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दक्षिण चीन सागर 2023 में इतना अशांत क्यों था?

वेस्ली रान
२९ दिसम्बर २०२३

चीन और फिलीपींस दोनों ही दक्षिण चीन सागर के विवादित समुद्री जल क्षेत्र में अपने दावों के साथ काफी जोखिम उठा रहे हैं. दोनों के ही इस तरह से आगे बढ़ने पर एक खतरनाक मिसाल कायम हो रही है.

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फिलीपीनी कोस्ट गार्ड से मिली इस तस्वीर में चीनी तट रक्षक फिलीपींस के बेड़े पर पानी की बौछार करता हुआ दिख रहे हैं
फिलीपीनी कोस्ट गार्ड से मिली इस तस्वीर में चीनी तट रक्षक फिलीपींस के बेड़े पर पानी की बौछार करता हुआ दिख रहे हैंतस्वीर: (Philippine Coast Guard/AP/picture alliance

10 दिसंबर को 40 नावों का एक बेड़ा फिलीपींस के पलावन प्रांत के एक तटीय शहर अल निदो से दक्षिण चीन सागर में स्प्रैटली द्वीप समूह की ओर रवाना हुआ. स्प्रैटली द्वीप समूह दक्षिण चीन सागर में टापुओं और शोलों का एक समूह है, जिसके कुछ हिस्सों पर कई देश दावा करते हैं.

इस ‘क्रिसमस काफिले' में सवार 200 से ज्यादा स्वयंसेवक स्प्रैटली द्वीप समूह में नावों पर रहने और काम करने वाले गरीब मछुआरों को कुछ उपहार और अन्य चीजें पहुंचाना चाहते थे. साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध के समय के एक जंग खा रहे जहाज की देखभाल करने वाले सैनिकों को भी कुछ उपहार देना चाहते थे. यह जहाज इस इलाके में उस जगह रखा हुआ है जो कि फिलीपींस की एक छोटी क्षेत्रीय चौकी के रूप में कार्य करता है.

काफिले का आयोजन ‘एटिन इटो' नामक गठबंधन द्वारा किया गया था जिसका फिलीपीनी भाषा में मतलब है ‘यह हमारा है'. छुट्टियों की खुशियां लाने के अलावा, आयोजकों का कहना था कि वे स्प्रैटली में फिलीपींस की उपस्थिति को भी दिखाना चाहते थे.

यह बेड़ा जैसे ही द्वीप को पार कर रहा था, उन्हें खबर मिली कि चीनी तट रक्षकों ने ऐसे ही एक आपूर्ति मिशन के ऊपर पानी की बौछार की है जिससे नावों के इंजनों में से एक को काफी नुकसान हुआ है. और फिर चीनी तट रक्षकों से खुद को घिरा पाने के बाद, आयोजकों ने बेड़े को वापस एल निडो की ओर मोड़ दिया.

2023 में दक्षिण चीन सागर में काफी हलचल रही

यह घटना तो मौजूदा समय में चल रहे गतिरोध में सबसे नई घटना है, जो इस साल दक्षिण चीन सागर में विवादित टापुओं और तटों को लेकर फिलीपींस और चीन के बीच बढ़ गया है. दक्षिण चीन सागर एक संसाधन संपन्न जलमार्ग है जिस पर चीन लगभग पूरी तरह से दावा करता है.

पिछले कई महीनों से, बहुत बड़े और अत्याधुनिक चीनी तट रक्षक जहाज नियमित रूप से फिलीपीनी तट रक्षक, नौसेना और मछली पकड़ने वाली नौकाओं का सामना कर रहे हैं, कभी-कभी उनसे टकराव भी हो जाता है. इस साल की शुरुआत में एक मामले में, चालक दल को भटकाने के लिए ‘मिलिट्री-ग्रेड लेजर' का इस्तेमाल भी किया गया था.

चीनी तट रक्षक फिलीपींस के पश्चिमी तट के पास कृत्रिम द्वीपों पर बने ठिकानों पर हर दिन चौबीसों घंटे यहां गश्त कर सकते हैं. इन द्वीपों को साल 2014 और 2017 के बीच चट्टानों और चट्टानों पर रेत खोदकर बनाया गया है.

इनमें से एक द्वीप को स्प्रैटली में मिसचीफ रीफ, सेकंड थॉमस शोल में जहाज के मलबे की चौकी से केवल 37 किलोमीटर बनाया गया है, जिसे फिलीपींस वाले अयुंगिन शोल कहते हैं.

जब यहां कृत्रिम द्वीपों का निर्माण हो रहा था, तो उसी समय चीन ने दुनिया का सबसे बड़ा तट रक्षक भी बनाया. उसका दावा है कि ये सेवा से मुक्त किए गए नौसैनिक जहाज हैं जो कि आकार-प्रकार में अमेरिकी विध्वंसक जहाजों के लगभग बराबर हैं.

वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज में एशिया मेरीटाइम ट्रांसपेरेंसी इनिशिएटिव प्रोजेक्ट के निदेशक ग्रेग पोलिंग कहते हैं, "चीन अब चीनी तट से 800 मील दूर स्प्रैटली द्वीप समूह में दर्जनों तट रक्षक और सैकड़ों मिलिशिया नौकाओं को तैनात कर रहा है.”

स्प्रैटली द्वीप समूह के उत्तर में स्कारबोरो शोल नाम की एक और विवादित जगह है जो बड़ी और उथली चट्टानों से घिरा एक फिरोजा लैगून है. यह फिलीपींस के लुजोन द्वीप के पश्चिम में करीब 120 समुद्री मील (करीब 222 किलोमीटर) की दूरी पर स्थित है. यह द्वीप मछली पकड़ने के मामले में काफी समृद्ध क्षेत्र है और यहां फिलिपींस के तटरक्षकों और चीनी तट रक्षक नौकाओं के बीच अक्सर लुका-छिपी का खेल चलता रहता है.

चीन ने फिलीपींस पर इस बात के लिए अपना गुस्सा जताया है कि वो इन उथली चट्टान और बड़ी चट्टानों पर उसकी स्व-घोषित ‘निर्विवाद संप्रभुता' को चुनौती देने की कोशिश कर रहा है. चीन इन्हें ‘हुआंगयान दाओ' कहता है और 2012 से ही इस पर कब्जा कर रखा है.

स्कारबोरो शोल हैनान द्वीप पर निकटतम चीनी तट से 460 समुद्री मील (851 किलोमीटर) से ज्यादा दूर है और फिलीपींस के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) के भीतर आता है.

सितंबर में, फिलीपींस ने लैगून प्रवेश द्वार के सामने चीनी तट रक्षक द्वारा लगाए गए फ्लोटिंग बैरियर को हटाकर चीन को नाराज कर दिया था.

और जब स्प्रैटली क्रिसमस काफिले को एक दिन पहले चीनी तट रक्षकों द्वारा परेशान किया जा रहा था, तो स्कारबोरो शोल के आस-पास के जलीय क्षेत्र में दर्जनों मछुआरों की मदद के लिए जा रहे एक और फिलीपीनी आपूर्ति मिशन पर चीनी तटरक्षकों ने पानी की बौछार करके जहाजों को नुकसान पहुंचाया.

चीन के काल्पनिक द्वीप

हालांकि अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, चीन अपने तथाकथित ‘नाइन-डैश लाइन' के तहत जिन व्यापक इलाकों पर दावा करता है उनके लिए कोई ‘कानूनी' आधार नहीं है. यह क्षेत्र नक्शों पर यू-आकार में जीभ की तरह सैकड़ों मील दक्षिण की ओर फैला हुआ और फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया और ब्रुनेई के ईईजेड को काटता हुआ दिखता है.

साल 2013 में, फिलीपींस ने हेग में स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में चीन के दावों को चुनौती दी. अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने साल 2016 में फैसला सुनाया कि नाइन-डैश लाइन के भीतर ‘ऐतिहासिक अधिकारों और संसाधनों' पर चीन के दावों का ‘कोई कानूनी आधार नहीं है.'

न्यायाधिकरण ने यह फैसला भी सुनाया कि स्प्रैटली द्वीप समूह में चीन जिन जमीनी इलाकों का दावा करता है, उनमें से किसी को भी ईईजेड जैसे कानूनी क्षेत्रीय दावों का आधार बनने में सक्षम नहीं माना जा सकता है.

चीन ने तुरंत ही इस फैसले को ‘अमान्य और निरर्थक' कहकर खारिज कर दिया था और तब से इसे नजरअंदाज ही कर रहा है.

दक्षिण चीन सागर के इतिहासकार बिल हेटन बताते हैं नाइन-डैश लाइन का आधार आंशिक रूप से साल 1936 में चीनी भूगोलवेत्ता बाई मेइचू द्वारा बनाए गए नक्शे पर आधारित है, जिन्होंने उन द्वीपों पर दावा कर दिया था और उन्हें नाम भी दे दिया था जो अस्तित्व में ही नहीं थे. उनमें से कुछ ऐसे द्वीप भी थे जो मौजूदा पश्चिमी समुद्री चार्टों में जलमग्न रेत के उभार के तौर पर प्रकाशित हुए हैं और इन्हीं के आधार पर उन्हें द्वीप मान लिया गया.

इनमें स्प्रैटली द्वीप समूह हैं ‘जेम्स शोल' भी शामिल है, जिसे चीन आज तक अपने देश का सबसे दक्षिणी बिंदु कहता है. जबकि सच्चाई यह है कि यह जेम्स शोल पानी में 21 मीटर से भी ज्यादा नीचे है और चीन की मुख्य भूमि से 1,800 किलोमीटर दूर स्थित है और मलेशिया के तट से सिर्फ 80 किलोमीटर दूर है.

