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समाजभारत

हांफ चुकी धरती 8 अरब इंसानों को कैसे पालेगी?

११ जुलाई २०२२

भारत दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बनने जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 15 नवंबर 2022 को दुनिया की जनसंख्या आठ अरब का आंकड़ा पार कर लेगी.

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भारत
तस्वीर: imagebroker/imago stock&people

वर्ल्ड पॉपुलेशन क्लॉक के मुताबिक इस वक्त दुनिया की आबादी 7.96 अरब है. इसमें चार करोड़ लोग और जुड़ते ही, ग्लोबल आबादी 8 अरब हो जाएगी.  संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 15 नवंबर 2022 तक ऐसा हो जाएगा. जनसंख्या पर आई यूएन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में भारत चीन की पीछे कर दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा.

यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस कहते हैं, "यह इस बात का रिमाइंडर है कि हमें अपने ग्रह की हिफाजत की साझा जिम्मेदारी लेनी है और यह पल बता रहा है कि हम एक दूसरे के प्रति अपनी वचनबद्धता को लेकर पिछड़ रहे हैं." यूएन के मुताबिक 1950 के बाद पहली बार वैश्विक जनसंख्या में सबसे कम रफ्तार से वृद्धि देखी जा रही है.

वैश्विक जनसंख्या के इस रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का दबाव सीधे तौर पर प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ेगा. आबादी जितनी बढ़ेगी, उसी अनुपात में भोजन, आवास और ऊर्जा की मांग भी ऊपर जाएगी. जलवायु परिवर्तन से जुड़े आंकड़े बता रहे हैं कि बीते 50 साल में इंसानी आबादी ने अंधाधुंध तरीके से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया है.

धरती पर इंसानी आबादी सिर्फ 8 अरब पर नहीं रुकेगी. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2050 तक वैश्विक आबादी 9.7 अरब हो जाएगी. 2080 के दशक में  पृथ्वी पर 10.4 अरब इंसान होंगे. सन 2100 से आबादी बढ़नी बंद होने लगेगी. हो सकता है कि उसके बाद यह कम भी होने लगे.

वैश्विक आबादी बढ़ने के पीछे प्रजनन दर के अलावा और भी कई फैक्टर हैं. आर्थिक समृद्धि के चलते कई देशों में प्रसव के दौरान होने वाली मौतें घटी हैं. दवाओं और स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता के कारण कई देशों में औसत आयु बढ़ रही हैं.

विकसित देशों के बाद अब कई विकासशील देशों में जन्मदर में गिरावट आने लगी है. यूएन की रिपोर्ट में कुछ एशियाई और अफ्रीकी देशों के लिए चेतावनी भी छुपी है. आने वाले दशकों में दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी आठ देशों में रहेगी. इन देशों में भारत, पाकिस्तान, फिलीपींस, मिस्र, डीआर कॉन्गो, इथियोपिया, नाइजीरिया और तंजानिया शामिल हैं. क्षेत्रफल के लिहाज से इन आठ देशों का कुल भूभाग अकेले रूस से भी छोटा है.

प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर नजर रखने के लिए दुनिया में हर साल अर्थ ओवरशूट डे निकाला जाता है. यह दिन बताता है कि हर वर्ष कितनी तेजी से साल भर में इस्तेमाल किए जाने वाले प्राकृतिक संसाधन खत्म हुए हैं. 2005 से लगातार ओवरशूट डे जुलाई और अगस्त में आ रहा है.

ओएसजे/एडी (एएफपी)