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अफगानिस्तान पर कांफ्रेंस में नहीं आएगा पाकिस्तान

२९ नवम्बर २०११

नाटो के हवाई हमले से बिफरे पाकिस्तान ने जर्मनी में होने वाले अफगान सम्मेलन का बहिष्कार करने का फैसला किया है. लाहौर में पाकिस्तान की कैबिनेट ने यह फैसला किया. एबटाबाद ऑपरेशन की भी पाकिस्तान ने आलोचना की.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

अफगान कांफ्रेंस में शामिल होने की अमेरिका की अपील ठुकराते हुए पाकिस्तान ने अफगान सम्मेलन का बहिष्कार का फैसला किया. मंगलवार को लाहौर में कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें नाटो के हवाई हमले के प्रति विरोध जताते हुए पाकिस्तान ने यह फैसला किया गया. बैठक के बाद एक सरकारी अधिकारी ने कहा, "कैबिनेट ने बॉन बैठक में शामिल न होने का फैसला किया है." अफगान कांफ्रेंस पांच दिसंबर से जर्मनी के बॉन शहर में होनी है.

नाटो के हमले के बाद पाकिस्तान एबटबाद की कार्रवाई पर भी सवाल उठा रहा है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने मंगलवार को संसद का संयुक्त सत्र बुलाने का एलान किया. राष्ट्रीय सुरक्षा की संसदीय समिति ने देश की सुरक्षा को लेकर कई सुझाव भी दिए हैं. पाकिस्तान के सभी कैबिनेट मंत्रियों ने मोहमंद और एबटाबाद की कार्रवाई को अस्वीकार्य ठहराया है. एबटाबाद में दो मई को अमेरिकी सेना ने अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराया. अमेरिका ने पाकिस्तान को सैन्य कार्रवाई की भनक तक नहीं लगने दी. बिन लादेन के मारे जाने की वजह से पाकिस्तान को काफी समय चुप रहना पड़ा, लेकिन मोहमंद में नाटो सेनाओं के हमले ने एक बार देश के सामने संप्रभुता का सवाल खड़ा कर दिया है.

पाक के साथ चीन

इस बार पाकिस्तान को चीन और रूस का समर्थन भी मिल रहा है. चीन ने पाकिस्तान के रुख का समर्थन किया है. चीन के विदेश मंत्री यांग चिएची ने कड़े शब्दों में कहा, "राष्ट्रीय आजादी, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए पाकिस्तान के कदमों का चीन दृढ़ता से समर्थन करता रहेगा." चीनी विदेश मंत्री ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार को फोन पर यह बात कही. यह पहला मौका है, जब चीन ने खुले तौर पर इस तरह का बयान दिया है. वह आम तौर पर आतंकवाद के खिलाफ युद्ध से अलग थलग रहता है.

कूटनीतिक ढंग से अमेरिका और पश्चिमी देशों पर निशाना साधते हुए चीनी विदेश मंत्री ने कहा, "देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को पाकिस्तान की आजादी, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए."

रूस भी नाराज

मंगलवार को रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावारोव ने भी पाकिस्तानी विदेश मंत्री से टेलीफोन पर बात की. लावारोव ने हमले पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में किसी देश की संप्रभुता के उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए.

नाटो के लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों ने शनिवार को मोहमंद में पाकिस्तान की दो सैन्य चौकियों पर हमला किया. नाटो के विमान और हेलीकॉप्टर पाकिस्तान की सीमा के भीतर घुसे. हमले में पाकिस्तानी सेना के 24 जवान मारे गए. 13 घायल हुए. पाकिस्तान ने इसे अपनी संप्रभुता पर आघात बता रहा है.

पाकिस्तान हमले के बाद से अमेरिका और पश्चिमी देशों से उखड़ा हुआ है. इस्लामाबाद ने नाटो की सप्लाई बंद कर दी है. नाटो के लिए रसद ले जा रहे कई ट्रक और टैंकर शनिवार से ही पाक अफगान बॉर्डर पर खड़े हैं. हमले के विरोध में चरमपंथियों ने कई ट्रकों और टैंकरों को आग के हवाले कर दिया. जान बचाने के लिए ट्रकों के ड्राइवरों को भागना पड़ा.

वहीं अमेरिका पाकिस्तान को मनाने की कोशिश कर रहा है. नाटो हमले के माफी मांग चुका है. मामले की जांच शुरू कर दी गई है. अमेरिकी अधिकारियों को उम्मीद है कि पाकिस्तान बॉन सम्मेलन में आएगा और मौजूदा तनाव कम होगा. हालांकि अमेरिकी अधिकारियों को इस बात का अंदाजा है कि इस बार हालात बहुत ज्यादा बिगड़ चुके हैं. आशंका है कि पाकिस्तान नाटो का सप्लाई रूट हमेशा के लिए बंद कर सकता है. शम्सी एयरबेस को भी अमेरिका के हाथों से हमेशा के लिए छीना जा सकता है. इतना ही नहीं, अमेरिका को डर है कि कहीं इस्लामाबाद अमेरिकी वायु सेना की उड़ान पर भी प्रतिबंध न लगा दे.

रिपोर्ट: एपी, एएफपी/ ओ सिंह

संपादन: ए जमाल

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