भारत में संसद से किस किस को निकाला गया
संसद से किसी सांसद का निष्कासन एक बेहद गंभीर मामला है, लेकिन ऐसा नहीं है कि ऐसा भारत में कभी हुआ ना हो. जानिए कब, क्यों और किन सांसदों को संसद से निष्कासित किया गया.
निष्कासन
भारत में सांसदों का संसद से निष्कासन एक बेहद दुर्लभ घटना है. संसद भारत के लोकतंत्र का केंद्र है इसलिए संविधान लाखों मतदाताओं द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को कई तरह की सुरक्षा और विशेषाधिकार देता है. अनुशासनात्मक कार्रवाई से सुरक्षा भी ऐसा ही एक विशेषाधिकार है, लेकिन जब संसद के नियमों और मर्यादा के गंभीर उल्लंघन का मामला हो तब संसद निष्कासन का कदम भी उठाती है.
शुरुआत ही बनी मिसाल
शुरुआत आजादी के तुरंत बाद ही हो गई थी. आजादी के बाद गठित हुई अस्थायी संसद के सदस्य कांग्रेस नेता हुच्चेश्वर गुरुसिद्ध मुद्गल पर 1951 में आरोप लगा था कि उन्होंने संसद में सवाल पूछने के लिए पैसे लिए थे. एक संसदीय समिति के आरोपों की पुष्टि करने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू मुद्गल को निष्कासित करने का प्रस्ताव लाए, लेकिन मुद्गल ने प्रस्ताव पारित होने से पहले ही संसद से इस्तीफा दे दिया.
आपातकाल के दौरान
1976 में आपातकाल के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी जन संघ के सदस्य थे. वो आपातकाल के खिलाफ एक सक्रीय कार्यकर्ता थे जैसी वजह से उन्हें विदेश में "भारत विरोधी प्रोपगैंडा" फैलाने के लिए राज्य सभा से निष्कासित कर दिया गया था.
पूर्व प्रधानमंत्री निष्कासित
आपातकाल खत्म होने के बाद जब चुनाव हुए और जनता पार्टी की सरकार बनी तब नवंबर 1977 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर लोक सभा में पूछे गए एक सवाल का जवाब देने के लिए जानकारी इकठ्ठा करने गए अधिकारियों को धमकाने और उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने के लिए लोक सभा से निष्कासित कर दिया गया था. हालांकि एक महीने बाद लोक सभा ने ही उनका निष्कासन वापस भी ले लिया था.
एक प्रकरण, 11 सांसद
दिसंबर 2005 में 54 साल पुराने एच जी मुद्गल जैसा मामला दोबारा सामने आया. एक टीवी चैनल द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में कई पार्टियों के 11 सांसद संसद में सवाल पूछने के लिए पैसे लेते हुए नजर आए. इनमें से 10 लोक सभा के सदस्य थे और एक राज्य सभा का. सभी को उनके सदनों से निष्कासित कर दिया गया.
सांसद निधि में भ्रष्टाचार
2005 में ही एक और स्टिंग ऑपरेशन में सात सांसद सांसद निधि से पैसे जारी करवाने के लिए ठेकेदारों इत्यादि से पैसे लेने की चर्चा करते नजर आए. इसमें भी लोक सभा और राज्य सभा दोनों के सदस्य शामिल थे. लोक सभा के सदस्यों को चेतावनी दी है लेकिन राज्य सभा के तत्कालीन सदस्य साक्षी महाराज को निष्कासित कर दिया गया.