अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग में बड़ा घपला, घेरे में कई बड़े बैंक
२१ सितम्बर २०२०बजफीड न्यूज और अंतरराष्ट्रीय खोजी पत्रकारों के संघ (आईसीआईजे) की जांच कहती हैं, "नशीले पदार्थों को लेकर छिड़े युद्ध से होने वाला मुनाफा, विकासशील देशों में बड़े गबन और फर्जी निवेश स्कीमों के जरिए लोगों से ठगी गई उनकी मेहनत की गाढ़ी कमाई से हासिल पैसों को इन बैंकों ने खूब इधर से उधर चलाया, जबकि खुद उनके कर्मचारी ऐसा ना करने के लिए चेतावनियां देते रहे."
इस जांच में भारत से इंडियन एक्सप्रेस समेत 88 देशों के 108 अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान शामिल हैं. अमेरिका के वित्त मंत्रालय की वित्तीय कानून प्रवर्तन एजेंसी फिंकसीईएन को दुनिया भर की बैकों ने संदिग्ध गतिविधियों की जो हजारों रिपोर्टें सौंपीं, उनमें से लीक कुछ रिपोर्टों को इस जांच में आधार बनाया गया है.
अमेरिकी मीडिया संस्थान बजफीड न्यूज ने रिपोर्ट की भूमिका में लिखा है, "ये दस्तावेज बैंकों ने तैयार किए और सरकारों के साथ साझा किए गए, लेकिन इन्हें आम लोगों से दूर रखा जाता है. इनसे पता चलता है कि बैकिंग सिस्टम के सुरक्षा उपाय कितने खोखले हैं और अपराधी कितनी आसानी से उनका फायदा उठा सकते हैं." ये दस्तावेज 1999 से 2017 के बीच दो ट्रिलियन डॉलर के लेन देन से जुड़े हैं. फिंकसीईएन के लीक दस्तावेज सबसे पहले बजफीड न्यूज को मिले जिन्हें बाद में आईसीआईजे के साथ साझा किया गया.
इस जांच में जो पांच बैंक सबसे ज्यादा घेरे में हैं, उनमें जेपीमॉर्गन चेस, एचएसबीसी, स्टैंडर्ड चार्टर्ड, डॉयचे बैंक और बैंक ऑफ न्यूयॉर्क मेलन शामिल हैं. इन बैंकों पर आरोप है कि उन्होंने वित्तीय अपराधों में दोषी करार दिए लोगों के पैसों के लेन देने की खुली छूट दी.
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सबसे ऊपर डॉयचे बैंक
जर्मनी के सबसे बड़े बैंक डॉयचे बैंक के लिए घपले और विवाद कोई नई बात नहीं हैं. लेकिन फिंकसीईएन की लीक हुई फाइलों से पता चलता है कि बैंक को इस बात की जानकारी थी कि वह एक ट्रिलियन डॉलर की रकम का संदिग्ध लेन देन कर रहा है. जितनी भी लेन देने की संदिग्ध गतिविधियों का पता लीक दस्तावेजों से चलता है, उनमें से 62 प्रतिशत के लिए डॉयचे बैंक को जिम्मेदार बताया गया है. डॉयचे बैंक का कहना है कि आईसीआईजे ने जो रहस्योद्घाटन किया है, उसके बारे में उसके नियामकों को "अच्छी तरह" पता है और बैंक "अपने नियंत्रण को मजबूत करने के लिए" काम कर रहा है.
यह पहला मौका नहीं है जब डॉयचे बैंक पर संदिग्ध पैसे के ट्रांसफर के आरोप लगे हैं. 2015 में वह अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करने के लिए 25.8 करोड़ डॉलर का जुर्माना देने को तैयार हुआ. उस वक्त अमेरिका और न्यूयॉर्क के बैंक नियामकों ने पाया था कि डॉयचे बैंक ने 1999 से 2006 के बीच ईरानी, लीबियाई, सीरियाई, बर्मी और सूडानी वित्तीय संस्थानों की तरफ से 10.9 अरब डॉलर ट्रांसफर किए जबकि इन देशों पर अमेरिका के प्रतिबंध थे.
फिंकसीईएन के दस्तावेज दिखाते हैं कि डॉयचे बैंक ने भारी जुर्माना चुकाने के बाद भी ऐसी गतिविधियां छोड़ी नहीं. ताजा मामलों में ईरानी-तुर्क मूल के सोने के व्यापारी जेरा जराब के मामले का खास तौर से जिक्र किया जा रहा है. जराब ने 2017 में अमेरिकी संघीय अदालत में इस आरोप को कबूल किया कि उसने अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने के लिए ईरान की मदद की थी. लेकिन डॉयचे बैंक की अमेरिकी शाखा डॉयचे बैंक ट्रस्ट कंपनी अमेरिकाज (टीसीए) की तरफ से मार्च 2017 में फिनसीएएन को सौंपी गई संदिग्ध गतिविधि रिपोर्ट कहती है कि जराब से जुड़ी एक कंपनी के नाम पर 2.8 करोड़ डॉलर की रकम ट्रांसफर की गई है.
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भारत पर असर
इंडियन एक्सप्रेस ने इन दस्तावेजों पर आधारित अपनी रिपोर्ट में भारत से जुड़े पहलुओं को उभारा है. अखबार के मुताबिक फिनसीईएन के दस्तावेज बताते हैं कि भगौड़े अपराधी दाउद इब्राहिम का फाइनेंसर बताया जाने वाला पाकिस्तानी नागरिक अल्ताफ कनानी कैसे मनी लॉन्ड्रिंग का नेटवर्क चलाता है.
संदिग्ध गतिविधि रिपोर्ट कहती है कि कनानी के मनी लॉन्ड्रिंग संगठन (एमएलो) और अल जरूनी एक्सचेंज के बीच बरसों तक लेन देन होता रहा है. अनुमान है कि नशीली दवाओं का कारोबार करने वालों और अल कायदा, हिज्बोल्लाह और तालिबान जैसे आतंकवादी संगठनों को हर साल 14 से 16 अरब डॉलर की रकम ट्रांसफर की गई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और कनानी के बीच संबंध अमेरिकी विदेशी पूंजी नियंत्रण कार्यालय (ओएफएसी) के दस्तावेजों में दर्ज हैं.
ओएफएसी ने इस बात को भी माना है कि लश्कर ए तोइबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों को कनानी आर्थिक मदद देता था. कनानी को 11 सितंबर 2015 को पनामा एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद उसे मियामी की जेल में भेज दिया गया. उसकी हिरासत जुलाई 2020 में खत्म हो गई और उसे प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी इमिग्रेशन अधिकारियों को सौंपा जाना था. यह साफ नहीं है कि उसे पाकिस्तान भेजा गया या फिर यूएई.
रिपोर्ट: पेलिन उंकर (एएफपी और इंडियन एक्सप्रेस के इनपुट के साथ)
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