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अयोध्या में क्यों नहीं बन पा रही है मस्जिद?

समीरात्मज मिश्र
९ दिसम्बर २०२२

नवंबर 2019 में अयोध्या के धन्नीपुर गांव में मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन दी गई थी. ट्रस्ट बना और ट्रस्ट ने मस्जिद और परिसर के लिए शानदार डिजाइन तैयार की लेकिन मस्जिद निर्माण काम शुरू भी नहीं हो पाया है.

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अयोध्या में मस्जिद का निर्माण अभी शुरू नहीं हुआ
मस्जिद के साथ अस्पताल भी बनेगा परिसर मेंतस्वीर: Shamsul/DW

अयोध्या शहर में एक ओर रामजन्मभूमि स्थल पर राम मंदिर का निर्माण जोरों पर है तो दूसरी ओर वहां से करीब 25 किमी रौनाही थाने के पीछे धन्नीपुर गांव का हाल वैसा ही है जैसा कि आमतौर पर गांवों का होता है. बावजूद इसके कि यह गांव इस मायने में खास है कि यहांसुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर  राज्य सरकार ने मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन दी है.

मस्जिद निर्माण के लिए बने इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट को बने हुए भी दो साल से ज्यादा हो गए हैं लेकिन यह ट्रस्ट अभी जमीन की कागजी कार्रवाइयों में ही उलझा हुआ है, निर्माण शुरू कराना तो दूर की बात है.

नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट

ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन कहते हैं कि मस्जिद के निर्माण के लिए जो नक्शा और डिजाइन अयोध्या विकास प्राधिकरण को भेजा गया था, वह अभी स्वीकृत नहीं हुआ है. इसके अलावा कुछ अन्य विभागों से भी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी नहीं मिली है, जिसकी वजह से काम रुका हुआ है.

आम मुसलमानों की अपेक्षाओं से परे बन रही है अयोध्या की मस्जिद

डीडब्ल्यू से बातचीत में अतहर हुसैन कहते हैं, "हमने अयोध्या विकास प्राधिकरण को प्रस्तावित परिसर का एक नक्शा दिया है जिसमें मस्जिद के साथ अस्पताल, म्यूजियम, लाइब्रेरी इत्यादि का निर्माण प्रस्तावित है. अभी मंजूरी मिल नहीं पाई है. पहले तो कोरोना की वजह से मंजूरी मिलने में देरी हुई लेकिन अब विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल्दी ही इस रास्ते में आने वाली अड़चनों को दूर कर दिया जाएगा. यानी उम्मीद है कि अब जल्दी ही मंजूरी मिल जाएगी.”

अतहर हुसैन बताते हैं कि जो जमीन सरकार ने दे रखी है, वो कृषि जमीन है जिस पर कोई निर्माण नहीं हो सकता है. वो कहते हैं, "यह भी एक बाधा है लेकिन लैंड यूज के लिए अयोध्या के कमिश्नर ने शासन के पास अनुरोध भेजा है. दूसरी दिक्कत फायर एनओसी को लेकर थी. क्योंकि एक जगह पर जमीन की चौड़ाई कम थी. डीएम अयोध्या ने उसका दौरा करने के बाद उस जगह को चौड़ा करने का राजस्व विभाग को निर्देश दिया है. इन सबके बाद उम्मीद है कि एनओसी मिल जाएगी और फिर नक्शा भी पास हो जाएगा.”

मस्जिद का निर्माण कार्य अभी शुरू नहीं हुआ
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 5 एकड़ जमीन दी गई हैतस्वीर: Shamsul/DW

धन्नीपुर गांव में ही यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन दी है और वक्फ बोर्ड की ओर से मस्जिद निर्माण के लिए इस ट्रस्ट का गठन किया है. यह जमीन कृषि विभाग के 25 एकड़ वाले एक फार्म हाउस का हिस्सा है जहां अभी भी खेती हो रही है.

मस्जिद परिसर में अस्पताल भी बनेगा

ट्रस्ट ने मस्जिद परिसर के लिए जो परियोजना पर तैयार की है उसके मुताबिक यहां मस्जिद के अलावा एक अस्पताल और 1857 की क्रांति की यादों को दर्शाता एक संग्रहालय होगा.

अतहर हुसैन कहते हैं कि मस्जिद का निर्माण तो एनओसी मिलने और नक्शा पास होने के बाद तुरंत हो जाएगा लेकिन अस्पताल के निर्माण के लिए अभी कुछ ऐसे समूहों से बात हो रही है जिन्हें अस्पताल निर्माण और उसके संचालन का अनुभव हो. वो कहते हैं, "अस्पताल चैरिटेबल होगा और हम चाहते हैं कि अनुभवी लोग इसके निर्माण और संचालन से जुड़ें. कुछ लोगों ने दिलचस्पी दिखाई भी है. यदि ऐसे लोगों से बात बनी तो ठीक है अन्यथा ट्रस्ट इसे खुद बनाएगा.”

