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राजनीतिऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया के एक राज्य में स्वास्तिक पर बैन

विवेक कुमार
२७ जून २०२२

ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया राज्य ने नाजी प्रतीक स्वास्तिक पर प्रतिबंध लगा दिया है. लेकिन हिंदू, जैन, बौद्ध और अन्य कुछ समुदायों को इसके प्रयोग की छूट दी गई है.

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नियो नाजी प्रतीक
नियो नाजी प्रतीकतस्वीर: Wassmuth Center for Human Rights via AP/picture alliance

ऑस्ट्रेलिया का विक्टोरिया नाजी स्वास्तिक को प्रतिबंधित करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. देश का सबसे बड़ा राज्य न्यू साउथवेल्स भी इस प्रतीक पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है. लेकिन देश के हिंदू समुदाय में इसे लेकर बेचैनी है.

करीब एक साल चली बहस और विभिन्न समुदायों के साथ विचार-विमर्श के बाद लाया गया बिल विक्टोरिया राज्य की संसद ने पिछले हफ्ते पास कर दिया जिसके तहत राज्य में नाजी प्रतीकों का प्रदर्शन अपराध बन गया है. समरी ऑफेंसेज अमेंडमेंट (नाजी सिंबल प्रोहिबिशन) बिल 2002 को मंगलवार को संसद की अनुमति मिल गई.

इस बिल के तहत नाजी स्वास्तिक के रूप में जाना जाने वाला प्रतीक चिन्ह हाकेनक्रोएत्स प्रदर्शित करना अपराध होगा और इसके लिए 22,000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर यानी लगभग 12 लाख रुपये का जुर्माना या 12 महीने की कैद अथवा दोनों सजाएं हो सकती हैं.

मंगलवार को इस बिल के पारित होने की घोषणा करते हुए राज्य सरकार ने कहा, "यह पल एक मील का पत्थर है और स्पष्ट संदेश देता है कि नाजी प्रतीक के जरिए नाजी और नियो-नाजी विचारधारा के प्रसार की विक्टोरिया में कोई जगह नहीं है."

विक्टोरिया के बहुसांस्कृतिक मामलों के मंत्री रॉस स्पेंस ने कहा, "ये कानून एंटीसिमेटिजम नफरत और नस्लवादी को चुनौती देने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का ही एक हिस्सा हैं."

हिंदू स्वास्तिक को विशेष छूट

विक्टोरिया के बिल में हिंदू, बौद्ध, जैन और अन्य धर्मों के मानने वालों की भावनाओं को विशेष महत्व दिया गया है और इस बात को माना गया है कि उनके लिए स्वास्तिक चिन्ह का धार्मिक महत्व है. इसलिए यह बात स्पष्ट तौर पर कही गई है कि बिल ‘स्वास्तिक को इस तरह के सांस्कृतिक और धार्मिक प्रायोजनों में इस्तेमाल से प्रतिबंधित नहीं करता है.'

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स्वास्तिक पर प्रतिबंध की बात चलने के बाद से ही ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों ने चिंता जाहिर करनी शुरू कर दी थी. ऐसे मामले सामने आ चुके थे जब अपने वाहनों पर स्वास्तिक का निशान बनाने के कारण कुछ हिंदुओं को परेशानी झेलनी पड़ी. इस वजह से जब नाजी स्वास्तिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रयास शुरू हुए तो इन समुदायों ने अपनी चिंताएं सरकार से साझा की थीं.

विक्टोरिया सरकार ने सभी समुदायों से लंबी बातचीत की ताकि इस विषय को संवेदनशीलता से समझा जा सके और मसले का हल निकाला जा सके. उस बातचीत में शामिल रहे एक संगठन हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स के प्रवक्ता कहते हैं कि यह कानून स्वागतयोग्य है क्योंकि यह "नियो नाजीवाद और नस्लवाद से लड़ने का" एक तरीका है.

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प्रवक्ता ने कहा, "हम इस बात का आदर करते हैं कि कानून में हिंदू, जैन, बौद्ध और अन्य समुदाय के लोगों के लिए स्वास्तिक के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को विशेष स्थान दिया गया है. इसलिए हम सरकार द्वारा इन प्रसंगों में स्वास्तिक के प्रयोग की इजाजत देने का स्वागत करते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि यह नपा-तुला फैसला और ज्यादा जागरूकता, संवेदनशीलता और समझ बढ़ाएगा ताकि हम एंटीसेमिटिजम, नफरत और नस्लवाद के खिलाफ मिलकर खड़े हो सकें."

पहले जागरूकता फिर प्रतिबंध

यह कानून छह मीहने के भीतर लागू हो जाएगा और तब तक इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाया जाएगा. राज्य सरकार का कहना है कि नफरत के प्रतीक चिन्हों पर नजर रखी जाएगी और भविष्य में ऐसे और प्रतीकों को भी कानून के दायरे में लाया जा सकता है.

राज्य की अटॉर्नी जनरल जैकलिन साइम्स ने कहा, "यह गर्व की बात है कि ऐसे कानून द्वीपक्षीय समर्थन के साथ पास हो रहे हैं. मुझे इस बात की खुशी है कि हम चाहे राजनीति के किसी भी पक्ष में हों, इस बात पर सहमत हो सकते हैं कि नफरत भरा व्यवहार स्वीकार नहीं किया जाएगा."

ऑस्ट्रेलिया के अन्य राज्य भी नाजी स्वास्तिक को बैन करने के लिए कानून लाने पर विचार कर रहे हैं. देश के सबसे बड़े राज्य न्यू साउथ वेल्स ने तो इस बारे में बिल भी पेश कर दिया है. मंगलवार को ही, जब विक्टोरिया में बिल पारित हुआ, तब न्यू साउथ वेल्स में ऐसा ही बिल पेश किया गया. क्वींसलैंड और तस्मानिया भी ऐसे ही बिल लाने का ऐलान कर चुके हैं.

नाजी स्वास्तिक पर प्रतिबंध के लिए पांच साल से अभियान चला रहे अवमानना-विरोधी आयोग के अध्यक्ष डा. दवीर अब्रामोविच ने इस कानून का स्वागत किया है. मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, "इस शानदार और बहुत मेहनत के बाद हासिल किए गए क्षण के लिए हमने सालों तक प्रयास किया है. यह भाग्यशाली दिन एक लंबे संघर्ष का परिणाम है." अब्रामोविच ने कहा कि उनका काम अभी पूरा नहीं हुआ है और लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने के लिए उन्हें और ऐसी ही कई विजयों का इंतजार है.

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