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यूएन ने दी अगली महामारी की चेतावनी, जिसका कोई टीका नहीं

१८ जून २०२१

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार तापमान में वृद्धि के कारण वैश्विक स्तर पर पानी की कमी और सूखा तेजी से बढ़ रहे हैं. ये दोनों इंसानों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार हैं.

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तस्वीर: Global Warming Images/picture alliance

संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 1998 से 2017 के बीच सूखे के कारण 124 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हो चुका है और डेढ़ अरब लोग प्रभावित हुए हैं. आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि मामी मिजूतोरी ने एक ऑनलाइन वार्ता में कहा, "सूखा अगली महामारी बनने की कगार पर है और इसका इलाज करने के लिए कोई टीका नहीं है."

दर्जनों देशों पर असर

रिपोर्ट में कहा गया है कि सूखे के कारण जो आंकड़े हैं, संभावना है कि वे कम करके आंके गए हों. यूएन की रिपोर्ट में कहा गया कि जलवायु परिवर्तन अब दक्षिणी यूरोप और पश्चिमी अफ्रीका में सूखे को तेजी से बढ़ा रहा है. मिजूतोरी का कहना है कि अगर दुनिया कदम न उठाए तो पीड़ितों की संख्या बढ़ना निश्चित है.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि एक उच्च-उत्सर्जन परिदृश्य के तहत इस सदी के अंत तक लगभग 130 देशों को सूखे के अधिक जोखिम का सामना करना पड़ सकता है. रिपोर्ट में कहा गया कि अन्य 23 देश जनसंख्या वृद्धि के कारण पानी की कमी का सामना करेंगे और 38 देश दोनों से प्रभावित होंगे.

Iran Fluss Karun
23 देश जनसंख्या वृद्धि के कारण पानी की कमी का सामना करेंगे तस्वीर: ISNA

'सूखा एक वायरस है'

मिजूतोरी कहती हैं कि सूखा एक वायरस की तरह है जो लंबे समय तक रहता है और इसकी व्यापक भौगोलिक पहुंच होती है. उन्होंने कहा, "यह अप्रत्यक्ष रूप से उन देशों को प्रभावित कर सकता है जो वास्तव में खाद्य असुरक्षा और खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण सूखे का सामना नहीं कर रहे हैं." संयुक्त राष्ट्र का पूर्वानुमान है कि अधिकांश अफ्रीका, मध्य और दक्षिण अमेरिका, मध्य एशिया, दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी यूरोप, मेक्सिको और अमेरिका में लगातार और गंभीर सूखा पड़ेगा.

17 जून को मरुस्थलीकरण व सूखे का सामना करने के लिए मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय दिवस के मौके पर यूएन महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने आगाह किया कि जलवायु परिवर्तन के कारण हुए भूमि क्षरण और कृषि, शहरों व बुनियादी ढांचे के विस्तार से, तीन अरब से अधिक लोगों के जीवन और आजीविका के लिए चुनौती खड़ी हो गई है. उन्होंने कहा, "हमें प्रकृति के साथ शांति स्थापित करनी होगी."

एए/वीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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