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मेक्सिको से पहले अहमदाबाद में खड़ी हो गई ट्रंप के लिए दीवार

१४ फ़रवरी २०२०

अहमदाबाद में डॉनल्ड ट्रंप के स्वागत की तैयारी जोरों पर हैं. लेकिन एयरपोर्ट से सरदार वल्लभभाई पटेल स्टेडियम के रास्ते आने वाली झुग्गी-झोपड़ियों को छिपाने के लिए दीवार बनाने से सवाल उठ रहे हैं.

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Frankreich G7-Gipfel in Biarritz | Donald Trump & Narendra Modi
तस्वीर: Reuters/C. Barria

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पहली बार भारत दौरे पर 24 फरवरी को पहुंचने वाले हैं. उनके साथ उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप भी होंगी. ट्रंप दो दिवसीय दौरे के दौरान दिल्ली और अहमदाबाद में कार्यक्रम में शामिल होंगे. गुजरात के अहमदाबाद में डॉनल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी के स्वागत की खास तैयारी हो रही है.

सरदार वल्लभभाई पटेल स्टेडियम में ट्रंप और मोदी, 'केम छो ट्रंप' कार्यक्रम में शामिल होंगे. दोनों नेता स्टेडियम में साझा रैली को भी संबोधित कर सकते हैं. सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को इंदिरा ब्रिज से जोड़ने वाले रास्ते के किनारे झुग्गी बस्ती है, जिसमें करीब 800 परिवार रहते हैं. ट्रंप की यात्रा से ठीक पहले इन झुग्गी बस्ती के सामने एक दीवार बनाए जाने से विवाद हो रहा है. इस दीवार का निर्माण अहमदाबाद नगर निगम करा रहा है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक दीवार 400 मीटर लंबी है और 6 फीट ऊंची है.

ट्रंप इसी रास्ते से 'केम छो ट्रंप' कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जाएंगे. कहा जा रहा है कि उनकी नजर इन झुग्गी बस्ती पर ना पड़े, इसलिए दीवार खड़ी की जा रही है. हालांकि वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि दीवार झुग्गी बस्ती छिपाने के लिए नहीं बल्कि सुरक्षा कारणों से बनाई जा रही है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दीवार बनाने वाले ठेकेदार ने कहा, "सरकार नहीं चाहती कि ट्रंप जब यहां से गुजरें तो उनकी नजर इन झुग्गियों पर पड़े."

गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार रथीन दास ने डीडब्ल्यू से कहा, "यह कोई नई चीज नहीं है, बाहर से आने वाले राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान कपड़े लगाए जाते हैं. लेकिन इस बार एक कदम आगे बढ़ते हुए दीवार खड़ी की जा रही है. झुग्गी बस्ती को छिपाने के लिए वाइब्रेंट गुजरात के समय भी कपड़े लगाए जाते रहे हैं. लेकिन इस दौर में सोशल मीडिया काफी ताकतवर हो गया है और इसे छिपाया नहीं जा सकता है. झुग्गी बस्ती को इस तरह से छिपाना एक मानसिकता को दर्शाता है."

गौरतलब है कि इससे पहले भी विदेशी मेहमानों की यात्रा के दौरान झुग्गियों को हरे पर्दे से छिपा दिया गया था. जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू के समय भी पर्दे का इस्तेमाल किया गया था. दीवार बनाने को लेकर झुग्गी बस्ती में रहने वाले कुछ लोगों का कहना है कि गरीबी छिपाने के लिए सरकार करदाताओं के पैसे बर्बाद कर रही है. तीन दशकों से यहां रहने वाले पर्वतभाई मफतभाई ने रॉयटर्स से कहा, "गरीबी और झुग्गी हमारे जीवन की सच्चाई है लेकिन मोदी सरकार गरीबों को छिपाना चाहती है."

दीवार बनाने वाले ठेकेदार ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा, "मुझे जल्द से जल्द दीवार बनाने का आदेश दिया गया है. 150 से अधिक मिस्त्री दिन-रात काम पूरा करने के लिए लगे हुए हैं." वहीं सरकारी अधिकारियों की दलील है कि यह दीवार सौंदर्यीकरण और स्वच्छता अभियान का हिस्सा है. दूसरी ओर कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी दीवार के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते हुए ट्वीट किया, "यही तो है साहेब का गुजरात मॉडल, विकास करने की बजाय पिछड़ेपन को ढंक कर आंखों से ओझल कर दो. हर अप्रिय विषय और विफलता को ढंक कर ही तो यहां तक पहुंचे हैं! सही है, मोदी है तो मुमकिन है."

गुजरात के एक निजी विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और सामाजिक कार्यकर्ता प्रीति दास कहती हैं, "पहले तो पर्दे लगाए जाते थे लेकिन अब दीवार खड़ी की जा रही है. वैसे भी धारा 144 की वजह से कोई भी विरोध नहीं कर पाता है. मेक्सिको में दीवार बनाने के पहले गुजरात में दीवार खड़ी हो गई."

पिछले साल सितंबर में अमेरिका के ह्यूस्टन में नरेंद्र मोदी ने 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम को संबोधित किया था. इस कार्यक्रम में ट्रंप भी शामिल हुए थे. नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर ट्रंप वहां बसे हजारों भारतीय अमेरिकी लोगों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर सकते हैं.

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