फिर यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष बनीं उर्सुला फॉन डेय लाएन
१८ जुलाई २०२४यूरोपीय संसद में 18 जुलाई को हुए मतदान में जीतने के लिए फॉन डेय लाएन को 361 सांसदों के समर्थन की जरूरत थी. 720 सीटों की संसद में उन्हें 401 वोट मिले. इससे पहले 27 जून को ब्रसेल्स में हुए यूरोपीय परिषद के सम्मेलन में उन्हें यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष बनाने के लिए नामांकित किया गया था, लेकिन नियुक्ति के लिए उन्हें बहुमत जीतना था.
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दूसरी बार बनीं यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष
उर्सुला फॉन डेय लाएन, यूरोपियन पीपल्स पार्टी (ईपीपी) से हैं. यह सेंटर-राइट विचारधारा की पार्टी है, जो यूरोपीय एकजुटता और आत्मनिर्भरता में यकीन रखती है. ईपीपी ग्रुप, यूरोपीय संसद का सबसे बड़ा और पुराना समूह है.
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष के तौर पर लाएन का यह दूसरा कार्यकाल होगा. यूरोपीय आयोग, ईयू की कार्यपालिका शाखा है. 2019 में वह आयोग की पहली महिला अध्यक्ष बनी थीं. 2019 के मुकाबले इस बार उन्हें बड़ी जीत मिली है. पिछली बार वह केवल नौ मतों से जीती थीं, वहीं इस बार जीत का अंतर 40 रहा.
मतदान का नतीजा आने पर कई सांसद खड़े होकर ताली बजाते दिखे. जानकारों के मुताबिक, लाएन को दोबारा चुना जाना इसका संकेत है कि युद्ध और धुर-दक्षिणपंथ के बढ़ते जनाधार की चुनौतियों के बावजूद ईयू अगले पांच सालों में स्थिरता की उम्मीद कर सकता है.
किन मुद्दों पर दिया जोर
18 जुलाई को यूरोपीय संसद में मतदान से पहले लाएन ने अपने लिए समर्थन जुटाने की निर्णायक कोशिश की. उन्होंने यूरोपीय सांसदों से कहा कि वह चरम राजनीतिक ताकतों के खिलाफ "संघर्ष में नेतृत्व के लिए तैयार हैं." करीब एक घंटे के अपने भाषण में लाएन ने बताया कि अगर वह जीतती हैं, जो अगले पांच साल के कार्यकाल में किन विषयों को प्राथमिकता देंगी.
उन्होंने यूरोप में सुरक्षा को मुस्तैद करने और ज्यादा निवेश के साथ उद्योगों को और मजबूत करने पर जोर दिया. प्रकृति और पर्यावरण से जुड़े पक्षों को रेखांकित करते हुए लाएन ने यह भी कहा कि ईयू अपने महत्वाकांक्षी जलवायु उद्देश्यों से नहीं भटकेगा.
इन लक्ष्यों में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को 2040 तक 90 फीसदी घटाने की योजना भी शामिल है. लाएन ने यूरोप में ऊर्जा की बढ़ी हुई कीमतों को कम करने पर भी जोर दिया. साथ ही, उन्होंने एक किफायती आवास योजना विकसित करने को भी अपने अजेंडा का हिस्सा बताया.
लाएन की जीत में सोशलिस्ट्स एंड डेमोक्रैट्स (एसएंडडी) और रीन्यू यूरोप ग्रुप का समर्थन अहम रहा. एसएंडडी यूक्रेन समर्थक समूह है. यह समूह लैंगिक समानता, महिला अधिकार, किफायती घर, सभी ईयू नागरिकों के लिए सामाजिक और श्रम अधिकार और ग्रीन डील जैसे मुद्दों को अपनी वरीयताओं में गिनता है.
रीन्यू यूरोप ग्रुप भी यूरोपीय एकजुटता का समर्थक है. इसके प्रमुख मुद्दों में यूरोप की सुरक्षा, यूरोपीय मूल्यों को बढ़ावा देना, सस्टेनेबेल भविष्य की दिशा में निवेश और आर्थिक तरक्की शामिल हैं.
धुर-दक्षिणपंथ को दूर रखने के लक्ष्य ने भी दिया साथ
ग्रीन्स के भी करीब 45 सांसदों ने लाएन को समर्थन दिया और इस संख्या ने जीत सुनिश्चित करने में भूमिका निभाई. सभी मुद्दों पर सहमति ना होने के बावजूद ग्रीन्स की ओर से कहा गया कि लाएन और ईपीपी से साथ हुई बातचीत से उनमें भरोसा बना है. हालांकि, पॉलिटिको की एक खबर के मुताबिक, ग्रीन्स के समर्थन देने की एक वजह यह भी रही कि लाएन ने अपने लिए समर्थन जुटाते हुए धुर-दक्षिणपंथी राजनीति से जुड़े धड़ों के साथ मोल-भाव नहीं किया.
यूरोपीय संसद में ग्रीन्स/ईएफए ग्रुप की उपाध्यक्ष टेरी राइनट्के ने पॉलिटिको से बातचीत में कहा, "धुर-दक्षिणपंथ को बाहर रखना हमारे लिए एक रेड लाइन थी और इस रेड लाइन का साफतौर पर पालन हुआ है."
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी अपने एक पोस्ट में ग्रीन्स ने लिखा, "ग्रीन्स/ईएफए ग्रुप ने आधिकारिक तौर पर ईयू कमीशन के अध्यक्ष के तौर पर उर्सुला फॉन डेय लाएन को समर्थन देने का फैसला किया है. हम धुर-दक्षिणपंथ को सत्ता से दूर रख रहे हैं."
बड़ी चुनौतियां क्या होंगी
ईयू के लिए सिर्फ यही चुनौती नहीं है कि यूक्रेन युद्ध को शुरू हुए दो साल से ज्यादा वक्त हो गया है. यूक्रेन की किस तरह और किस स्तर पर मदद की जाए, यह भी आने वाले दिनों में एक बड़ी चुनौती बन सकती है. इस मोर्चे पर हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ब्लॉक के भीतर एक बड़ी चिंता बने हुए हैं.
1 जुलाई से 'काउंसिल ऑफ दी ईयू' की अध्यक्षता हंगरी को मिली है. वह 31 दिसंबर 2024 तक काउंसिल की अध्यक्षता करेगा. जुलाई के पहले हफ्ते में ही ओरबान, पुतिन से मुलाकात के लिए रूस की यात्रा पर पहुंचे.
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उन्होंने इसे "शांति अभियान" का नाम देते हुए कहा कि वह पुतिन से यूक्रेन में जारी युद्ध खत्म करने की स्थितियों पर बात करने गए हैं. यूरोपीय संसद ने ओरबान की इस यात्रा की निंदा करते हुए इसे ईयू की विदेश नीति और समझौतों का उल्लंघन बताया है.
मध्यपूर्व में जारी संघर्ष के विस्तार की आशंकाएं और चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों में बढ़ता तनाव भी ईयू के लिए बड़ा मसला है. लाएन ने खुद रेखांकित किया कि यूरोप एक गहरी चिंता और अनिश्चितता के दौर के सामना कर रहा है.
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ऐसे में यूरोप को ज्यादा मजबूत और एकजुट बनाना एक बड़ी जरूरत है. उन्होंने यूरोपीय सांसदों को आश्वासन दिया कि वह इन चुनौतियों के आगे सबसे अच्छी और सबसे ज्यादा अनुभवी कप्तान साबित होंगी.
एसएम/आरपी (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)