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आप्रवासियों को हिरासत में क्यों ले रहा है ऑस्ट्रिया?

अराफातुल इस्लाम
१४ अक्टूबर २०२२

ऑस्ट्रिया ने जब से अपनी सीमाओं पर आवाजाही रोकने के लिए कठोर नियम लागू किए हैं तब से लेकर अब तक करीब 68 हजार आप्रवासियों और शरणार्थियों को हिरासत में लिया जा चुका है. इनमें ज्यादातर भारतीय हैं.

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स्लोवाकिया और ऑस्ट्रिया का बॉर्डर
तस्वीर: Theresa Wey/AP/picture alliance

ऑस्ट्रियाई गृह मंत्रालय ने पिछले दिनों तस्करी और शरण के दुरुपयोग को रोकने के मकसद से सीमापार की आवाजाही को नियंत्रित करने का फैसला लिया. इस फैसले के लागू होने के बाद पांच महीनों में अनियमित रूप से सीमा पार करने की कोशिश करने वाले करीब 68 हजार लोग हिरासत में लिए जा चुके हैं. ये वो लोग हैं जो कि आप्रवासी हैं या फिर ऑस्ट्रिया में शरण पाने की उम्मीद से आ रहे थे.

पुलिस ने ज्यादातर आप्रवासी बुर्गेनलैंड में पकड़े हैं जो कि ऑस्ट्रिया का पूर्वी हिस्सा है और यह हंगरी, स्लोवेनिया और स्लोवाकिया की सीमाओं से लगा हुआ है. यहां से करीब 46 हजार आप्रवासी पकड़े गए हैं.

यूरोपीय संघ के सदस्य देश हंगरी के गृहमंत्री गेरहार्ड कार्नर के मुताबिक, ज्यादातर प्रवासी अफगानिस्तान, भारत, सीरिया, ट्यूनिशिया और पाकिस्तान के हैं. सोमवार को विएना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कार्नर ने कहा कि इस साल जनवरी से अगस्त के बीच ऑस्ट्रिया में शरण पाने के लिए करीब 56 हजार आवेदन आए हैं. वो कहते हैं, "ये आवेदन ज्यादातर ऐसे लोगों ने भेजे थे जिन्हें व्यावहारिक तरीके से यहां शरण नहीं मिल सकती.”

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ऑस्ट्रिया ने सीमा पर निगरानी बढ़ाई
ऑस्ट्रिया ने सीमा पर निगरानी बढ़ाईतस्वीर: Theresa Wey/AP/picture alliance

ज्यादातर लोग भारत से आ रहे हैं

गेरहार्ड कार्नर कहते हैं कि अनियमित तरीके से ऑस्ट्रिया आने वाले ज्यादातर आप्रवासी भारतीय मूल के हैं जबकि सुरक्षा के मामलों में पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे प्रवासियों की तुलना में भारत अधिक शांत देश है. वो कहते हैं, "उनके शरणार्थी आवेदन पत्र के स्वीकृत होने की कोई उम्मीद नहीं है और अभी तक शरणार्थियों के बारे में एक भी फैसला नहीं हुआ है.”

ऑस्ट्रियाई सरकार के मुताबिक अब तक करीब 7600 भारतीयों ने शरणार्थी के लिए आवेदन दिया है. हालांकि इस मामले में सबसे ज्यादा अफगानी हैं जिनके 1200 आवेदन अब तक आ चुके हैं. अफगानियों की संख्या में इतना उछाल पिछले साल तालिबान के सत्ता संभालने के बाद से आया है. डीडब्ल्यू ने इसी साल सर्बिया में कई भारतीय आप्रवासियों से मुलाकात की तो उनका कहना था कि वो तो भारत और सर्बिया के बीच हुए वीजा-मुक्त समझौते के तहत यहां आए थे. सर्बिया एकमात्र ऐ यूरोपीय देश है जिसने भारतीय नागरिकों को 2017 के बाद से वीजा-मुक्त प्रवेश की अनुमति दी है.

ऐसे आप्रवासी जो कि आर्थिक कारणों से भारत से बाहर चले गए, वो इटली, फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों तक किसी भी स्थिति में पहुंचने के लिए इंतजार कर रहे हैं. भारत के पंजाब प्रांत के रहने वाले 27 वर्षीय जसबीर सिंह कहते हैं, "मैं भारत में बेरोजगार था. मैं पढ़ा-लिखा हूं, फिर भी भारत में मेरे लिए कोई नौकरी नहीं थी. इसलिए मैंने तय किया कि मैं सर्बिया जाऊंगा और फिर वहां से मेरे जर्मनी जाने के रास्ते भी खुलेंगे.”

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शाहनाज परवीन ऑस्ट्रिया के क्रेम्स में स्वतंत्र रूप से प्रवासी मामलों पर शोध करती हैं. यहां भी बाल्कन देशों के रास्ते भारतीय आप्रवासी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहती हैं, "यूरोप में अनियमित तरीके से आने वाले ज्यादातर भारतीय आप्रवासी आर्थिक कारणों से आते हैं और इनमें से कुछेक तो जलवायु परिवर्तन की वजह से आते हैं. ये ज्यादातर वो मजदूर हैं जो नदियों के किनारे रहते हैं और नदियों में बाढ़ आने के कारण उन्हें विस्थापित होना पड़ा है. क्योंकि ऐसा होने से उन मजदूरों की आजीविका का साधन ही खत्म हो जाता है.”

परवीन कहती हैं, "इन विस्थापित प्रवासियों में से प्रशिक्षित प्रवासी भी हैं. बिना किसी दस्तावेज के यूरोप पहुंचने पर प्रशिक्षित मजदूरों वाली बाजार में इनका प्रवेश प्रतिबंधित है. इसलिए मजबूरी में उन्हें गैर प्रशिक्षित तरीके के काम करने पड़ते हैं.”

