क्या जर्मनी से अमेरिकी सैनिक घटाने का फैसला बदलेंगे ट्रंप
२४ जून २०२०अमेरिका के कुछ रिपब्लिकन सांसदों का कहना है कि जर्मनी में अमेरिकी सेना की मजबूत उपस्थिति इस इलाके में नाटो की रीढ़ की तरह है. उनका मानना है कि रूस के किसी भी आक्रामक कदम का सामना करने में यह सेनाएं नाटो की ओर से काम आएंगी. कुछ ही हफ्ते पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने जर्मनी से अपने 9,500 सैनिकों को वापस बुलाए जाने की घोषणा की थी.
ट्रंप क्यों घटाना चाहते हैं संख्या
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने जर्मनी पर आरोप लगाया था कि उसकी तरफ से ‘नाटो' यानि नॉर्थ एटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन को ठीक से और पर्याप्त आर्थिक भुगतान नहीं किया जा रहा है. ट्रंप ने ऐलान किया कि अगर जल्दी से जल्दी जर्मनी इसे नहीं सुधारता तो वह अपनी योजना को अमल में ला देंगे.
जून की शुरुआत में ही ट्रंप ने घोषणा कर दी थी कि वह अब जर्मनी में केवल 25,000 अमेरिकी सैनिक ही रखेगें. इसका मतलब पहले के मुकाबले यहां से 9,500 अमेरिकी सैनिक कम किए जाएंगे. ट्रंप ने यह भी कहा कि जर्मनी व्यापारिक मोर्चे पर अमेरिका का करीबी होने का फायदा उठाता आया है.
क्या ट्रंप के फैसले के साथ है अमेरिकी संसद
अमेरिकी संसद के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के छह सांसदों ने सदन में विदेशी मामलों की समिति के वरिष्ठ सदस्य के नेतृत्व में एक पत्र सौंपा है. वरिष्ठ रिपब्लिकन सांसद माइकल कैक्कॉल ने पत्र में लिखा है कि अमेरिकी सेना का जर्मनी में होना केवल यूरोप में ही नहीं बल्कि मध्य-पूर्व और अफ्रीकी देशों तक में अमेरिका के रणनीतिक हितों की रक्षा करता है.
पत्र में चिंता जताई गई है कि इन क्षेत्रों में रूस और चीन की ओर से अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिशों के चलते अमेरिका के लिए वहां मजबूती से रहना और जरूरी हो जाता है. इसके अलावा सांसदों ने कहा कि अमेरिकी के सबसे करीबी व्यापारिक साझेदारों में से एक जर्मनी के साथ ऐसा करना कड़ी फटकार जैसा लगेगा.
जबसे ट्रंप ने सेना घटाने की घोषणा की है तबसे ही ना केवल विपक्षी डेमोक्रैट बल्कि उनकी अपनी रिपब्लिकन पार्टी के तमाम नेता इस पर नाराजगी जताते आए हैं. सांसदों की इस चिट्ठी में कहा गया है कि "इस समय ऐसा कोई भी कदम उठाना सही नहीं होगा जिससे पुतिन प्रशासन को नाटो की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करने का मौका मिल जाए. या फिर ऐसा हो कि हमारे नाटो सहयोगी और साझेदार ही सबकी सुरक्षा करने को लेकर अमेरिकी प्रतिबद्धता पर ही शक करने लगें." समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने कहा है कि उसने सांसदों के इस पत्र की प्रति खुद देखी है और उसी आधार पर यह सारी जानकारी छापी है.
आरपी/सीके (रॉयटर्स)
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