विशेषज्ञ ग्रेग पोलिंग कहते हैं, "इसका संबंध अर्थशास्त्र या संसाधनों से नहीं है बल्कि राष्ट्रवाद से है. चीन की सरकार ने 1990 के दशक से इन जलक्षेत्रों पर 'ऐतिहासिक अधिकारों' के बारे में अपनी ऐतिहासिक परी कथा रची है और अब वह इसे जाने नहीं दे सकता, भले ही वह स्वयं हार गया हो.”

वो कहते हैं, "चीन दक्षिण चीन सागर में सभी शांतिकालीन गतिविधियों को नियंत्रित करना चाहता है क्योंकि उसने खुद को आश्वस्त कर लिया है कि उसके पास यह अधिकार है. और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस मुद्दे के महत्व को अपनी घरेलू राजनीतिक वैधता के लिए और ज्यादा बढ़ा दिया है.”

आगे और दिक्कतें हैं

इस इलाके की दिक्कतें भले ही किसी की कल्पना का परिणाम हों, लेकिन दक्षिण चीन सागर में प्रतिस्पर्धी दावों को उन जलमार्गों में सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक वास्तविक खतरा माना जाता है जहां से खरबों डॉलर का वैश्विक व्यापार होता है.

अमेरिकी नौसेना यही याद दिलाने के लिए पश्चिमी देशों की नौसेनाओं के साथ नियमित रूप से दक्षिण चीन सागर में ‘फ्रीडम ऑफ नेविगेशन' नाम से नौसैनिक अभ्यास का नेतृत्व करती है.

जून 2022 में फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर के फिलीपींस के राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभालने के बाद, फिलीपींस ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपनी दशकों पुरानी रक्षा साझेदारी को फिर से शुरू किया और संकेत दिया कि यह चीनी हितों के लिहाज से कम फायदेमंद होगी, जैसा कि पिछले राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटर्टे के शासनकाल के दौरान देखा गया था.

इसके तहत उत्तरी फिलीपींस में अप्रैल में अब तक का सबसे बड़ा यूएस-फिलीपींस वॉर गेम्स आयोजित करना शामिल था.

वहीं, चीनी अधिकारियों ने बार-बार अमेरिका को दक्षिण चीन सागर में हस्तक्षेप करने के खिलाफ चेतावनी दी है और चीन इस विवादित जल क्षेत्र में पश्चिमी हित को पूरी तरह से एशियाई मामले में ‘बाहरी ताकत' के हस्तक्षेप के तौर पर देखता है.

पिछले साल में, चीन ने यह भी दिखाया है या कम से कम ऐसा प्रतीत होता है कि वह कट्टरपंथियों से घरेलू समर्थन हासिल करने के लिए बड़े जोखिम लेने को भी तैयार है.

पोलिंग कहते हैं, "सेकंड थॉमस शोल और कुछ हद तक स्कारबोरो के आस-पास तनाव पिछले साल से लगातार बढ़ रहा है क्योंकि चीन ने फिलीपीन्स के हरेक आपूर्ति मिशन को रोकने की कोशिश की है और इसके लिए कहीं ज्यादा खतरनाक रणनीति का इस्तेमाल कर रहा है, मसलन- लेजर, वॉटर कैनन, ध्वनि उपकरणों जैसी पूरी तरह से अनियंत्रित चीजों का इस्तेमाल कर रहा है.”

क्या होगा चीन का अगला कदम

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, फिलीपींस के सुरक्षा अधिकारियों को डर है कि चीन का अगला कदम सेकेंड थॉमस शोल पर कब्जा करना और वहां सैन्य प्रतिष्ठानों का निर्माण करना हो सकता है, जैसा कि उसने पास के मिसचीफ रीफ के साथ किया था.

फिलीपींस भी चीन की ताकत को फ्लोटिला और आपूर्ति मिशन भेजकर आजमाना चाहता है कि आखिर वो इस मामले में कितनी दूर तक जाने को तैयार है और क्या भविष्य में उसकी नावों पर लगातार हमले पानी की बौछारों तक ही सीमित रहेंगे या उसका प्रतिरोध इससे आगे भी बढ़ सकता है.

पोलिंग कहते हैं, "राष्ट्रपति मार्कोस के नेतृत्व वाली फिलीपीन्स की सरकार बदमाशी के सामने पीछे न हटने के लिए प्रतिबद्ध है और अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर चीन इस इलाके में बल प्रयोग करता है तो वह फिलिपीन्स के लोगों की रक्षा में मदद करेगा.”

वो कहते हैं कि अमेरिका का समर्थन, भले ही वो कागज पर ही क्यों न हो, "फिलीपींस को यह विश्वास दिलाने में काफी मदद करता है कि वह चीनी जहाजों पर गोलीबारी किए बिना चीनी नाकाबंदी को जारी रख सकता है.”

"अब तक, उसका यह आकलन सही भी रहा है क्योंकि चीन के पास हर महीने इसी खतरनाक खेल को जारी रखने के अलावा कोई अच्छा विकल्प नहीं बचा है और इसी वजह से फिलीपींस के साथ उसके रिश्ते खराब हो रहे हैं और बिना किसी लाभ के उसकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंच रहा है.”