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सर्बिया पहुंचे आप्रवासी
सर्बिया पहुंचे आप्रवासीतस्वीर: Serbian Ministry of Interior/AP/picture alliance

क्या ऑस्ट्रिया एक ट्रांजिट देश है?

मोहम्मद जमीर अपना वास्तविक नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं कि वो बांग्लादेशी आप्रवासी हैं और उन्हें पिछले महीने ऑस्ट्रिया पुलिस ने भारत और पाकिस्तान के दर्जनों आप्रवासियों के साथ उस वक्त पकड़ा था जब वो एक वैन में छिपकर रोमानिया के रास्ते इटली जाने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि उनमें से कोई भी ऑस्ट्रेलिया में शरण नहीं लेना चाहता है.

वो कहते हैं, ”मैं रोमानिया एक वैध कार्य वीजा के आधार पर आया था जिसके लिए मुझे सात हजार यूरो चुकाने पड़े थे. लेकिन जो कंपनी मुझे काम देने वाली थी, उसने मुझे कोई काम नहीं दिया. इसके बाद, मैंने एक तस्कर के जरिए इटली जाने का फैसला किया. लेकिन इसी दौरान ऑस्ट्रियाई पुलिस ने हमें तब गिरफ्तार कर लिया जब हम देश की सीमा पार कर रहे थे.”

इसके बाद सभी आप्रवासी ट्रेस्किर्चेन स्थित एक शरणार्थी शिविर में पहुंचा दिए गए. जमीर कहते हैं कि रोमानिया तक पहुंचने के लिए उन्होंने एक तस्कर को करीब चार हजार यूरो दिए. उनके साथ दक्षिण एशियाई देशों के 31 और आप्रवासी थे. मानव तस्कर लोगों को गलत तरीके से और बिना दस्तावेज के सर्बिया और रोमानिया जैसे देशों से पश्चिमी यूरोप के देशों तक पहुंचाने के लिए लॉरी या फिर बंद वैन्स का उपयोग करते हैं.

ये वाहन ज्यादातर हंगरी और ऑस्ट्रिया के रास्ते से होकर जाते हैं और इटली तक पहुंचते हैं. ऐसे प्रवासियों का मुख्य अड्डा इटली ही है. परवीन मानती हैं कि हाल ही में ऑस्ट्रिया के अनियमित आप्रवासियों के रास्ते को नियंत्रित करने से बिना दस्तावेजों के प्रवासियों के यूरोपीय संघ के देशों में पहुंचने पर रोक लगाई है.

वो कहती हैं, "ऑस्ट्रिया की सरकार ने हाल ही में सीमा पर फालतू आवाजाही को रोकने के लिए और सभी वाहनों और आप्रवासियों के दस्तावेजों की जांच के लिए कुछ सख्त नियम बनाए हैं.”

ऑस्ट्रिया के गृह मंत्री ने हाल ही में कहा था कि जो लोग यूरोपीय संघ के देशों में पहुंचने के लिए अनियमित रास्तों का इस्तेमाल कर रहे थे, तस्करों ने उनके साथ बहुत बुरा बर्ताव किया था. कार्नर कहते हैं, "गैरकानूनी तरीके से प्रवेश कराने के लिए तीन हजार से सात हजार यूरो तक चार्ज किए जाते हैं.”

यूरोप पहुंचने के चक्कर में कई लोग मारे भी जाते हैं
तस्वीर: Anupam Deb Kanunjna/DW

यूरोपीय संघ के देश कड़े कदम उठाएंगे

ऑस्ट्रिया के अधिकारियों के मुताबिक, मई की शुरुआत से लेकर अब तक ऑस्ट्रिया में 440 तस्कर गिरफ्तार किए जा चुके हैं जिनमें से 172 बुर्गेनलैंड से गिरफ्तार हुए हैं. 2021 में 441 तस्कर गिरफ्तार हुए थे जबकि 2020 में सिर्फ 311 तस्कर गिरफ्तार किए गए थे.

इस बीच, ऑस्ट्रिया और हंगरी ने फैसला किया है कि वो सर्बिया की मदद करेंगे ताकि आप्रवासी उसके देश से होकर उनके यहां न पहुंचे. हंगरी के विदेश मंत्री पीटर शिजार्तो हाल के महीनें में बिना जरूरी दस्तावेजों के यूरोपियन देशों में पहुंच रहे लोगों के मामले को गंभीर चिंता के रूप में देखते हों. वो कहते हैं कि हंगरी और ऑस्ट्रिया को चाहिए कि वो सर्बिया को उपकरण और सैनिक मुहैया कराएं ताकि उत्तरी मेसिडोनिया से लगी उनकी सीमा को और सुरक्षित बनाया जा सके. पिछले हफ्ते तीनों देशों के प्रतिनिधियों ने बेलग्रेड में मुलाकात की थी.

सर्बिया की मीडिया ने शुजार्तो के हवाले से लिखा है, "दक्षिण की ओर रक्षा पंक्ति को मजबूत करना हमारे साझा हित में है और इसीलिए हम एक संयुक्त बल बनाने पर सहमत हुए हैं.”

सर्बिया के राष्ट्रपति अलेक्जांडर वुसिक ने भी वादा किया है कि वो अपने वीजा नियमों को यूरोपीय संघ के देशों के हिसाब से दुरुस्त करेंगे ताकि कुछ देशों के साथ हुए उनके वीजा-मुक्त समझौते के कारण इन देशों में अवैध तरीकों से लोगों के पहुंचने को रोका जा सके.