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अन्ना की राह पर पाकिस्तान के अख्तर

१९ अगस्त २०११

भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी अन्ना हजारे का आंदोलन पड़ोसी मुल्कों के लिए भी प्रेरणा बन रहा है. पाकिस्तान में एक सामाजिक कार्यकर्ता ने अनशन पर बैठने का ऐलान किया है. हालांकि वह अन्ना हजारे को प्रेरणा नहीं मानते.

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तस्वीर: AP

भारत के सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे अब सिर्फ भ्रष्टाचार से लड़ने वाले एक कार्यकर्ता नहीं रह गए हैं. वह इस लड़ाई का एक प्रतीक बन गए हैं. एक ऐसा प्रतीक जिसे बाकी दुनिया के लोग भी हाथों में उठाकर अपनी लड़ाई को आवाज दे सकते हैं. पाकिस्तान के एक कार्यकर्ता ने भी इस प्रतीक को अपनी लड़ाई का आधार बना लिया है. जहांगीर अख्तर नाम के इस राजनीतिक कार्यकर्ता ने अन्ना हजारे की तर्ज पर पाकिस्तान में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई छेड़ने का ऐलान किया है.

अख्तर ने कहा है कि वह देश में फैले भ्रष्टाचार और भारी भरकम सैन्य खर्च के विरोध में भूख हड़ताल करेंगे.

कौन हैं जहांगीर अख्तर

जहांगीर अख्तर इस्लामाबाद के एक व्यापारी हैं. वह पहले भी अनशन पर बैठ चुके हैं. तब उन्होंने खराब प्रशासन को मुद्दा बनाया था. अब अपने पड़ोसी मुल्क भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी अन्ना हजारे के अनशन की तर्ज पर वह भी अपने मुल्क में वैसा ही कुछ करना चाहते हैं. हालांकि इसके लिए वह रमजान के खत्म होने का इंतजार करेंगे.

Anna Hazare Zivilrechtskämpfer Aktivist Indien
अन्ना हजारेतस्वीर: AP

अख्तर पाकिस्तान में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त कानून की मांग करेंगे. वह कहते हैं, "मेरा अभियान संसद में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बिल लाने के लिए है और सेना के बजट में कटौती के लिए."

लेकिन अख्तर कहते हैं कि अन्ना हजारे उनके आंदोलन की प्रेरणा नहीं हैं, हालांकि अन्ना हजारे के आंदोलन का वह समर्थन करते हैं. वह कहते हैं, "मैंने अपने अनशन का ऐलान अन्ना हजारे से पहले कर दिया था. लेकिन रमजान की वजह से मैंने इसे टाल दिया. पाकिस्तान में हमारा रिवाज है, मैं रमजान के दौरान पानी नहीं पी सकता." अब अख्तर 12 सितंबर से अपना अनशन शुरू करेंगे.

पाकिस्तान में हालात खराब

भारत और पाकिस्तान की राजनीतिक व्यवस्था करीब करीब एक जैसी है. एक ही देश के दो हिस्से होने के बाद बने भारत और पाकिस्तान में यह व्यवस्था सदियों लंबे ब्रिटिश राज से आई है. लेकिन आजादी के 64 साल बाद दोनों देशों की स्थिति में अंतर है. पाकिस्तान पर आधे से ज्यादा वक्त तक सेना ने राज किया है. और वहां सेना अब भी राजनैतिक व्यवस्था पर हावी है. देश के कुल बजट का एक चौथाई हिस्सा सेना पर खर्च होता है जबकि स्वास्थ्य सुविधाओं और शिक्षा पर खर्च दो फीसदी से भी कम है.

अख्तर कहते हैं, "पाकिस्तान एक विकासशील देश है. हमारे देश में भ्रष्टाचार और सेना का बजट दो सबसे अहम समस्याएं हैं."

अख्तर को उम्मीद है कि उनका आंदोलन लोगों का ध्यान इस कदर अपनी ओर खींचने में कामयाब होगा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून बनाने के लिए नेशनल असेंबली में बिल लाया जाएगा. साथ ही सेना के बजट से पैसा कम करके ऐसी जगहों पर खर्च किया जाएगा जो लोगों की जिंदगी को सीधा प्रभावित करते हैं. मसलन पाकिस्तान का बिजली क्षेत्र जो इस वक्त चरमरा चुका है.

दुनियाभर के भ्रष्ट देशों की सूची में पाकिस्तान का नंबर काफी ऊपर आता है. अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने 2010 में उसे दुनिया का 34वां सबसे भ्रष्ट देश बताया था. लेकिन अख्तर मानते हैं कि हालात इससे भी ज्यादा खराब हैं. वह कहते हैं, "पाकिस्तान की स्थिति तो अब बहुत ज्यादा खराब हो चुकी है. यहां आर्थिक संकट है. आतंकवाद है. राजनैतिक अस्थिरता है. ऐसी बहुत सी समस्याएं हैं जिनका असर हमारे समाज पर हो रहा है. मैं सिर्फ यह दिखाना और कहना चाहता हूं कि पाकिस्तान में भी आम आदमी के पास ताकत है."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः आभा एम

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