अफगानिस्तान से विदा लेती जर्मन सेना
2014 के आखिर में जर्मन सेना अफगानिस्तान से लौट आएगी. सैनिकों के अलावा हजारों टन सामान भी जर्मनी लाना है- टेंट से लेकर टैंकरों तक. एक बड़ा काम.,
हवाई जहाज से
जर्मनी के पास ऐसे कोई विमान नहीं हैं जो भारी और बड़ी गाड़ियों को ले जा सकें. इसलिए यूक्रेनी रुसी आन्तोनोव 124 विमान से इन्हें लाया जाता है. हर उड़ान में इसके 37 मीटर लंबे हिस्से में 150 टन सामान आ सकता है.
अथाह लॉजिस्टिक्स
जर्मन सेना के करीब 4,500 सैनिक, 1,700 गाड़ियां और 6,000 कंटेनर अफगानिस्तान में हैं. आईसैफ का अफगानिस्तान मिशन 2014 के आखिर में खत्म हो रहा है. इसके साथ जर्मनी आने वाले सामान में भारी हथियारों से लेकर 50 टन के टैंकर भी हैं.
तुर्की बंदरगाह
तुर्की का बंदरगाह शहर ट्राबजोन हिन्दुकुश से लौटने के लिए जर्मन सैनिकों के रास्ते में शामिल हैं. यहां से 29 जुलाई से जर्मन सेना की 200 गाड़ियां जर्मनी रवाना होंगी. उन्हें इस बंदरगाह तक पहुंचने के लिए बहुत लंबा रास्ता तय करना होगा.
एक के बाद एक
जर्मन सेना 11 से भी ज्यादा साल से अफगानिस्तान में है और वह भी उसके उत्तरी हिस्से में. इस समय बगलान प्रांत को खाली किया जा रहा है.
मिशन पर मिशन
2014 के आखिर में सभी जर्मन सैनिक घर नहीं लौट सकेंगे. जर्मनी अफगानिस्तान में पुनर्निमाण के कामों के लिए 800 सैनिक वहां रखना चाहता है.
मुख्यालय
अफगानिस्तान में लाए गए सामान का कुछ हिस्सा वहीं रहेगा. अलग किया हुआ सामान या तो बेच दिया जाएगा या फिर कबाड़ में डाल दिया जाएगा. सामान पैक करके कंटेनर में रखा जा रहा है. अभी से ही आईसैफ की गाड़ियां सामान 180 किलोमीटर दूर मजार ए शरीफ ले जा रही हैं.
मुख्य ठिकाना
अफगानिस्तान का चौथा सबसे बड़ा शहर मजार ए शरीफ सामान लाने ले जाने का अहम ठिकाना है. कैंप मारमाल के हवाई अड्डे से सारा माल विमानों में लाद दिया जाएगा. पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान के ऊपर से ये सामान अफगानिस्तान से बाहर निकलता है. पड़ोसी देश काफी अस्थिर हैं.
रख रखाव और सफाई
जानवरों से पैदा होने वाले वायरस जर्मनी नहीं पहुंचे इसके लिए गाड़ियों की बहुत अच्छे से साफ सफाई की जाती है.
सीधे जर्मनी
हथियार और तकनीकी तौर पर अहम सामान सुरक्षा कारणों से मजार ए शरीफ से सीधे जर्मनी लाया जाता है. जैसे यह टैंकर 2000.
तुर्की से
बिना हथियार वाली गाड़ियां, वायरलैस सेट्स या टैंट 3000 किलोमीटर की यात्रा कर के तुर्की के ट्राबजोन पहुंचते हैं.
जहाज से घर
ट्राबजोन में 30,000 वर्ग किलोमीटर के इलाके में 170 लोग अफगानिस्तान से आया सामान आगे भेजने का काम करते हैं. जहाज से सामान पहुंचने में दो हफ्ते लगते हैं. जहाज भूमध्यसागर, अटलांटिक और उत्तरी सागर से होते हुए जर्मनी आते हैं.