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70 साल बाद चीन हुआ मलेरिया मुक्त

३० जून २०२१

डब्ल्यूएचओ द्वारा मलेरिया से मुक्त घोषित होने वाला चीन दुनिया का 40वां देश बन गया है. विशेषज्ञों की एक टीम ने स्थिति का आकलन करने के लिए चीन का दौरा किया और अब इसकी पुष्टि की है.

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तस्वीर: US CfDCaP/epa efe/dpa/picture-alliance

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को चीन को मलेरिया से मुक्त घोषित कर दिया. चीन में पिछले सत्तर सालों से इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने के प्रयास किए जा रहे थे.

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस ने कहा, "हम चीनी लोगों को मलेरिया से निजात पाने पर बधाई देते हैं. उनकी सफलता कड़ी मेहनत का परिणाम है जो दशकों के निरंतर लक्ष्य-उन्मुख प्रयासों के बाद मिली है. इस घोषणा के साथ चीन उन देशों की सूची में शामिल हो गया है जो दुनिया को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि मलेरिया मुक्त भविष्य एक साध्य लक्ष्य है."

70 साल की कोशिश

1940 के दशक में चीन में लगभग हर साल तीन करोड़ मलेरिया के मामले रिपोर्ट होते थे. तब सरकार द्वारा इसे नियंत्रित करने और मिटाने के प्रयास किए गए. इस तरह के निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप इसके मामले स्थायी रूप से घटने लगे.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि चीन ने दशकों पहले उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में मलेरिया-रोधी दवाओं का वितरण शुरू किया था. साथ ही मच्छरों के प्रजनन क्षेत्रों को व्यवस्थित रूप से कम किया गया और बड़े पैमाने पर मच्छरदानी लोगों को देने की व्यवस्था की गई.

मलेरिया के लिए एक नया इलाज खोजने के लिए 1967 में एक वैज्ञानिक कार्यक्रम बनाया गया, जिससे आर्टिमिसिनिन की खोज हुई. आज आर्टिमिसिनिन मलेरिया के इलाज का मुख्य आधार है.

चीन 1980 के दशक में मलेरिया से बचाव के लिए कीटनाशक वाली मच्छरदानी का बड़े पैमाने पर परीक्षण शुरू करने वाले पहले देशों में से एक है. इन कोशिशों की मदद से 1990 के दशक में मलेरिया के मामले तीन करोड़ से घटकर लगभग 11 लाख हो गए और मौतों में भी लगभग 95 प्रतिशत की गिरावट आई.

2003 के बाद से चीन ने इस दिशा में अपनी कोशिश और तेज कर दी. जिसके बाद पीड़ितों की सालाना संख्या 5,000 तक पहुंच गई.

अगर किसी देश में लगातार तीन सालों तक मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप नहीं हुआ है, तो ऐसे देश विश्व स्वास्थ्य संगठन में मलेरिया से मुक्ति के प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर सकते हैं. उन्हें यह भी सबूत पेश करने होंगे कि भविष्य में महामारी की स्थिति में उन्हें नियंत्रित करने की क्षमता है.

चीन में पिछले चार सालों में मलेरिया का एक भी मामला सामने नहीं आया है और उसने पिछले साल विश्व स्वास्थ्य संगठन में प्रतिरक्षा का प्रमाण पत्र देने के लिए आवेदन किया था. विशेषज्ञों ने इस साल मई में मलेरिया मुक्त स्थिति और भविष्य में प्रकोप को रोकने की तैयारियों को सत्यापित करने के लिए देश की यात्रा की थी. विशेषज्ञों द्वारा इन सभी बातों की पुष्टि करने के बाद ही चीन को बीमारी से मुक्ति का प्रमाण पत्र दिया गया.

विश्व में मलेरिया की स्थिति

मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो मच्छरों के काटने से होती है. मादा ऐनाफेलीज मच्छरों के डंक से ये पैरासाइट इंसानी शरीर में पहुंचते हैं. पांच ऐसे पैरासाइट हैं जो इंसानों में मलेरिया पैदा करते हैं. इनमें से दो– पी फैल्सिपैरम और पी वाइवैक्स सबसे खतरनाक हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के मुताबिक 2019 में विश्व में मलेरिया के 22.9 करोड़ मामले दर्ज हुए. इनमें से 94 फीसदी मामले अफ्रीका से थे.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अब तक करीब 40 देश इस बीमारी से मुक्त हो चुके हैं. पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में 30 वर्षों में यह उपलब्धि हासिल करने वाला चीन पहला देश है. हाल ही में दर्जा हासिल करने वाले अन्य देश अल सल्वाडोर, अल्जीरिया, अर्जेंटीना, पराग्वे और उज्बेकिस्तान थे.

एए/सीके (डीपीए, एएफपी, एपी)

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