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अफगानिस्तान के घाव से फिर रिसा खून

१७ मार्च २०१२

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने एक अमेरिकी सैनिक द्वारा 16 लोगों की हत्या के बाद अमेरिका की आलोचना तेज कर दी है, जबकि तालिबान ने अमेरिका के साथ शांति वार्ता रोकने की घोषणा की है. अमेरिका उलझन में.

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तस्वीर: dapd

अफगान राष्ट्रपति ने आरोप लगाया है कि अमेरिकी सरकार ऐसे हमलों के बाद अफगानिस्तान के साथ सहयोग नहीं करती. उन्होंने हमले में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात के बाद कहा, "सरकार न्याय चाहती है. वह अपराधी से पूछना चाहती है कि उसने हमारे लोगों को क्यों मारा. उसे सजा मिलनी चाहिए."

एक गांव में 16 लोगों को अंधाधुंध गोली चलाकर मारने वाले 38 वर्षीय सैनिक को कैंसास के एक सैनिक अड्डे ले जाया गया है. उसके वकील ने कहा है कि उन्हें उसकी मानसिक स्वास्थ्य की चिंता है. अफगानिस्तान सरकार ने उस पर अफगानिस्तान में मुकदमा चलाने की मांग की है. करजई के साथ हुई मुलाकात में मारे गए लोगों के परिवार वालों ने संदेह व्यक्त किया है कि हत्याकांड एक आदमी की कारस्तानी है.

अमेरिकी सेनाओं द्वारा पिछले महीनों में की गई गलतियों के बाद अमेरिका और अफगानिस्तान के रिश्तों में दरार है. एक साल पहले पश्चिमी देशों में अफगानिस्तान में भ्रष्टाचार को लेकर करजई पर दबाव बनाया जा रहा था. अमेरिकी सैनिकों द्वारा निर्दोष नागरिकों की हत्या या धार्मिक ग्रंथों को जलाए जाने जैसी घटना के बाद करजई अपनी नाराजगी दिखा रहे हैं.

Treffen Karsai und Panetta in Kabul
तस्वीर: Reuters

गुस्से में आम लोग

क्रुद्ध अफगान लोग और सांसद घटना के बाद से ही हमले के लिए जिम्मेदार सैनिक पर अफगानिस्तान में मुकदमा चलाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद अमेरिकी स्टाफ सार्जेंट को देश से बाहर ले जाया गया है. करजई ने कहा, "सेना प्रमुख ने मुझे बताया है कि अमेरिका अफगान जांच टीम के साथ सहयोग नहीं कर रहा है." करजई ने भी इस संदेह को दुहराया है कि हत्याकांड एक व्यक्ति नहीं कर सकता था.

इस समय अमेरिकी और अफगान अधिकारी अलग अलग जांच कर रहे हैं. यदि जांच में एक से ज्यादा सैनिकों की भागीदारी की बात सामने आती है तो नाटो के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी. पश्चिमी देश 2014 तक अफगानिस्तान से अपनी सेनाओं को हटाना चाहते हैं, लेकिन उससे पहले उन्हें अफगान लोगों का दिल जीतना होगा. विद्रोहियों का पीछा करने वाले सैनिकों द्वारा आम लोगों की हत्या दोनों पक्षों के बीच तनाव की सबसे बड़ी वजह है.

करजई की मांग

हत्याकांड के बाद करजई ने नाटो की टुकड़ियों को गांवों से हटाकर बड़े अड्डों पर वापस बुलाने को कहा है. इसके अलावा उन्होंने योजना से एक साल पहले 2013 में ही सुरक्षा की जिम्मेदारी अफगान सैनिकों को सौंपने की मांग की है. ऐसी कोई वापसी राष्ट्रपति ओबामा की अफगान नीति को मुश्किल में डाल देगी. इतनी जल्दी अफगान सैनिकों और पुलिकर्मियों को प्रशिक्षित कर पाना भी संभव नहीं होगा.

वार्ता से दस साल के अफगानिस्तान युद्ध की समाप्ति की नाटो की उम्मीदों को तब गहरा धक्का लगा जब तालिबान ने अमेरिका के साथ शांति वार्ताओं को रोकने की घोषणा की. अमेरिका ने कहा है कि वह राजनीतिक सहमति के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन प्रगति के लिए काबुल सरकार और विद्रोहियों के बीच सहमति जरूरी है.

पिछले दिनों की घटनाओं के बाद अमेरिका और अफगानिस्तान एक दोराहे पर खड़े हैं. दोनों देशों के नेताओं के लिए बहुत ज्यादा विकल्प नहीं हैं. यदि दस साल की लड़ाई के बाद तालिबान फिर से वापस आ जाता है तो भले ही ओबामा के लिए वैसे खतरे न हों, जो करजई के लिए होंगे, लेकिन अमेरिका की सबसे लंबी लड़ाई में हार ओबामा के लिए भी चुनाव के साल में भयानक होगा.

रिपोर्ट: रॉयटर्स, एएफपी/महेश झा

संपादन: आभा मोंढे

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