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आतंकवादपाकिस्तान

पाकिस्तान: क्या है चीनी नागरिकों पर हमले करने वाली बलोच सेना

२७ अप्रैल २०२२

कराची में एक आत्मघाती हमले में चीनी नागरिकों को मार देने की जिम्मेदारी बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने ली है. बीएलए बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सरकार का विरोध करने वाले कई अलगाववादी समूहों में से सबसे जाना माना संगठन है.

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Pakistan Explosion Gelände einer Universität in Karachi
तस्वीर: Fareed Khan/dpa/AP/picture alliance

बलूचिस्तान आकार के हिसाब से पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन बंजर पहाड़ी इलाका होने की वजह से आबादी के हिसाब से देश का सबसे छोटा राज्य है. बीएलए का घोषित उद्देश्य बलूचिस्तान के लिए पूर्ण रूप से आजादी हासिल करना है.

अलगाववादियों का मानना है कि खनिज संपदा के धनी इस इलाके के संसाधनों का अनुचित रूप से दोहन किया गया है, जिसके खिलाफ यहां कई दशकों से इंसर्जेन्सी चल रही है. बलूचिस्तान की सीमा उत्तर में अफगानिस्तान से और पश्चिम में ईरान से सटी हुई है. इसकी एक लंबी तटरेखा भी है जो अरब सागर से सटी हुई है.

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चीन से नाराजगी

यहां पाकिस्तान की सबसे बड़ी प्राकृतिक गैस फील्ड भी है. यहां सोने जैसे कीमती धातुओं की भी भरमार है. हाल के सालों में यहां सोने का उत्पादन काफी बढ़ा है. माना जाता है कि यहां और ऐसे कई संसाधन हैं जिनकी अभी खोज ही नहीं हुई है.

कराची
कराची में हुए धमाके में एक विश्वविद्यालय के परिसर में इस वन के परखच्चे उड़ गएतस्वीर: Fareed Khan/AP Photo/picture alliance

अलगाववादी समूहों में से ज्यादातर स्वतंत्र रूप से काम करते हैं, लेकिन हाल ही में स्थानीय मीडिया में आई कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि इनके बीच सहयोग बढ़ रहा है. मुख्य रूप से इनका ध्यान तो पाकिस्तानी सुरक्षाबलों पर केंद्रित रहा है, लेकिन हाल के सालों में उन्होंने चीनी हितों को भी निशाना बनाना शुरू किया है.

ऐसा इसलिए क्योंकि इस प्रांत में चीन के आर्थिक पदचिंह बढ़ रहे हैं. बलूचिस्तान में चीन की मुख्य परियोजनाओं में शामिल है ग्वादर का बंदरगाह. होर्मुज जलसंधि के पास स्थित यह बंदरगाह सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है. होर्मुज जलसंधि अरब सागर में तेल की आवाजाही एक बेहद महत्वपूर्ण मार्ग है.

(पढ़ें: अफगानिस्तान स्थित आतंकवादियों के हमले में पांच पाकिस्तानी सैनिक मारे गए)

पिछले साल इस बंदरगाह पर काम कर रहे चीनी इंजीनियरों पर हमला हुआ था जिसकी जिम्मेदारी बीएलए ने ली थी. इसके अलावा बलूचिस्तान में एक चीनी कंपनी एक बड़ी सोने और तांबे की खदान भी चलाती है.

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा

चीन के लिए पाकिस्तान में उसके नागरिकों की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन गई है. विशेष रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के शुरू होने के बाद. सीपीईसी के तहत 60 अरब डॉलर से भी ज्यादा मूल्य की परियोजनाओं की परिकल्पना की गई है.

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के पश्चिमी रूट के पास का दृश्यतस्वीर: A. G. Kakar/DW

बीएलए का कहना है कि वो इसलिए चीनी नागरिकों पर हमला करता है क्योंकि चीन ने उसकी चेतावनियों को अनसुना कर दिया था. बीएलए ने चीन को चेतावनी दी थी कि वो बलूचिस्तान की 'आजादी' से पहले उससे जुड़े समझौतों में शामिल ना हो. इन दावों का अलग से सत्यापन कराने की जरूरत है.

(पढ़ें: पाकिस्तान: बलूचिस्तान में सेना पर आतंकी हमला, एक जवान और चार हमलावर मारे गए)

समूह की मांग है कि सभी पाकिस्तानी सुरक्षाबल बलूचिस्तान छोड़ कर चले जाएं. उसने एक 'अंतरराष्ट्रीय गारंटर' की मौजूदगी में बातचीत करने का सुझाव भी दिया है. उसका दावा है कि उसके आत्मघाती हमलावर 'फिदाई' युवा और पढ़े लिखे बलोच हैं जिनका कठिनाइयों और आर्थिक विकास से किनारे कर दिए जाने की वजह से मोह-भंग हो चुका है.

कौन हैं बीएलए के नेता

बीएलए के मौजूदा स्वरूप में कुछ सालों तक इसका नेतृत्व कर रहे थे बलाच मर्री, जो एक प्रभावशाली बलोच परिवार के उत्तराधिकारी थे. सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि मर्री 2007 में अफगानिस्तान में मारे गए. वहां उन्होंने एक अड्डा और छिपने की जगह बनाई हुई थी.

बीएलए
बीएलए ने पिछले एक साल में अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैंतस्वीर: Fareed Khan/AP Photo/picture alliance

मर्री के मारे जाने के बाद कुछ दिनों तक बीएलए के काम में रूकावट आई लेकिन अब फिर से उसने हमलों की गति बढ़ा दी है. समूह का कहना है कि इस समय उसका नेतृत्व बशीर जेब बलोच कर रहे हैं जिनके बारे में किसी को भी ज्यादा जानकारी नहीं है.

(पढ़ें: अफगानिस्तान की सीमा से लगे पाकिस्तानी प्रांत में बढ़ता आतंकवाद)

हाल के महीनों में बीएलए ने कई हमलों के लिए जिम्मेदारी ली है, जिनमें कुछ ही महीनों पहले बलूचिस्तान में अर्धसैनिक बलों के दो अड्डों पर एक साथ किए गए दो हमले भी शामिल हैं.

समूह के ज्यादातर हमले बलूचिस्तान में या पास में ही स्थित कराची में होते हैं. 2020 में कराची में पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज की इमारत पर और 2018 में चीनी वाणिज्य दूतावास पर हुए हमलों की भी जिम्मेदारी बीएलए ने ही ली थी.

सीके/एए (रॉयटर्स)

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