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क्या है रूस का 'विदेशी एजेंट' कानून

४ फ़रवरी २०२२

रूस में कई संगठनों और अपने काम के लिए विदेशों से पैसा पाने वाले लोगों को 'विदेशी एजेंट' का स्टेटस लगाना पड़ता है. यह शब्द एक तरह का शक पैदा करता है. इसी का सहारा लेकर रूस सरकार कुछ लोगों और संगठनों पर कार्रवाई करती है.

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मॉस्को में प्रेस की आजादी के लिए प्रदर्शन
मॉस्को में प्रेस की आजादी के लिए प्रदर्शनतस्वीर: Denis Kaminev/AP Photo/picture alliance

रूस में 'फॉरेन एजेंट' लॉ 2012 में आया. तब इस कानून के दायरे में विदेशों से वित्तीय मदद या चंदा पाने वाले एनजीओ थे. लेकिन दिसंबर 2019 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक नए अध्यादेश पर दस्तखत किए. इसके जरिए 'फॉरेन एजेंट' लॉ का कानूनी दायरा फैला दिया गया.

अब रूस में विदेश से मिली वित्तीय मदद से 'प्रिंट, ऑडियो, ऑडियो विजुअल, अन्य रिपोर्टें या मैटीरियल' प्रकाशित करने वाला कोई भी व्यक्ति या संगठन 'फॉरेन एजेंट' कहलाएगा. इस तरह के कंटेंट के प्रकाशन के बदले विदेशी सरकार, संस्था या फिर नागरिक से पैसा लेने वाले लोग या संगठन, विदेशी एजेंट करार दिए जाते हैं.

रूस के सबसे पुराने मानवाधिकार संगठनों में एक को विदेशी एजेंट करार दिए जाने के बाद मॉस्को में प्रदर्शन
रूस के सबसे पुराने मानवाधिकार संगठनों में एक को विदेशी एजेंट करार दिए जाने के बाद मॉस्को में प्रदर्शनतस्वीर: Gavriil Grigorov/TASS/dpa/picture alliance

विदेशी एजेंट कानून के नतीजे

एक बार विदेशी एजेंट का चस्पा लगते ही, इसके दायरे में आने वाले संस्थानों और लोगों को अपनी प्रकाशित सामग्री में फॉरेन एजेंट टैग करना होता है. सोशल मीडिया पोस्ट में भी उन्हें डिस्क्लेमर के तौर पर फॉरेन एजेंट का स्टेटस लिखना पड़ता है. फॉरेन एजेंट के दायरे में आने वाले संस्थानों और लोगों को हर छह महीने में अपनी गतिविधियों की फाइनेंशियल स्टेटमेंट और रिपोर्ट्स जमा करनी होती हैं. साथ ही उनका वार्षिक ऑडिट भी होता है.

रूस में 'फॉरेन एजेंट' शब्द नकारात्मक भाव पैदा करता है. सोवियत संघ के समय से ही विदेशी एजेंट को जासूसी से जोड़कर देखा जाता है. यह शब्द सोवियत काल में राजनीतिक विरोधियों के लिए इस्तेमाल किया जाता था. फॉरेन एजेंट करार दिए जाने वाले लोगों या संगठनों से एडवर्टाइजर्स भी दूरी बनाने लगते हैं. माना जाता है कि विदेशी एजेंट रूसी सरकार को नापसंद हैं. 

रूस के नागरिक अधिकार संगठन, फॉरेज एजेंट लॉ को लेकर यह चिंता जताते हैं कि कुछ पत्रकारों, मानवाधिकारों की वकालत करने वालों और आलोचकों के खिलाफ इसे इस्तेमाल किया जा सकता है. रूस सरकार कहती है कि कानून का मकसद सेंसरशिप थोपना नहीं है. राष्ट्रपति पुतिन कहते हैं कि यह कानून रूस को विदेशी दखलंदाजी से बचाने के लिए है.

पुसी रायट की सदस्य नादेजहदा तोलोकोनिकोवा भी विदेशी एजेंटों की लिस्ट में
पुसी रायट की सदस्य नादेजहदा तोलोकोनिकोवा भी विदेशी एजेंटों की लिस्ट मेंतस्वीर: Agustin Marcarian/REUTERS

 

'विदेशी एजेंट' की लिस्ट में कौन कौन है

दिसंबर 2021 में पंक एक्टिविस्ट ग्रुप, पुसी रायट के दो सदस्यों को फॉरेन एजेंट की सूची में डाला गया. पुसी रायट, पंक म्यूजिक के जरिए नारीवाद, नागरिक अधिकार और राजनीतिक मुद्दों को उठाता है. पुतिन और रूसी सरकार की कटु आलोचना के लिए भी पुसी रायट मशहूर है.

दिसंबर में ही रूसी प्रशासन ने देश के सबसे पुराने मानवाधिकार संगठनों में एक, मेमोरियल ह्यूमन राइट्स सेंटर को भी विदेशी एजेंट की लिस्ट में डाल दिया. संगठन की कई सोशल मीडिया पोस्टों पर स्टेटस में फॉरेन एजेंट नहीं लिखा था, इसी को मुद्दा बनाकर उसके खिलाफ कार्रवाई की गई.

रूसी मानवाधिकार समूह 'मेमोरियल' के बंद होने की दुनिया में आलोचना

इन दोनों मामलों से एक महीने पहले नवंबर 2021 में पुतिन के धुर आलोचक आलेक्सी नवाल्नी का बचाव करने वाले शीर्ष मानवाधिकार वकील इवान पावलोव को भी विदेशी एजेंट करार दिया गया. 1990 के दौर में कठपुतलियों के खेल के जरिए राजनीतिक मुद्दे उठाने वाले पत्रकार व व्यंग्यकार विक्टोर शेंदेरोविच को भी रूसी न्याय मंत्रालय विदेशी एजेंट्स की सूची में डाल चुका है. फिलहाल इस सूची में 111 नाम हैं. 2020 के अंत तक इस लिस्ट में केवल 17 नाम थे.

3 फरवरी 2022 को रूसी विदेश मंत्रालय ने जर्मनी के अंतरराष्ट्रीय प्रसारक डॉयचे वेले को विदेशी एजेंट लिस्ट में डालने की कार्रवाई शुरू करने का एलान किया. इस घोषणा से पहले रूसी सरकार ने राजधानी मॉस्को में डीडब्ल्यू का ब्यूरो बंद करवा दिया.

रिपोर्ट: सोनिया फाल्निकर