अग्नि-2 मिसाइल का ख़ास टेस्ट विफल
२३ नवम्बर २००९उड़ीसा के बालासोर टेस्टिंग सेंटर में शाम ढलने के साथ ही अग्नि- दो का परीक्षण किया गया. वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश में थे कि अंधेरे में अग्नि-दो मिसाइल की मारक क्षमता कितनी अचूक होती है. लेकिन रिपोर्टों के मुताबिक परीक्षण में कामयाबी नहीं मिली. परीक्षण के दौरान उच्च श्रेणी के कई राडारों का इस्तेमाल किया जा रहा था और इन्हीं के ज़रिए पता चला कि मिसाइल अपने निर्धारित रुट से डगमगाते हुए भटक गई है.
मिशन से जुड़े वैज्ञानिक अब असफलता के कारणों का पता लगा रहे हैं. वैसे परमाणु हथियार ढोने में सक्षम अग्नि-दो मिसाइल का रात में परीक्षण नवंबर की शुरुआत में ही होना था लेकिन तकनीकी कारणों से इसे दो हफ्ते तक टालना पड़ा. वैज्ञानिकों को आशंका है कि शायद मिसाइल के टेंपरेचर बैलेंसिंग पाथ सिस्टम में कोई कमी रह गई हो सकती है.
अग्नि दो मिसाइल की मारक क्षमता 2,000 किलोमीटर तक है. सतह से सतह पर मार करने वाली ये मिसाइल 3,000 किलोमीटर तक भी मार कर सकती है. वैसे अग्नि श्रेणी की मिसाइलों के दिन में किए गए परीक्षण अब तक सफल रहे हैं. लेकिन दिन और रात के तापमान में भारी फर्क होता है. दिन में जहां वायुमंडल धरती की तुलना में ज़्यादा ठंडा रहता है वहीं रात में स्थिति बदलने लगती है. इसी वजह से मिसाइलों के दिन और रात के परीक्षणों में बड़ा अंतर होता है.
अग्नि मिसाइल को बनाने में पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का बड़ा योगदान रहा है. उनके मार्गदर्शन में बनी अग्नि और पृथ्वी श्रेणी की मिसाइलों की गिनती दुनिया की सबसे सटीक हमलावर मिसाइलों में की जाती है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: एस जोशी