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समाज

यूएन: कोविड से उबरने के लिए शीर्ष पदों पर हों महिलाएं

८ जुलाई २०२१

संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को कहा कि कोविड-19 महामारी से उबरने के वैश्विक प्रयास खतरे में हैं क्योंकि महिलाओं को महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाली भूमिकाओं से बाहर रखा जा रहा है.

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तस्वीर: Julien Mattia/AA/picture alliance

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के मुताबिक घातक कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकारी प्रतिक्रियाओं के समन्वय के लिए बनी टास्कफोर्स में केवल 6 प्रतिशत में ही पुरुषों और महिलाओं की समान संख्या है जबकि 11 प्रतिशत टास्कफोर्स ऐसी हैं, जिनमें एक भी महिला नहीं है.

यूएनडीपी प्रशासक अचिम स्टेनर ने एक बयान में कहा, "आज किए जा रहे महत्वपूर्ण फैसले आने वाली पीढ़ियों के लोगों और धरती की भलाई को प्रभावित करेंगे."

उन्होंने कहा, "सतत सुधार तभी संभव है जब महिलाएं कोविड-19 के बाद हम सबकी दुनिया को आकार देने में पूरी भूमिका निभाने के लिए सक्षम हों."

यूएनडीपी और पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय के लैंगिक असमानता अनुसंधान प्रयोगशाला द्वारा नए डेटा में पाया गया कि वैश्विक स्तर पर महिलाएं लोक प्रशासन में तीन शीर्ष नेतृत्व पदों में से एक पर ही मौजूद हैं जिससे एक हरित और समावेशी बहाली खतरे में पड़ रही है.

अहम पदों पर कम महिलाएं

170 देशों में शोध से पता चला कि स्वास्थ्य मंत्रालयों में 58 प्रतिशत कर्मचारी महिलाएं हैं, वे केवल 34 प्रतिशत स्वास्थ्य नीति निर्णय लेने की स्थिति रखती हैं.

यह विश्लेषण ऐसे वक्त में सामने आया है जब कई देश कोविड-19 से उपजी आर्थिक और सामाजिक गिरावट से जूझ रहे हैं. यूएनडीपी का कहना है कि कोविड-19 महामारी से 2030 तक अन्य 10.5 करोड़ महिलाएं और लड़कियां गरीबी में धकेली जा सकती हैं.

यूएनडीपी ने "महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा में खतरनाक वृद्धि" पर प्रकाश डाला है, और कहा है कि नौकरियों और आय के बड़े नुकसान की वजह से लैंगिक समानता पर जो प्रगति हासिल हुई है वह खतरे में पड़ती दिख रही है.

सबकी भूमिका जरूरी

यूएनडीपी ने कहा कि सरकारें तब अधिक संवेदनशील और जवाबदेह होती हैं जब सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता, विशेष रूप से स्वास्थ्य और बच्चों की देखभाल और महिलाओं के खिलाफ हिंसा में सुधार होता है और महिलाएं लोक प्रशासन में नेतृत्व की भूमिका निभाती हैं.

विश्व बैंक समूह के अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम में लिंग और आर्थिक समावेशन समूह की प्रमुख हेनरिएटे कोल्ब कहती हैं, "निष्कर्ष निराशाजनक हैं, लेकिन वह चौंकाने वाला नहीं है."

उन्होंने कहा, "सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में महिलाएं गंभीर रूप से नेतृत्व के पदों पर कम प्रतिनिधित्व करती हैं. हालांकि, अगर हम एक लचीली, न्यायसंगत, समावेशी और बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाना चाहते हैं तो सभी को नेतृत्व की मेज पर बैठने की जरूरत है."

एए/वीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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