धूप की लत
२५ जून २०१४अमेरिकी शहर बॉस्टन में स्थित मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल (एमजीएच) के शोधकर्ताओं का कहना है कि लंबे समय तक सूर्य की पराबैंगनी किरणें में रहने के कारण शरीर अपने भीतर मौजूद फील गुड हार्मोन को छोड़ता है. इस हार्मोन को एंडोर्फिन कहा जाता है. यह "प्राकृतिक अफीम" की तरह है जो उसी रासायनिक पथ पर काम करता है जैसे डॉक्टर द्वारा दर्द कम करने की दवा असर करती है. अमेरिका स्थित वैज्ञानिक पत्रिका सेल में छपे इस शोध के मुताबिक पैराबैंगनी विकिरण के आदी चूहों ने शारीरिक निर्भरता, सहिष्णुता और लत की तरह व्यवहार का प्रदर्शन किया.
शोध से जुड़े वरिष्ठ लेखक और एमजीएच में त्वचाविशेषज्ञ डेविड फिशर के मुताबिक, "यह आश्चर्य की बात है कि हम आनुवांशिसक रूप से योजनाबद्ध हैं, खतरनाक पैराबैंगनी विकिरण की आदी होने के लिए. शायद यह दुनिया में सबसे आम कैंसरकारी तत्व है." सूरज की किरणें विटमिन डी का बड़ा स्रोत हैं. बहुत ही कम ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनमें विटमिन डी पाया जाता है. फिशर कहते हैं, "मौजूदा समय में विटामिन डी पाने के कई सुरक्षित और भरोसेमंद स्रोत हैं, जो कैंसरकारी तत्व के बिना मिल सकते हैं. तो असली स्वास्थ्य सिद्धांत ये है कि विटामिन डी के स्रोत के लिए सीधे सूरज के संपर्क में आने से बचना चाहिए."
इस शोध में फिशर और उनकी टीम ने रोजाना चूहों को पैराबैंगनी रोशनी की खुराक दी. यह खुराक गोरी चमड़ी वाले इंसान के फ्लोरिडा की दोपहर की धूप में 20 से 30 मिनट तक संपर्क में आने के बराबर थी. चूहों की पीठ से बाल हटा दिए गए थे और उन्हें 6 हफ्तों तक यह खुराक दी गई. उन्होंने पाया कि रक्तप्रवाह में एंडोर्फिन का स्तर एक हफ्ते के भीतर ही बढ़ गया. छह हफ्ते के बाद वैज्ञानिकों ने चूहों का ऐसी दवा से उपचार किया जिसने ओपियोइड रिसेप्टर साइट को ब्लॉक कर दिया. चूहों के शरीर से अफीम तत्व की वापसी के बाद चूहों ने उत्तम लक्षण की प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिनमें सिहरन, हिलना और दांत चबाना शामिल हैं. शोधकर्ताओं ने कहा कि जहां उन्हें ड्रग दिया गया था वे उस जगह पर जाने से बचते दिखे. फिशर कहते हैं, "हमारी खोज से यह पता चलता है कि निरंतर पराबैंगनी किरणों की चाहत एक लत की तरह है. संबंधित व्यवहार से यह सुझाव मिलता है कि त्वचा कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए सक्रियता के साथ घर के भीतर स्किन टैनिंग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए."
एए/आईबी (डीपीए)