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विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

महिलाओं के आंसुओं से इसलिए पिघल जाते हैं पुरुष

फ्रेड श्वालर
१ जनवरी २०२४

महिलाओं के आंसू देखकर पुरुषों का आक्रामक बर्ताव कम होता है और आक्रामकता से जुड़े दिमाग के सर्किटों में भी बदलाव आता है. यह जानकारी एक नए अध्ययन में सामने आई है.

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आंसू एक मजबूत भावुक असर छोड़ते हैं.
एक नया अध्ययन बताता है कि महिलाओं के आंसू में एक ऐसा रसायन होता है, जो पुरुषों में आक्रामकता घटाता है. तस्वीर: Marilla Sicilia/Zuma/IMAGO

क्या आपने कभी सोचा है कि किसी को रोता देखकर कमरे में कुछ देर सन्नाटा क्यों फैल जाता है? एक नया अध्ययन बताता है कि महिलाओं के आंसुओं की गंध पुरुषों की आक्रामकता घटा सकती है.

शोधकर्ताओं ने पाया कि महिलाओं के आंसुओं की गंध सूंघकर पुरुषों के भीतर आक्रामकता में 44 फीसदी तक कमी आई. इस शोध के नतीजे पीएलओएस बायोलॉजी नाम के जर्नल में छपे हैं. इसके मुताबिक, आंसुओं से मस्तिष्क के उन हिस्सों की गतिविधियों में बदलाव आता है जो महक और आक्रामकता से जुड़े हैं.

हम क्यों रोते हैं, यह सवाल लंबे समय से इंसानी विकासक्रम से जुड़ी एक पहेली बना हुआ है. अध्ययन में इसकी एक व्याख्या सामने आई कि शायद रोना एक तरह की शांत करने वाली प्रक्रिया है.

आंसुओं में होते हैं खास रसायन

स्तनधारी जीवों से जुड़े अध्ययनों में सामने आया है कि आंसुओं में ऐसे कुछ खास रसायन होते हैं, जो सामाजिक संकेतों की भूमिका निभाते है. इसका असर बहुत मजबूत होता है.

चूहे, गिलहरी जैसे नर रोडेंट जीवों के आंसुओं में मौजूद एक रसायन मादा को सेक्स के लिए ज्यादा लुभाता है. मुमकिन है कि अगर गर्भवती मादा किसी ऐसे नर के आंसुओं के संपर्क में आए जो उसके बच्चे का पिता नहीं, तो ऐसे में पेट में पल रहा बच्चा मर भी सकता है.

रोडेंट्स के आंसू आक्रामक व्यवहार को भी प्रभावित करते हैं. ब्लाइंड मोल रैट खुद को आंसुओं में भिगा लेते हैं, ताकि उनके प्रति नर सदस्यों की आक्रामकता कम हो जाए. वहीं मादा चूहिया के आंसू में ऐसा रसायन होता है, जो नर चूहों को आपस में लड़ने से रोकता है. नवजात चूहों के आंसू में भी रसायन होता है, जो उनके प्रति आक्रामकता घटाता है. इस तरह नवजात चूहों के आंसू उनकी इकलौती रक्षा प्रणाली की भूमिका निभाते हैं.

अभी यह बहुत स्पष्ट नहीं है कि इंसानों के भीतर आक्रामकता घटाने में आंसू कितने प्रभावी हो सकते हैं. हालांकि संबंधित अध्ययन के शोधकर्ताओं ने पहले दिखाया था कि जब पुरुषों ने महिलाओं के आंसू की गंध सूंघी, तो उनका टेस्टोस्टेरोन स्तर कम हुआ और यौन उत्तेजना भी घट गई.

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भावुकता में निकले आंसू घटाते हैं आक्रामकता

इस अध्ययन का मकसद आंसुओं की शांत करने की क्षमता को जांचना था. इसके लेखकों ने छह महिला डोनरों के "भावुक पलों में निकले आंसुओं" को जमा किया. फिर इसे ऐसे कुछ पुरुषों के संपर्क में लाया गया, जो आक्रामकता को बढ़ावा देने वाले वीडियो गेम्स खेल रहे थे. एक अन्य प्रयोग में ऐसे वीडियो गेम्स खेलने के दौरान ही पुरुषों की एमआईआर स्कैनिंग कर उनकी दिमागी गतिविधियां मापी गईं.

पता चला कि महिलाओं के आंसू की गंध सूंघने वाले पुरुषों ने 43 फीसदी तक कम आक्रामक बर्ताव दिखाया. दिमाग की स्कैनिंग से जुड़े प्रयोग में पाया गया कि आंसू सूंघने के बाद आक्रामकता संबंधी दिमाग के हिस्सों में गतिविधि घट गई.

अमेरिका स्थित वाइसमान इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज के योआम सोबेल इस अध्ययन के मुख्य लेखक हैं. उन्होंने एक बयान जारी कर बताया, "हमने दिखाया है कि आंसू, ओलफैक्ट्री रिसेप्टरों को सक्रिय करते हैं और वे आक्रामकता से जुड़े मस्तिष्क के सर्किटों को प्रभावित कर आक्रामक बर्ताव को काफी हद तक कम कर देते हैं."

अध्ययन के लेखकों के मुताबिक, नतीजे बताते हैं कि आंसू "आक्रामकता के खिलाफ सुरक्षा मुहैया कराने वाले रासायनिक आवरण हैं. यह प्रभाव रोडेंट और इंसान दोनों में देखा गया है." लेखकों का अनुमान है कि बाकी स्तनधारियों में भी यह प्रभाव मौजूद हो सकता है.

आक्रामकता में लैंगिक अंतर

इस अध्ययन से पहले भी ऐसे कई साक्ष्य मिले हैं, जो बताते हैं कि सेक्स और लिंग किस तरह इंसानी आक्रामकता में अहम भूमिका निभाते हैं. 2015 के इंटरनेशनल एनसाइक्लोपीडिया ऑफ दी सोशल एंड बिहेवियरल साइंसेज के मुताबिक, लैंगिक अंतर "मनोविज्ञान के सबसे मजबूत और पुराने निष्कर्षों में से एक हैं."

यह अध्ययन दिखाता है कि किस तरह आंसू में मौजूद रसायनों जैसे सहज जैविक संकेतों की मदद से आक्रामक व्यवहार को बदला जा सकता है. कम-से-कम पुरुषों के मामले में तो यह प्रभाव स्पष्ट है. अब इस अध्ययन के शोधकर्ता महिलाओं को भी रिसर्च में शामिल करना चाहते हैं.

इसके बारे में शोधकर्ताओं ने लिखा है, "हम जानते थे कि आंसू सूंघने से टेस्टोस्टेरोन कम होता है और महिलाओं के मुकाबले पुरुषों के भीतर आक्रामकता घटाने में यह बहुत प्रभावी साबित होता है. अब हमें रिसर्च में महिलाओं को शामिल करना चाहिए, ताकि हमें इस प्रभाव की ज्यादा विस्तृत तस्वीर मिले."