1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अंधकार से निकला म्यांमार का मीडिया

२० अगस्त २०१२

पहले न तो गाना सुन सकते थे. न सरकार की आलोचना कर सकते थे. और तो और परियों की कहानी सुनाने पर भी प्रतिबंध था लेकिन अब ऐसा नहीं है. 47 साल बाद वक्त की ताकत के आगे सैनिक तनाशाही की लगाम कमजोर पड़ी और मीडिया स्वतंत्र हो गया.

https://p.dw.com/p/15tJi
तस्वीर: dapd

पांच दशक तक सेना के शासन में रहने वाले म्यांमार ने मीडिया पर प्रतिबंध समाप्त कर दिया गया है. पत्रकार बिरादरी जश्न मना रही है. मीडिया की सेंसरशिप को समाप्त करना उन सुधारों की फेहरिस्त का ही एक अध्याय है जो पिछले कुछ साल से म्यांमार में चल रहे हैं. मार्च 2011 से ऐसे सुधारों में तेजी आई. करीब डेढ़ साल पहले सेना ने देश का शासन राजनेताओं को सौंपने का फैसला किया.

अब मीडिया को स्वतंत्र करने के के फैसले से उदारवादी नीतियों को आगे बढ़ाया है. नाम न छापने की शर्त पर रंगून से निकलने वाले एक साप्ताहिक के संपादक ने कहा, "म्यांमार के सभी पत्रकारों के लिए यह बहुत अहम दिन है. राष्ट्रपति थेन सेन के नेतृत्व में देश की उन्नति का यह एक और अहम सबूत है."

म्यांमार सरकार के इस फैसले के बाद पत्रकारों की स्थिति में सुधार की उम्मीद है. अब तक म्यांमार में पत्रकारों को बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता था. पहले रिपोर्ट छापने के लिए सरकार की अनुमति लेनी आवश्यक थी. अब राजनीतिक और धार्मिक मामलों से संबंधित रिपोर्ट को भी छापने के लिए किसी इजाजत की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह नियम इसी सोमवार से लागू किया गया है.

Journalisten protestieren in Yangon Stop killing press
आजादी की मांगतस्वीर: Reuters

म्यांमार सरकार के प्रेस स्क्रूटनी और रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट के प्रमुख टिन्ट स्वे ने कहा, "अब स्थानीय अखबारों को उनकी रिपोर्ट को सेंसरशिप बोर्ड के पास भेजने की जरूरत नहीं है." म्यांमार में मीडिया पर सेंसरशिप 6 अगस्त 1964 को लागू की गई.

हालांकि फिल्मों को अभी पूरी तरह से प्रतिबंध के दायरे से बाहर नहीं किया गया है, लेकिन इस फैसले के बाद से अखबारों के न्यूजरूम में तो पत्रकार राहत की सांस ले रहे हैं. सेवन डेज न्यूज के कार्यकारी संपादक नेन नेन नैंग कहते हैं, "एक पत्रकार के तौर पर मैं बहुत खुश हूं. अब हमें अपनी स्टोरी को स्क्रूटनी बोर्ड के पास नहीं भेजना होगा. हम कई साल से इसकी वजह से परेशान थे. अब यह समाप्त हो गया है."

मीडिया सुधार के तहत सिर्फ सेंसरशिप ही नहीं समाप्त की गई है बल्कि कई पत्रकारों को जेल से रिहा भी किया गया है. पत्रकारों के साथ साथ राजनीतिक कैदियों को भी रिहा किया गया है. बर्मा के नाम से भी जाने जाने वाले म्यांमार में सुधार की प्रकिया पिछले काफी समय से चल रही थी. पिछले साल ही नियमों में कुछ ढील दी गई थी लेकिन अब 80 राजनीतिक और छह धार्मिक प्रकाशनों को भी प्रतिबंध से पूरी तरह से मुक्त कर दिया गया है. हालांकि सरकार ने मीडिया को संवेदनशील खबरों पर स्वविवेक का इस्तेमाल करने की सलाह दी है.

Myanmar Thein Sein und Thailand Yingluck Shinawatra
राष्ट्रपति थेन सेनतस्वीर: Reuters

म्यांमार में केवल राजनीतिक ही नहीं आर्थिक सुधार भी हो रहे हैं. बीते एक दशक से वहां विकास दर सात-आठ फीसदी बनी हुई है. तेज विकास के साथ अक्सर मंहगाई भी लगी रहती है. लेकिन म्यांमार से महंगाई दर को सफलता से चार फीसदी पर रोका है.

अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों में ढील के बाद अब देश में विदेशी निवेश भी हो रहा है. एक अनुमान के मुताबिक अगर सुधारों की गति इसी तरह से चलती रही तो 2030 तक इस देश की प्रति व्यक्ति आय में तीन गुना की बढ़ोत्तरी हो जाएगी. म्यांमार को फिलहाल गरीब देशों में गिना जाता है लेकिन एशियाई विकास बैंक ने दक्षिण पूर्व एशिया के इस देश को अब एशिया का उभरता सितारा कह रहा है.

वीडी/ओएसजे (रॉयटर्स, एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें