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समाज

कांगो में खसरे से छह हजार से ज्यादा बच्चों की मौत

८ जनवरी २०२०

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक डीआरसी कांगो में फैले घातक वायरस से अब तक इबोला से तीन गुना ज्यादा लोगों की जान चली गई है. हालांकि टीके से इस वायरस से बचा जा सकता है. लेकिन धन की कमी इस काम को मुश्किल बना रही है.

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DR Kongo 2016 | Impfung gegen Masern in Otjiwarongo
तस्वीर: Imago Images/Xinhua Afrika

विश्व स्वास्थ्य संगठन की अफ्रीका यूनिट के मुताबिक कांगो में खसरा को महामारी घोषित कर दिया गया है. इससे मरने वालों की संख्या छह हजार के भी पार हो गई है. दुनिया में खसरा फिलहाल सबसे तेजी से फैलने वाली बीमारी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कुपोषण, फंड की कमी और टीकाकरण पर कम ध्यान देना इस महामारी को खत्म करने में बाधा बन रहे हैं.

2019 से अब तक मध्य अफ्रीका में 31 हजार खसरे के केस दर्ज किए गए हैं. इसे रोकने के लिए स्वास्थ्य संगठन ने सरकार के साथ मिलकर कदम उठाए हैं, जिसके तहत पांच साल से कम उम्र के एक करोड़ 80 हजार बच्चों को टीका लगाया गया है.

हालांकि दूरदराज के क्षेत्रों में टीकाकरण नहीं होने के कारण पांच साल से अधिक उम्र के 25 प्रतिशत बच्चे खसरे से पीड़ित हैं. कांगो में फैला आतंकवाद खसरे को और पनाह दे रहा है. उन इलाकों में हालात और भी खराब हैं. स्वास्थ्य संगठन ने रिपोर्ट में कहा है कि छह से 14 साल तक के चार करोड़ बच्चों के लिए लगातार छह महीने टीकाकरण अभियान से असर दिखेगा. अफ्रीका के विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर डॉक्टर मात्शिडिटो कहते हैं, "हम इस महामारी को रोकने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि कोई भी बच्चा इस बीमारी से ग्रसित ना हो."

Symbolbild Ausnahmezustand - Masernausbruch
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Wenig

क्यों खतरनाक है खसरा

खसरे का वायरस हवा में 2 घंटे तक जीवित रहता है. खसरा संक्रामक बीमारी इस वजह से भी है क्योंकि अगर कोई खसरा पीड़ित व्यक्ति खांसे या छींके तो हवा में उसका वायरस 2 घंटे तक मौजूद रहता है. अगर कोई स्वस्थ बच्चा खसरे के वायरस से प्रदूषित हवा के संपर्क में आ जाए या सांस ले, तो भी वह वायरस से ग्रसित हो सकता है. इस वायरस की वजह से बच्चे निमोनिया के शिकार हो सकते हैं. खतरा ज्यादा बढ़ने पर बच्चे हमेशा के लिए अपंग हो सकते हैं या उनकी मौत भी हो सकती है.

खसरे से हुई मौतें इबोला वायरस से तीन गुना ज्यादा हैं. हालांकि इबोला वायरस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा तवज्जो मिली थी. खासतौर पर नवंबर में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर हमले के बाद. स्वास्थ्य संगठन में काम करने वाले अमिडी प्रोस्पर कहते हैं, "कांगो में हजारों परिवार इस महामारी से जूझ रहे हैं. इसे लोगों की जिंदगी से हटाना वक्त की जरूरत है. पैसों के बिना इस लक्ष्य को हासिल करना मुमकिन नहीं हो पाएगा." भारत ने इस साल तक खसरा मुक्त होने का लक्ष्य रखा है. हाल ही में खसरा पर जारी रिपोर्ट बताती है कि भारत में 2018 में 56,399 मामले दर्ज हुए हैं.

एसबी/आरपी (एपी, डीपीए)