कि उसे दिसंबर 2001 के विफल कर दिए गए हमले के बारे में पता था. अबु गैथ को ओसामा बिन लादेन के साथ वीडियो संदेशों के कारण ख्याति मिली. 11 सितंबर के बाद उसने हमलों को उचित ठहराया और अमेरिका पर हमले का आह्वान किया था. सालों तक ईरान में रहने के बाद फरवरी 2013 में उसे तुर्की में गिरफ्तार किया गया और न्यू यॉर्क लाया गया.
सिविल अदालत और आतंकवाद
अमेरिका में काफी समय तक इस पर विवाद रहा है कि 2001 के आतंकी हमले के बाद पकड़े गए संदिग्धों के खिलाफ मुकदमा कहां चलाया जाए. डाफने एविएतार कहती हैं कि यह असमान्य नहीं है कि अबु गैथ पर अब सिविल अदालत में मुकदमा चलाया जा रहा है. 2001 के बाद से अमेरिकी असैनिक अदालतों ने आतंकवाद के संदिग्धों के खिलाफ 500 से ज्यादा मुकदमों का निबटारा किया है. एविएतार कहती हैं कि अब वे 9/11 के हमलों के सिलसिले में इस पहले मुकदमे में मिसाल हो सकते हैं.
न्यू यॉर्क को संदिग्ध अल कायदा आतंकवादियों का अनुभव है. 2010 में अहमद गैलानी को केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावास पर हमलों की मदद के लिए उम्र कैद की सजा सुनाई गई. उस समय मुकदमे पर नजर रखने वाली ह्यूमन राइट्स वॉच की आंद्रेया प्रासोव कहती हैं, "न्यू यॉर्क पर कोई खतरा नहीं था." वे कहती हैं कि हर बार जब आतंकवाद के संदिग्ध को ग्वांतानामो के बदले सिविल अदालत में लाया जाता है तो यह इस बात की याद दिलाता है कि यह उचित कार्रवाई है.
सैनिक अदालतों का अनुभव
सिविल अदालतों में मुकदमे की तय प्रक्रिया है लेकिन कानून विशेषज्ञों का कहना है कि इसके विपरीत सैनिक अदालतों के पास कोई अनुभव नहीं है. ह्यूमन राइट्स वॉच की अंद्रेया प्रासोव इसे नवगठित दोषपूर्ण न्यायिक प्रणाली बताती है जिसने व्यवहार में दुखद नतीजे दिखाए हैं. अब तक सैनिक अदालत में सात मामलों का निबटारा किया गया है जिनमें से ज्यादातर विवादास्पद रहे हैं. 2001 के आतंकी हमलों के बाद राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने एक सैनिक आदेश के जरिए इन अदालतों का गठन किया था, जिसका वकीलों और कुछ राजनीतिज्ञों ने भारी विरोध किया था.
ग्वांतानामो का अस्पष्ट कानूनी दर्जा अबु गैथ के मुकदमे में भी भूमिका निभा रहा है. बचाव पक्ष के वकील 9/11 के हमलों का साजिश रचने वाले संदिग्ध खालिद शेख मोहम्मद को गवाह बनाना चाहता है. लेकिन वह ग्वांतानामो में कैद है और उससे मुलाकात संभव नहीं है. अब सवाल जवाब लिखित होगा. सुरक्षा अधिकारियों के लिए यह अच्छी बात है क्योंकि वे इसे पढ़ पाएंगे. प्रासोव कहती हैं कि जब तक दोनों पक्ष सहमत हैं, इसमें बुराई नहीं है, लेकिन ऐसा इसलिए हो रहा है कि खालिद को बोलने की आजादी नहीं है. प्रासोव कहती हैं, "इस डर से कि वह उत्पीड़न के बारे में बोलेगा, जिसे अमेरिका सरकार सार्वजनिक नहीं होने देना चाहती."
रिपोर्ट: गेरो श्लीस/एमजे
संपादन: मानसी गोपालकृष्णन