इस मामले में अयोध्या विकास प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि एनओसी देने और नक्शे के मंजूरी के लिए जो सरकारी प्रक्रिया है, उसके तहत जल्दी ही मंजूरी दे दी जाएगी. हालांकि मंजूरी कब तक मिल पाएगी, इस बारे में अधिकारियों ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया.

मस्जिद और परिसर में अन्य निर्माण के लिए ट्रस्ट आम लोगों से चंदा ले रहा है. ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन कहते हैं कि चंदा देने के मामले में लोग बढ़-चढ़कर सामने आ रहे हैं और बड़ी संख्या में हिन्दुओं ने भी चंदा दिया है लेकिन अब तक चंदे के रूप में किसी व्यक्ति या संस्था ने कोई बड़ी रकम नहीं दी है. बताया जा रहा है कि चंदे के रूप में अधिकतम रकम पांच लाख रुपये मिली है.

ट्रस्ट की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि मस्जिद निर्माण के लिए किसी तरह की आर्थिक दिक्कत नहीं है लेकिन बताया जा रहा है कि परियोजना के मुताबिक, जो निर्माण कार्य होने हैं, उसके लिए सौ करोड़ से ज्यादा रुपये का खर्च आएगा और अब तक ट्रस्ट के पास जो राशि इकट्ठा हुई है उसे देखते हुए यह नहीं लगता कि इतना चंदा जुट पाएगा. हालांकि ट्रस्ट की ओर से आधिकारिक रूप से इस बारे में कोई कुछ भी नहीं बता रहा है.

मस्जिद का निर्माण अभी शुरू नहीं हुआ
फार्म हुआ की जमीन मिली है मस्जिद के लिए तस्वीर: Shamsul/DW

मस्जिद के लिए ज्यादा उत्साह नहीं

दूसरी ओर अयोध्या के लोगों में इस मस्जिद के निर्माण को लेकर कोई बहुत ज्यादा उत्साह नहीं है. अयोध्या में रहने वाले शाह आलम कहते हैं कि इतनी दूर मस्जिद होने के कारण यहां के लोग नमाज पढ़ने के लिए वहां नहीं जाएंगे. उनके मुताबिक, "मस्जिद के बनने को लेकर भी लोगों में कोई खास उत्साह नहीं है. अयोध्या शहर के भीतर जमीन मिली होती तो ठीक भी था. अब बीस किमी दूर कौन जाएगा? अयोध्या के अंदर वैसे ही कई मस्जिदें हैं.”

हालांकि धन्नीपुर गांव के लोगों का कहना है कि मस्जिद के साथ-साथ जो अस्पताल का प्रस्ताव है, उसे लेकर लोगों में काफी उत्साह है क्योंकि यहां आस-पास कोई कायदे का अस्पताल नहीं है. धन्नीपुर गांव के ही रहने वाले दुर्गेश यादव "जब यहां जमीन देने की घोषणा हुई थी तब तो कई लोग इसे देखने आ रहे थे लेकिन कुछ दिनों बाद ही लोगों ने आना बंद कर दिया.

गांव के लोगों को तो पता भी नहीं है कि कौन सा ट्रस्ट है और कौन यहां क्या बनवा रहा है. हां, सभी लोग इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि अस्पताल कब बनेगा. मुस्लिम बहुल गांव में पहले से ही मस्जिद और मजार हैं. नई मस्जिद को लेकर मुस्लिम लोगों में उत्साह जरूर है, पर वैसा नहीं जैसा कि राम मंदिर को लेकर हिन्दुओं में है.”

मस्जिद के लिए सरकार से जमीन लेने के मामले में मुसलमानों के एक बड़े तबके में उस वक्त भी विरोध था और आज भी कई लोग इसे सही नहीं मानते हैं. शायद यही वजह है कि मस्जिद निर्माण में भी मुस्लिम समुदाय के बड़े लोग सामने नहीं आ रहे हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक वरिष्ठ सदस्य मौलाना यासीन उस्मानी ने कुछ समय पहले बातचीत में कहा था कि जिस सुन्नी वक्फ बोर्ड को सरकार की ओर से जमीन दी जा रही है वह सरकारी संस्था है ना कि मुसलमानों की प्रतिनिधि संस्था. उनका मुताबिक बोर्ड से अनुरोध किया गया था कि वह जमीन ना ले लेकिन जब ले ही लिया है तो यह उसका फैसला समझा जाना चाहिए, ना कि मुसलमानों का.

छह दिसंबर 1992 को कारसेवकों की एक भीड़ ने करीब साढ़े चार सौ साल पुरानी बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था. हिन्दू पक्ष का कहना था कि यह मस्जिद उस जगह पर बनी है जहां भगवान राम का जन्म हुआ था. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पांच नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने हिन्दुओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष को अलग मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था.