बच्चे के लिए क्यों जरूरी है मां का दूध
मां का दूध बच्चे की सेहत के लिए बहुत जरूरी है. स्तनपान को बढ़ावा देने और इसपर जागरूकता बढ़ाने के लिए 1 से 7 अगस्त तक "विश्व स्तनपान सप्ताह" मनाया जाता है. जानिए, बच्चे के लिए क्यों जरूरी है मां का दूध.
संतुलित पोषण
दुनियाभर में डॉक्टर सलाह देते हैं कि मुमकिन हो तो बच्चे को मां का दूध जरूर पिलाएं. मां के दूध से बच्चे को बढ़ने के लिए जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं. इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और मिनरल्स की सटीक मात्रा होती है और बच्चे के लिए इसे पचाना बड़ा आसान होता है.
संक्रमण से बचाता है
बच्चे के जन्म के बाद स्तन जो शुरुआती दूध बनाते हैं, उसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है. यह बच्चे के पाचन तंत्र पर एक रक्षात्मक कवच बनाता है और बीमार करने वाले रोगाणुओं से बचाता है. साथ ही, मां का दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. यह बच्चे को संतुलित पोषण देने के साथ-साथ संक्रमणों का खतरा भी कम करता है.
भविष्य में भी फायदे
मां का दूध बच्चे के लिए आदर्श भोजन है. नवजातों को जीवन के शुरुआती महीनों में जितने पोषण और ऊर्जा की जरूरत पड़ती है, वो सब मां के दूध में मौजूद है. शोध बताते हैं कि जिन बच्चों को मां का दूध मिलता है, वो इंटेलिजेंस टेस्ट में बेहतर प्रदर्शन करते हैं. उनमें मोटापे की आशंका कम होती है.
शुरुआती छह महीने बस मां का दूध
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि बच्चे के जन्म के पहले घंटे में ही उसे मां का दूध पिलाना शुरू कर देना चाहिए. बच्चे के छह महीने के होने तक उसे सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए. कोई और तरल या खाना नहीं, पानी भी नहीं. छह महीने बाद बच्चे को मां के दूध के साथ-साथ और भी चीजें खिलाने की शुरुआत की जानी चाहिए. बच्चे के दो साल का होने तक स्तनपान जारी रखा जा सकता है, जरूरत पड़े तो इससे ज्यादा भी.
मां के लिए भी फायदेमंद
शोध बताते हैं कि बच्चे को अपना दूध पिलाने से मां को भी कई बीमारियों से सुरक्षा मिलती है. टाइप 2 डाइबिटीज और स्तन कैंसर का खतरा कम होता है. यह मां और बच्चे के बीच एक खास लगाव भी विकसित करता है.
कुदरती और सहजता से उपलब्ध
मां का दूध कुदरती और ताजा होता है. इसका तापमान बच्चे के मुफीद होता है. प्रॉसेस्ड और डिब्बाबंद उत्पादों की तरह इसे लाने-ले जाने, गरम या ठंडा करने का झंझट नहीं होता. जब भी बच्चे को जरूरत हो, यह उपलब्ध होता है.
जरूरी है स्तनपान पर और जागरूकता
आंकड़े बताते हैं कि चार में से एक ही नवजात को छह महीने तक पूरी तरह से मां का दूध मिलता है. सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, स्तनपान की कम दर के कारण अमेरिका में ही मां और बच्चे पर सालाना तीन अरब डॉलर से ज्यादा की मेडिकल लागत आती है. डब्ल्यूएचओ की कोशिश है कि शुरुआती छह महीनों में पूरी तरह से मां के दूध पर निर्भर बच्चों की संख्या बढ़ाकर 2025 तक कम-से-कम 50 फीसदी तक लाई जा सके.