किस देश में चुनावों पर होता है सबसे ज्यादा खर्च
लोक सभा चुनाव हों या विधान सभा चुनाव या स्थानीय निकायों के चुनाव, भारत में चुनावों में बेतहाशा खर्च किया जाता है. लेकिन क्या ऐसा सिर्फ भारत में होता है? आइए जानते हैं इस मामले में बाकी दुनिया का हाल.
भारत का सबसे महंगा चुनाव
कुछ लोगों का मानना है कि भारत में 2019 में हुए लोक सभा चुनाव देश के इतिहास में सबसे महंगे चुनाव थे. निजी संस्था सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के मुताबिक इन चुनावों में 600 अरब रुपये, या उस समय के हिसाब से आठ अरब डॉलर से थोड़ा ज्यादा, खर्च हुए.
अमेरिका, 2016
स्वतंत्र शोध संस्था सेंटर फॉर रेस्पॉन्सिव पॉलिटिक्स (सीआरपी) ने अनुमान लगाया है कि अमेरिका में 2016 में हुए चुनावों में लगभग भारत जितना ही, यानी करीब आठ अरब डॉलर, खर्च हुआ.
अमेरिका, 2020
सीआरपी के अनुमान के मुताबिक 2020 में अमेरिका में हुए चुनावों में 16 अरब डॉलर से भी ज्यादा खर्च हुए. यह संभवतः पूरी दुनिया में सबसे महंगे चुनाव थे.
अमेरिका, 2022
स्वतंत्र शोध संस्था सेंटर फॉर रेस्पॉन्सिव पॉलिटिक्स (सीआरपी) ने अनुमान लगाया है कि अमेरिका में 2022 में हुए मध्यावधि चुनावों में करीब नौ अरब डॉलर खर्च हुए हैं. इसमें से जॉर्जिया में सीनेट की सीट के लिए हुआ चुनाव सबसे ज्यादा महंगा रहा. यहां 40 करोड़ डॉलर से भी ज्यादा खर्च किया गया.
ब्राजील
ब्राजील में 2022 में हुए चुनावों में वहां की स्थानीय मुद्रा रियाइस में 12.6 अरब खर्च हुआ, जो करीब 2.4 अरब डॉलर के बराबर है. अनुमान है कि वोटरों को लुभाने के लिए जो रकम खर्च हुई उसे मिला दें तो यह धनराशि काफी ज्यादा हो जाएगी.
ब्रिटेन
इन सबकी तुलना में कई अमीर देशों में चुनावी अभियान पर इतना खर्च नहीं होता. जैसे ब्रिटेन में 2019 में हुए संसदीय चुनावों में अभियान बस महीने भर से थोड़े ज्यादा समय तक चला और उम्मीदवारों द्वारा किए जाने वाले खर्च पर कड़ा नियंत्रण रखा गया. ब्रिटेन के चुनाव आयोग के मुताबिक 2019 के चुनावों में करीब 5.6 करोड़ पौंड या करीब 6.8 करोड़ डॉलर खर्च हुए.
फ्रांस
फ्रांस में भी चुनावी खर्च पर कड़ा नियंत्रण है. सरकारी आंकड़ों की मानें तो 2022 में हुए राष्ट्रपति पद के चुनावों में सभी उम्मीदवारों ने कुल मिला कर 8.3 करोड़ यूरो या करीब 8.8 करोड़ डॉलर खर्च किए. राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रों ने सबसे ज्यादा, 1.67 करोड़ यूरो, खर्च किए. (रॉयटर्स)