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5,000 रुपये से 50 खरब तक कैसे पहुंचे राकेश झुनझुनवाला

१५ अगस्त २०२२

भारत के सबसे बड़े शेयर निवेशकों में से एक राकेश झुनझुनवाला का निधन हो गया है. सिर्फ पांच हजार रुपये से शुरुआत कर कैसे वह भारत के सबसे धनी लोगों में शामिल हुए?

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राकेश झुनझुनवाला
राकेश झुनझुनवालातस्वीर: Shailesh Andrade/REUTERS

भारत के ‘वॉरेन बफे' कहे जाने वाले अरबपति शेयर कारोबारी और निवेशक राकेश झुनझुनवाला ने अपना सफर 5,000 रुपये से शुरू किया था. अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स ने हाल ही में उनकी संपत्ति 5.8 अरब डॉलर यानी लगभग 46 खरब रुपये से ज्यादा बताई थी. इतनी ऊंचाई उन्होंने कैसे हासिल की, यह यात्रा काफी रोमांचक है.

62 वर्षीय राकेश झुनझुनवाला का रविवार को निधन हो गया. दिल का दौरा पड़ने से मुंबई में उनकी मृत्यु हुई. उनके बारे में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "राकेश झुनझुनवाला अदम्य थे. जीवट, हास्यबोध और ज्ञान से भरपूर राकेश झुनझुनवाला का वित्त जगत को योगदान अतुलनीय है.”

राजस्थान के रहने वाले राकेश झुनझुनवाला पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट थे. लेकिन निवेशक के तौर पर उनकी यात्रा कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही शुरू हो गई थी जब उन्होंने 5,000 रुपये का निवेश किया था. वहां से वह आगे बढ़ते चले गए और भारत के सबसे धनी व्यक्तियों में शामिल हो गए. उन्होंने रेयर एंटरप्राइज नामक निवेश प्रबंधन कंपनी स्थापित की और भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में उनका निवेश था.

शुरुआत से अर्श तक

झुनझुनवाला ने निवेश की शुरुआत 1985 में की थी जब वह कॉलेज में थे. उन्होंने दोस्तों से उधार लेकर 5,000 रुपये निवेश किए. ऐसा नहीं है कि इसके बाद वह लगातार सफल होते चले गए. उन्होंने काफी उतार-चढ़ाव देखे. 2019 में विश्व फुटबॉल संघ के एक आयोजन में उन्होंने बताया था 1988 में उनकी कुल संपत्ति का मूल्य एक करोड़ रुपये के आस पास था, जो 1993 में बढ़ कर 200 करोड़ हो गया.

झुनझुनवाला ने कहा, "लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि 2000 में उनकी संपत्ति 800 करोड़ हो जाने वाली थी. बल्कि उन्होंने बताया कि 2002 में भी उनकी संपत्ति का मूल्य 250 करोड़ के आस पास ही था. यह बताने के बाद उन्होंने कहा, "हम चीजों को मानकर नहीं चल सकते. सफलता को लेकर आप संदिग्ध रहते हैं. यह हमेशा अस्थायी होती है और बदलती रहती है.”

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उन्होंने एक बार कहा था, "तरक्की अव्यवस्था से आती है, व्यवस्था से नहीं.” हालांकि अपनी तरक्की को डींगें हांकना उनकी आदत नहीं थी. सफलता के बारे में उनका मशहूर कथन है, "सफलता से आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि आप मनुष्यता को ईश्वर की देन हैं. आपको कभी नहीं भूलना चाहिए कि आप जहां हैं, वहां इसलिए हैं क्योंकि ईश्वर ने आपको वहां होने के लिए चुना है.”

बेधड़क जोखिम

उनके साथ 30 साल तक काम करने उद्योगपति और बैंकर बताते हैं कि उनका संवाद गजब का था. उनके आसान भाषा में शेयर बाजार की जटिलताओं को समझाने के कारण वह टीवी पर भी एक लोकप्रिय विश्लेषक बन गए थे. झुनझुनवाला ने जिन कंपनियों पर दांव लगाए उनमें भारत के सबसे बड़े ओद्यौगिक घरानों में शामिल टाटा ग्रुप की कंपनियां शामिल हैं. उन्होंने इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनैंस, स्टार हेल्थ इंश्योरेंस और फेडरल बैंक में भी निवेश किया.

झुनझुनवाला को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का ‘बिग बुल' कहा जाता था. उन्हें बेधड़क जोखिम उठाने के लिए जाना जाता था. भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उन्हें "निवेशक, जोखिम उठाने वाला साहसी और शेयर बाजार को गहराई से समझने वाला” बताया. उन्होंने कहा कि वह अपने आप में नेतृत्व करने वाली एक शख्सियत थे जिन्हें भारत की ताकत और विकास में विश्वास था.

पिछले हफ्ते समाचार चैनल सीएनबीसी-टीवी18 को दिए एक इंटरव्यू में झुनझुनवाला ने कहा था कि "दुनियाभर में विपरीत आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद भारतीय बाजार बढ़ता रहेगा, लेकिन उसकी रफ्तार धीमी रहेगी.”

नया कदम था ‘आकाश' पर

हाल ही में उन्होंने सस्ती एयरलाइंस 'अकासा' एयर की शुरुआत में मदद की थी. पिछले हफ्ते ही इस एयरलाइंस ने पहली उड़ान भरी थी. इस कंपनी के उद्घाटन के मौके पर वह व्हीलचेयर पर नजर आए थे. 'अकासा' एयरलाइंस ने भी झुनझुनवाला के निधन पर शोक जताया. एक बयान में कंपनी ने कहा, "शुरुआत में ही हम पर भरोसा करने के लिए हम राकेश झुनझुनवाला का जितना शुक्रिया अदा करें, कम है.”

आम भारतीय हुए गरीब, अरबपतियों की बढ़ी संपत्ति

झुनझुनवाला की विमानन उद्योग में अनुभवहीनता को देखते हुए कई लोगों को उनके एयरलाइंस में निवेश पर हैरत हुई थी. उन्होंने लगभग ढाई अरब रुपये के निवेश से कंपनी में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी. अपने इस निवेश पर उन्होंने कहा था कि वह कोशिश करके विफल होना बेहतर समझते हैं.

फरवरी में एक आयोजन के दौरान उन्होंने कहा, "बहुत सारे लोग पूछते हैं कि मैंने एयरलाइंस क्यों शुरू की. उन्हें जवाब देने के बजाय मैं कहता हूं कि मैं विफलता के लिए तैयार हूं. कोशिश ना करने से अच्छा है कोशिश करके विफल हो जाना. मैं लोगों को गलत साबित करना चाहता हूं. अब यह अहं का मसला बन गया है.”

रिपोर्टः विवेक कुमार (एपी)