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अर्थव्यवस्थास्विट्जरलैंड

'वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम' की मीटिंग में क्या है भारत का अजेंडा

रजत शर्मा
१६ जनवरी २०२३

स्विट्जरलैंड के दावोस में 'वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम' की 53वीं सालाना बैठक आज 16 जनवरी से शुरू हो गई है. इस साल का अजेंडा "बिखरी दुनिया में आपसी सहयोग है."

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WWF Davos 2023 Auftakt
तस्वीर: Dursun Aydemir/AA/picture alliance

16 से 20 जनवरी तक चलने वाले इस आयोजन में 130 देशों की करीब 2,700 हस्तियों के शामिल होने की उम्मीद है. इनमें जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स, यूरोपीय कमीशन की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लायन, यूरोपीय संसद के अध्यक्ष रोबेर्टा मेटसोला, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल, स्पेन के प्रधानमंत्री पेद्रो सांशेज, फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मरीन समेत 52 देशों के राष्ट्राध्यक्षों के शामिल होने की संभावना है. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा को भी दावोस आना था, लेकिन देश में चल रहे बिजली संकट के मद्देनजर वह अब नहीं पहुंचेंगे.

इस बार विकसित देशों के संगठन जी7 में से सिर्फ जर्मनी के चांसलर ही दावोस जा रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन खुद इस मीटिंग में शामिल नहीं होंगे. जलवायु के लिए बाइडेन की ओर से नियुक्त किए गए विशेष राजदूत जॉन कैरी इस बार दावोस पहुंच रहे हैं. इसके अलावा बाइडेन प्रशासन में इंटेलिजेंस और वाणिज्य से जुड़े कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटारेस, नाटो के महासचिव येंस स्टोल्टेनबेर्ग और विश्व स्वास्थ्य संगठन के महासचिव टेड्रोस एधानोम घेब्रेयसस भी दावोस में होंगे. इसके अलावा माइक्रोसॉफ्ट, ऊबर, फाइजर, सऊदी अरामको जैसी विश्व की करीब 600 बड़ी कंपनियों के प्रमुख भी बैठक में हिस्सा लेंगे.

स्विट्जरलैंड के इस दावोस कॉन्ग्रेस सेंटर में 'वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम' के कुछ कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
स्विट्जरलैंड के इस दावोस कॉन्ग्रेस सेंटर में 'वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम' के कुछ कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.तस्वीर: Markus Schreiber/picture alliance

भारत से कौन-कौन शामिल हो रहा

वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम के शेड्यूल और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत के चार केंद्रीय मंत्री और तीन राज्यों के मुख्यमंत्री दावोस पहुंच सकते हैं. केंद्रीय रेल और इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव, महिला एवं शिशु विकास मंत्री स्मृति ईरानी, ऊर्जा मंत्री आरके सिंह और स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के दावोस पहुंचने की उम्मीद है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस बोम्मई भी बैठक में शिरकत करेंगे.

सरकार के अलावा व्यापार जगत की हस्तियां भी दावोस में दिखेंगी. उद्योगपति मुकेश अंबानी, गौतम अडानी, टाटा समूह के प्रमुख एन चंद्रशेखरन, कुमार मंगलम बिड़ला, अदार पूनावाला, सुनील भारती मित्तल, सज्जन जिंदल और संजीव बजाज फोरम में हिस्सा लेंगे.

भारत इस साल जी20 की अध्यक्षता भी कर रहा है. भारत के जी20 शेरपा बनाए गए नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अमिताभ कांत और इंटरनेशनल सोलर अलायंस के महासचिव अजय माथुर भी इस बैठक में हिस्सा लेंगे.

