1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मुश्किलों में फंसे इमरान, क्यों लगा रहे हैं पश्चिम पर इल्जाम

हारून जंजुआ (इस्लामाबाद से)
१ अप्रैल २०२२

पाकिस्तान की संसद में चार अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होना है. माना जा रहा है कि इमरान खान बहुमत खो चुके हैं. यह पाकिस्तान को मध्य-अवधि चुनाव और राजनैतिक अस्थिता की ओर ले जा सकता है.

https://p.dw.com/p/49LRY
राजनैतिक मुश्किलों में फंसे इमरान खान का साथ देती नजर नहीं आ रही पाकिस्तान की सेना.
राजनैतिक मुश्किलों में फंसे इमरान खान का साथ देती नजर नहीं आ रही पाकिस्तान की सेना.तस्वीर: Anjum Naveed/AP/picture alliance

देश में फैली अस्थिरता के बीच पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने दावा किया है कि उनकी सरकार गिराने के लिए एक विदेशी साजिश रची जा रही है. इमरान इस वक्त पाकिस्तानी संसद में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रहे हैं. इस प्रस्ताव पर वोटिंग होनी है और उनके गठबंधन में शामिल पार्टियां लगातार साथ छोड़कर जा रही हैं.

रविवार को हुई एक रैली में इमरान ने "विदेशी शक्ति" से मिले एक कथित "लेटर" को षड्यंत्र के सबूत की तरह पेश किया था. हल्के दक्षिणपंथी रुझान वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने विपक्षी पार्टियों पर आरोप लगाया कि वे पश्चिम (पश्चिमी देशों) के साथ मिलकर उन्हें सत्ता से हटाना चाहती हैं. देश का नाम लिए बिना उन्होंने कहा, "हमें लिखित में धमकाया गया है, लेकिन हम राष्ट्रहितों के साथ समझौता नहीं करेंगे."

बुधवार को इमरान ने कुछ स्थानीय पत्रकारों से इस पत्र का जिक्र तो किया, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का हवाला देते हुए, उन्हें यह पत्र नहीं दिखाया.

इमरान की कैबिनेट में सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने डीडब्ल्यू से कहा कि "यह पत्र काफी गंभीर और धमकी भरा है"

इमरान की अपनी पार्टी के बहुत से नेता आज उन्हें अकेला छोड़ कर विपक्ष का साथ दे रहे हैं.
इमरान की अपनी पार्टी के बहुत से नेता आज उन्हें अकेला छोड़ कर विपक्ष का साथ दे रहे हैं. तस्वीर: Anjum Naveed/AP/picture alliance

"विदेशी साजिश"

इमरान के समर्थक दावा कर रहे हैं कि अमेरिका उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है. वहीं अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इस खबरों को खारिज किया है और कहा कि "इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है." विश्लेषक कहते हैं कि इमरान पश्चिम पर आरोप लगाकर जनता को विपक्ष के खिलाफ करना चाहते हैं. भारत और जर्मनी में पाकिस्तान के राजदूत रहे अब्दुल बासित ने डीडब्ल्यू से कहा, "विदेश नीति को सार्वजनिक करना घातक हो सकता है. इस मामले में सरकार की पोजिशन पाकिस्तान को नुकसान पहुंचा रही है." बासित ने कहा कि कूटनीतिक आदर्श विदेशी अधिकारियों को दूसरे देशों और उनकी सरकारों के बारे में बयानबाजी करने की इजाजत नहीं देते.

27 मार्च को इस्लामाबाद में हुई इमरान खान की रैली का नजारा.
27 मार्च को इस्लामाबाद में हुई इमरान खान की रैली का नजारा. तस्वीर: Aamir Qureshi/AFP/Getty Images

बतौर प्रधानमंत्री, अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल में यह इमरान का सबसे मुश्किल इम्तिहान है. उनकी अपनी पार्टी, तहरीक-ए-इंसाफ समेत सत्तारूढ़ गठबंधन के कई अहम साथी, चार अप्रैल को उनके खिलाफ पाकिस्तानी संसद में प्रस्तावित अविश्वास वोट में उनके खिलाफ दिख रहे हैं.

