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घरेलू हिंसा की पीड़ितों के लिए लड़ती इराकी महिला

४ जनवरी २०२२

इराक में रहने वाली अजहर उन महिलाओं को कानूनी सहायता प्रदान करती हैं जो घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं. उस हिंसा से वे खुद अच्छी तरह से वाकिफ हैं. उनके क्रूर पति के साथ अजहर का कुछ ऐसा ही अनुभव रहा है.

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तस्वीर: Ahmad al-Rubaye/Getty Images/AFP

परिवार के दबाव में शादी के लिए मजबूर की गई अजहर ने अपने पति से तलाक के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी है. 56 वर्षीय अजहर ने उस आदमी को तलाक देने के लिए लगभग एक दशक तक अदालत में लड़ाई लड़ी, जो उनकी पिटाई करता था.

पति द्वारा हमले को याद करते हुए अजहर कहती हैं, "मुझे यकीन था कि मैं मरने जा रही हूं." उनके पास शरीर पर चोटों की पुरानी तस्वीरें हैं जो वह दिखा रही हैं.

अजहर कहती हैं, "यही वह क्षण था जब मैंने अपनी जंजीरों को तोड़ने का फैसला किया." आखिरकार अजहर ने अपनी आजादी पाई और इस लड़ाई ने उन्हें कानून का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया. वे याद करती हैं, "मुझे लगता था कि मैं न्याय प्रणाली के सामने कमजोर हूं."

अजहर अब इराक में एक गैर-सरकारी संगठन की प्रमुख है जो हिंसा के शिकार लोगों को कानूनी सहायता प्रदान करता है और यह संगठन इराकी महिला नेटवर्क गठबंधन का हिस्सा है. अजहर कहती हैं, "मैं किसी भी महिला की मदद करती हूं जो हिंसा की शिकार है या जिन्हें कानूनी सहायता की जरूरत है, ताकि ये महिलाएं अपने अधिकारों के बारे में जागरूक हो सकें और अपना बचाव कर सकें."

नाबालिगों की शादी भी एक समस्या

नाबालिगों की शादी से लेकर आर्थिक दबाव तक अधिकार कार्यकर्ता अत्यधिक पितृसत्तात्मक देश में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करते हैं. वे प्रमुख बाधाओं के रूप में दमनकारी कानूनों और अधिकारियों की उदासीनता का हवाला देते हैं.

करीब चार करोड़ की आबादी वाले देश में साल 2021 में घरेलू हिंसा के 17,000 मामले दर्ज किए गए थे. एक सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार इराक में नाबालिगों की शादी बढ़ रही है. 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी पिछले साल बढ़कर 25.5 फीसदी हो गई, जो 2011 में 21.7 फीसदी थी.

सुरक्षा कारणों से अजहर अपना पूरा नाम नहीं बताना चाहती हैं, वे कहती हैं जब उनकी पहली शादी हुई तो उनकी उम्र 20 साल के करीब थी, लेकिन वह जल्द ही विधवा हो गई और सात साल बाद फिर से शादी के लिए मजबूर हो गई. उन्होंने आखिरकार अपने आठ बच्चों के साथ अपने अपमानजनक दूसरे पति को छोड़ दिया और तलाक के लिए अर्जी दी. उन्होंने बताया कि पहला जज उसके पति को जानता था और तीन चिकित्सा प्रमाणपत्रों में उसकी चोटों को साबित करने के बावजूद अर्जी को खारिज कर दिया. वो याद करती हैं कि कैसे जज ने उनसे कहा, "मैं प्रमाणपत्रों के आधार पर परिवार को नहीं तोड़ूंगा. तो क्या हुआ अगर एक आदमी अपनी पत्नी को पीटता है?"

परिवार संरक्षण इकाई के प्रमुख ब्रिगेडियर अली मोहम्मद ने कहा कि घरेलू दुर्व्यवहार के मामलों में जज अक्सर "सुलह" पर जोर देते हैं. अल-अमल संगठन की प्रमुख हाना एडवर कहती हैं "यह पीड़ित महिलाएं हैं जो कीमत चुकाती हैं." वे कहती हैं, "महिलाओं से जुड़े मामलों के लिए न्याय प्रणाली का विचार न्यायाधीशों के दिमाग पर हावी होने वाले तंत्र की तुलना में बहुत कमजोर है."

इराक में महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए कोई विशेष कानून नहीं है. 1969 की दंड संहिता में एक धारा है जो बलात्कारियों को सजा से बचने की अनुमति देती है अगर वे अपने पीड़ित से शादी करने के लिए सहमत होते हैं.

अधिकार समूह घरेलू दुर्व्यवहार पर एक मसौदा कानून के संसद के समर्थन की मांग कर रहे हैं, लेकिन इसे 2010 से इस्लामी दलों द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया है.

एए/सीके (एएफपी)

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