(2021 में मोदी का संबोधन: मोदी की वैश्विक कंपनियों से निवेश की अपील)

अजेंडा क्या रहेगा

वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम की यह बैठक वैश्विक महंगाई, ऊर्जा संकट, यूक्रेन युद्ध और चीन में फिर से बढ़ते कोविड के बीच हो रही है. फोरम के विस्तृत कार्यक्रम को देखकर यही लगता है कि महंगाई, ऊर्जा संकट और चीन में बढ़ते कोविड के मामले बातचीत का बड़ा मुद्दा बने रहेंगे. हालांकि, फोरम के संस्थापक और प्रमुख क्लाउस शवाब ने कहा, "आर्थिक, सामाजिक, भू-राजनीतिक और पर्यावरणीय संकट एक साथ मिलते दिख रहे हैं, जो बहुत विविध और अनिश्चित भविष्य बना रहे हैं. दावोस की वार्षिक मीटिंग में हम सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि नेता संकट वाली मानसिकता में फंसे ना रह जाएं."

वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम के संस्थापक क्लाउस शवाब.
वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम के संस्थापक क्लाउस शवाब.तस्वीर: Laurent Gillieron/KEYSTONE/picture alliance

इस बैठक में भारत खुद को आपसी अंतरराष्ट्रीय सहयोग और कारोबार के लिहाज से भरोसेमंद देश के तौर पर पेश करेगा. 16 से 20 जनवरी के बीच भारत ने इन्वेस्ट इंडिया मुहिम के तहत यहां बातचीत के राउंड टेबल और पैनल परिचर्चाओं का आयोजन किया है. भारत का फोकस अक्षय ऊर्जा, सस्टेनेबिलिटी, आधारभूत ढांचा, स्वास्थ्य, मेडिकल डिवाइस, स्टार्टअप, व्यापार, तकनीक और संस्थागत निवेश पर रहेगा. केंद्र सरकार के अलावा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु सरकारों की भी भागेदारी दावोस में दिखेगी.

क्लाइमेट एक्टिविस्ट कर रहे विरोध

दावोस में जमा हुए क्लाइमेट एक्टिविस्ट, बड़ी तेल कंपनियों की वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम में भागीदारी के खिलाफ प्रदर्शन करह रहे हैं. न्यूज एजेंसी एपी से बातचीत में प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जलवायु के मुद्दे पर बातचीत को बड़ी तेल कंपनियों ने हाइजैक कर लिया है. साथ ही, बढ़ी ब्याज दर की वजह से अक्षय ऊर्जा स्रोतों पर खर्च करना महंगा हो गया है और अथाह पैसे वाली बड़ी पारंपरिक कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में फायदा पहुंच रहा है.

पर्यावरण के लिए काम करने वाले संगठन ग्रीनपीस ने कार्बन उत्सर्जन करने वाले प्राइवेट विमानों पर बैन लगाने की मांग की है. दावोस में बैठक के दौरान छोटी उड़ानें बढ़ने की आशंका है. पिछले साल हुई बैठक के दौरान एक हफ्ते में 1,040 छोटी उड़ानें दावोस से या दावोस तक तय की गई थीं. आम दिनों में यह संख्या 540 होती है. ग्रीनपीस की क्लारा शेंक कहती हैं, "अमीर और ताकतवर लोग क्लाइमेट और असमानता पर विमर्श करने दावोस पहुंचते हैं, लेकिन यहां आने के लिए पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले प्राइवेट जेट्स का इस्तेमाल करके."

दावोस में विरोध-प्रदर्शन करते क्लाइमेट एक्टिविस्ट.
दावोस में विरोध-प्रदर्शन करते क्लाइमेट एक्टिविस्ट.तस्वीर: Arnd Wiegmann/REUTERS

गरीबी पर काम करने वाली संस्था ऑक्सफैम ने दावोस में बैठक शुरू होने से पहले कहा है कि महंगाई के दौर में खाद्य उद्योग से जुड़ी कंपनियां बड़ा मुनाफा कमा रही हैं. संस्था ने मांग की है कि वैश्विक असमानता को कम करने के लिए इन कंपनियों पर भारी टैक्स लगाना चाहिए.

(पढें: दैनिक जरूरतों की महंगाई और खाद्य संकट की मार सबसे अधिक महिलाओं पर)

(एपी)