विपक्षी पार्टियों ने इमरान पर आर्थिक बदइंतजामी और विपक्षी राजनेताओं समेत सिविल सोसाइटी एक्टिविस्टों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है. साल 2018 में जब से इमरान ने देश की कमान संभाली है, महंगाई और बेरोजगारी कई गुना बढ़ चुकी है.

अमेरिका का विरोध करते इमरान

विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान मध्य-अवधि चुनाव की ओर बढ़ रहा है, फिर चाहे अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग का जो भी नतीजा आए. इमरान को उम्मीद है कि अगर देश चुनाव की ओर बढ़ता है तो उनका अमेरिका विरोधी एजेंडा उन्हें सत्ता में बनाए रखने के लिए मदद कर सकता है. वॉशिंगटन स्थित वूड्रो विल्सन सेंटर फॉर स्कॉलर्स में दक्षिण एशिया के विशेषज्ञ माइकल कुगलमैन ने कहा, "मैं हैरान होउंगा अगर किसी अन्य देश की आज कल पाकिस्तान में इतनी रुचि हो कि वो इमरान खान को हटाने के लिए प्रयास करने का इच्छुक हो जाए." उन्होंने कहा, "कोई पिछले समय में अमेरिका की दखलंदाजी के बारे में बात कर सकता है, लेकिन जो कुछ इस समय उसके (अमेरिका) के पास है करने के लिए, यह बड़ा सवालिया निशान है कि वह पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति को अचानक खास अहमियत क्यों देगा."

बीते एक साल में इमरान खान के खिलाफ विपक्ष ने लगातार बहुत से प्रदर्शन किए हैं. आठ मार्च को इस्लामाबाद में आयोजित पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की एक रैली की तस्वीर.
बीते एक साल में इमरान खान के खिलाफ विपक्ष ने लगातार बहुत से प्रदर्शन किए हैं. आठ मार्च को इस्लामाबाद में आयोजित पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की एक रैली की तस्वीर.तस्वीर: Aamir Qureshi/AFP/Getty Images

पाकिस्तानी राजनैतिक समीक्षक मुशर्रफ जैदी कहते हैं कि "प्रधानमंत्री ने अगले चुनाव के लिए सीधे तौर पर पश्चिम विरोधी मंच चुन लिया है."

(ये भी पढ़ें- इमरान खान ने अब क्यों की भारत की तारीफ?)

इमरान ने फरवरी के आखिर में रूस की यात्रा की थी. और यूक्रेन पर हमले के दिन ही राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी. तब से खान खुद को "पश्चिम विरोधी" नेता के तौर पर पेश कर रहे हैं. इस तरह से दिखा रहे हैं कि वो ही हैं जो साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत रखते हैं.

24 फरवरी 2022 को मॉस्को में मुलाकात करते रूसी राष्ट्रपति पुतिन और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान
24 फरवरी 2022 को मॉस्को में मुलाकात करते रूसी राष्ट्रपति पुतिन और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खानतस्वीर: Mikhail Klimentyev/Sputnik/Getty Images/AFP

कुगलमैन ने जोर दिया कि " हाल के हफ्तों में इमरान ने करीब-करीब पहले ही कुछ देशों को अपनी पश्चिम विरोधी आलोचना के चलते चिढ़ा दिया है. मुझे लगता है कि इस संदेश से पाकिस्तानी सेना भी नाखुश है. पाकिस्तानी सरकार के मुकाबले, पाकिस्तानी जनरल अमेरिका के साथ साझेदारी बनाए रखने के विचार पर ज्यादा रजामंद नजर आते हैं."

मैदान में अकेले इमरान

पाकिस्तानी सेना का इस मामले में अब तक उदासीन रवैया ही दिखा है. समीक्षक मानते हैं कि इस बात ने इमरान को और संकट की स्थिति में डाल दिया है क्योंकि पिछले संघर्षों की काट निकालने के लिए उन्होंने जनरलों की मदद लेने की कोशिश की थी. कुगलमैन कहते हैं कि "मुझे नहीं लगाता इस मौके पर खान के बचाव की उम्मीद सेना से की जा सकती है. उनका आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा के साथ रिश्ता शायद की कभी ठीक हो पाए, और आर्मी का बड़ा हिस्सा भी इमरान से खुश नहीं है. तो इमरान अब खुद के भरोसे ही हैं."