सबसे कम बैठकें हुईं 17वीं लोकसभा में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में संसदीय कार्यवाही और परंपराओं में कई बदलाव देखने को मिले हैं. लेकिन पिछली लोकसभाओं के मुकाबले 17वीं लोकसभा के कार्यकाल के बारे में क्या कहते हैं आंकड़े?
सबसे कम बैठकें
जून, 2019 से फरवरी, 2024 तक चली 17वीं लोकसभा में अपना कार्यकाल पूरा करने वाली सभी लोकसभाओं के मुकाबले सबसे कम बैठकें हुईं. इस लोकसभा में सिर्फ कुल 174 बैठकें हुईं. सालाना औसत रहा 55. 13वीं से 16वीं लोकसभा की बैठकों का सालाना औसत 82, 66, 71 और 66 था. यह आंकड़े गैर संस्कारी संस्था पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अध्ययन से निकले हैं.
नहीं मिला डिप्टी स्पीकर
यह भारत के इतिहास में पहली लोकसभा थी जिसमें डिप्टी स्पीकर का पद खाली रहा. संविधान के अनुच्छेद 13 के अनुसार लोकसभा के गठन के साथ ही सदन को "जितनी जल्दी हो सके" स्पीकर और डिप्टी स्पीकर चुन लेना चाहिए.
कम हुई चर्चा
इन पांच सालों में लोकसभा से कुल 221 विधेयक पारित हुए, लेकिन इनमें से कई विधेयकों पर बहुत कम चर्चा हुई. सबसे ज्यादा (35 प्रतिशत) विधेयकों पर एक घंटे से भी कम चर्चा हुई. 16वीं लोकसभा में ऐसे विधेयकों की संख्या सिर्फ 15 प्रतिशत थी. 15वीं लोकसभा में इनकी संख्या 36 प्रतिशत थी.
समितियों को भी कम भेजे गए विधेयक
इस लोकसभा में सिर्फ 16 प्रतिशत विधेयक संसदीय समितियों को अध्ययन के लिए भेजे गए. 14वीं, 15वीं और 16वीं लोकसभाओं में 60 प्रतिशत, 71 प्रतिशत और 28 प्रतिशत विधेयक समितियों को भेजे गए थे.
सबसे कम विधेयक हुए रद्द
पीआरएस के मुताबिक इस लोकसभा में रद्द होने जाने वाले विधेयकों की संख्या सबसे कम रहेगी. सिर्फ चार विधेयक पारित नहीं हो पाए जिसकी वजह से वो रद्द हो जाएंगे. 13वीं से 16वीं लोकसभाओं में ऐसे विधेयकों की संख्या 43, 39, 68 और 46 थी.
अच्छा चला प्रश्नकाल
17वीं लोकसभा में प्रश्नकाल तय किए गए समय की 60 प्रतिशत अवधि तक चला. 13वीं से 16वीं लोकसभाओं में यह आंकड़ा 68, 64, 39 और 67 प्रतिशत था.