बड़ी गजब की इंजीनियर होती हैं चींटियां
आम बोलचाल में किसी को कमजोर और मामूली दिखाने के लिए लोग चींटी की उपमा देते हैं. जबकि चींटियां मामूली तो कतई नहीं होतीं. ये नन्ही-सी चैंपियन ईकोसिस्टम की इंजीनियर हैं. चींटियां इतना काम करती हैं कि गिनते-गिनते थक जाएंगे.
जहां तहां, मत पूछो कहां कहां
चींटी को आप ग्लोबल सिटीजन कह सकते हैं. बर्फीला आर्कटिक हो या वर्षावन, चींटियां हर परिवेश में पाई जाती हैं. हालांकि कुछ अपवाद भी हैं जहां ये नहीं पाई जातीं, जैसे अंटार्कटिक और आइसलैंड. हमें चींटियों की 12 हजार से ज्यादा प्रजातियों की जानकारी है, लेकिन अभी कई प्रजातियों को खोजा जाना बाकी है.
इतनी डायवर्सिटी!
चींटियों की सबसे ज्यादा विविधता अमेजन जंगलों और ब्राजीलियन सवाना में पाई जाती है. भांति-भांति की चींटियों की जैसे अपनी अलग ही दुनिया है, जो बेहद समृद्ध और विविध है. कुछ काली, कुछ लाल, कुछ पीली, कई चींटियां भूरी, तो कुछ मिले-जुले रंग की भी होती हैं. कुछ चींटियां मिट्टी में रहती हैं, कुछ पत्तों पर, तो कई हमारे घरों में घूमती मिलती हैं.
चींटी का रेशम
चींटियों के स्वभाव में भी बड़ी वैरायटी है. जैसे कार्पेंटर ऐंट, जो लकड़ी तराशकर घर बनाती हैं. एक होती है स्लेव-मेकिंग ऐंट, जो चींटियों की दूसरी प्रजातियों के बच्चे पकड़कर उन्हें अपना गुलाम बनाती हैं और काम करवाती हैं. हार्वेस्टर प्रजाति की चींटी तो किसानों जैसी होती है. वो बीज जमा करती है. वीवर चींटी घोंसला बुनती है और अपने मुंह से रेशम निकालकर उससे घोंसला सीती है.
चींटी एक सामाजिक प्राणी है...
"सामाजिक जीव," ये शब्द जैसे चींटियों के लिए बना है. कई बार तो चींटियों के एक मुहल्ले में लाख-दो लाख नहीं, बल्कि दसियों लाख चींटियां साथ रहती हैं. चींटियों का संसार हम इंसानों की तरह पुरुषसत्तात्मक नहीं होता. यहां मादाओं का दबदबा है. चाहे खाना लाना हो, दुश्मन से लड़ना हो, चींटियां सारे काम मिलकर करती हैं. वो अपने घायल साथियों का इलाज भी करती हैं.
मजदूर चींटियां
चींटी सेना की मुखिया होती है, रानी चींटी. कुछ चींटियां सैनिक की भूमिका निभाती हैं, बाकी चींटियां मजदूर होती हैं. ये कामगार चींटियां बड़ी मेहनती होती हैं. वो बड़ी रानी चींटियों और उनके अंडों की देखभाल करती हैं. खाना भी खोजकर लाती हैं. नर चींटों का काम बस इतना है कि रानी के साथ मेटिंग करें और दुनिया से विदा हो जाएं.
स्मार्ट वर्क
चींटियां, साथी चींटियों को देखकर सीखती और फैसला लेती हैं. मसलन, सारी कामगार चींटियां एकसाथ खाना खोजने नहीं जाती हैं. अगर उनसे पहले निकलीं साथी चींटियां बहुत सारा खाना लेकर लौटें, तो मुहल्ले में मौजूद बाकी कामगार चींटियों को समझ आता है कि कहीं कुछ अच्छा हाथ लगा है. फिर वो भी उसी दिशा में खाना लेने भागती हैं. यानी हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क, दोनों.
धरती के कितने काम की आती हैं चींटियां
चींटियां अनाज, सब्जी, पत्ते जैसी ऑर्गेनिक चीजों को डीकंपोज करने, यानी उन्हें सड़ाने में अहम भूमिका निभाती हैं. जब वो मिट्टी खोदकर भीतर-भीतर अपनी कॉलोनी बनाती हैं, तब वो मिट्टी में ऑक्सीजन का संचार बढ़ाती हैं. इससे मिट्टी की सेहत दुरुस्त होती है और वो उपजाऊ बनती है.
ईकोसिस्टम की इंजीनियर
पौधे और जानवर, मिट्टी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों को इस्तेमाल करते हैं. फिर उनके मरने, खत्म होने और फिर सड़ने से ये पोषक तत्व वापस पर्यावरण में मिल जाते हैं. इसे न्यूट्रिएंट साइक्लिंग कहते हैं. इसमें अहम भूमिका निभाने के कारण चींटियों को ईकोसिस्टम का इंजीनियर कहा जाता है.
पेस्ट कंट्रोल
वो बड़ी मात्रा में न्यूट्रिएंट्स खाती हैं और उनका पुनर्वितरण भी करती हैं. वो मरे हुए जानवरों को खाकर डिकंपोजिशन को बढ़ाती हैं. साथ ही, कीड़े-मकोड़ों को खाकर वो पेस्ट कंट्रोल भी करती हैं. चीन में तो सदियों से पेस्ट कंट्रोल के लिए चींटियां पाली जाती हैं.
संतरे को बचाने वाली चींटियां
बायोसाइंस जर्नल की एक रिपोर्ट में 1915 का एक वाकया दर्ज है, जब अमेरिकी कृषि विभाग ने कुछ विशेषज्ञों को चीन भेजा. उन्हें संतरे की ऐसी किस्में खोजनी थीं, जिन पर सिट्रस कैंकर नाम के कीड़ों का असर ना हो. उन्हें चीन में एक गांव मिला, जिनका मुख्य पेशा चींटी पालना था. वो रेशम के कीड़े पालते थे और उन्हें चींटियों को खिलाते थे. फिर वो मोटी रकम लेकर संतरा उगाने वाले किसानों को बेच देते थे.
पौधों और चींटियों का करीबी रिश्ता
पौधों की कई प्रजातियां बीजों के वितरण के लिए चींटियों पर निर्भर हैं. सीड डिस्पर्सल की यह प्रक्रिया पौधों की प्रजातियों के अस्तित्व के लिए बहुत जरूरी है. एक ही प्रजाति के पौधे बहुत करीब उगेंगे, तो मिट्टी से एक जैसे पोषक तत्व खींचेंगे. पानी के लिए होड़ मचेगी. बीज फैलने से पौधे बड़े इलाके में फैलते हैं. उनके फलने-फूलने की संभावना बढ़ती है.
धरती पर कितनी चींटियां होंगी?
अंदाजा लगाइए, कितनी चींटियां रहती होंगी इस ग्रह पर. कुछ साल पहले वैज्ञानिकों ने एक अनुमान दिया. उन्होंने कहा, दुनिया में लगभग 20 मिलियन बिलियन (टाइपो नहीं है) चींटियां होंगी. इतनी बड़ी गिनती आसानी से समझने के लिए बस इतनी कल्पना कीजिए कि पृथ्वी पर जितने इंसान हैं, उनमें से हर एक के मुकाबले तकरीबन 25 लाख चींटियां. तो अब कभी चींटी को मामूली समझने की गलती मत कीजिएगा.