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यूएन: 60 लाख अफगान गंभीर अकाल के खतरे में

३१ अगस्त २०२२

संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान में करीब 60 लाख लोगों को भयंकर अकाल का खतरा है. इसके दो प्रमुख कारण हैं चरम मौसम की स्थिति और तालिबान सरकार की नीतियों की वजह से अनिश्चितता.

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अफगानिस्तान में गरीब महिलाएं रोटी के इंतजार में
अफगानिस्तान में गरीब महिलाएं रोटी के इंतजार मेंतस्वीर: Petros Giannakouris/AP/picture alliance

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कार्यों के समन्वयक मार्टिन ग्रिफिथ्स ने अफगानिस्तान में मानवीय सहायता अभियानों की वर्तमान स्थिति के बारे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक बैठक में बताया यह चेतावनी दी है.

ग्रिफिथ्स ने सुरक्षा परिषद को बताया कि अफगानिस्तान की आधी से ज्यादा आबादी को अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए मानवीय सहायता की सख्त जरूरत है. ग्रिफिथ्स के मुताबिक पिछले साल अगस्त में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से इस देश में पहले से ही खराब स्थिति और बदतर हो गई है.

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उन्होंने सुरक्षा परिषद को बताया कि अत्यधिक बेरोजगारी और अत्यधिक गरीबी के कारण लाखों अफगान एक बार फिर अपनी मातृभूमि छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं. इसके अलावा हाल ही में आए विनाशकारी भूकंप और विभिन्न हिस्सों में अचानक आई बाढ़ ने स्थिति को और खराब कर दिया है.

वैश्विक संगठन के मानवीय सहायता निगरानी निकाय के मुताबिक अंतराष्ट्रीय समुदाय अफगान अर्थव्यवस्था को बहाल करने के लिए हर हफ्ते लगभग चार करोड़ यूरो के बराबर वित्तीय संसाधन प्रदान कर रहा है. हालांकि, इस सहायता के संबंध में आम शिकायतें हैं कि तालिबान नेतृत्व इस सहायता राशि का एक बड़ा हिस्सा अपने समर्थकों में बांट रहा है.

ग्रिफिथ्स के मुताबिक, "नतीजा यह है कि देश में गरीबी बढ़ती जा रही है और जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्ति अभी भी समाप्त नहीं हुई है." उन्होंने कहा, "जहां तक ​​तालिबान सरकार का सवाल है, उसने अभी तक अफगान लोगों के भविष्य के लिए कोई निवेश नहीं किया है और न ही देश के बजट का कोई हिस्सा इसके लिए आवंटित किया है."

यूएन के मुताबिक आने वाली सर्दी के दौरान अफगान लोगों की मदद के लिए उसे तत्काल करीब 60 करोड़ यूरो की जरूरत है.

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इन निधियों के जरिए संगठन सबसे जरूरतमंद अफगानों के आवासों की मरम्मत करना चाहता है और उन्हें गर्म कपड़े और कंबल भी प्रदान करना चाहता है.

अफगानिस्तान में बड़े पैमाने वाली विकास सहायता, लगभग एक साल से ठप्प पड़ी है, जबकि देश पहले से ही खाद्य असुरक्षा और कुपोषण के गंभीर स्तर का सामना कर रहा था, और ये हालात ज्यादा बदतर ही हुए हैं.

ग्रिफिथ्स ने बताया कि मानवीय सहायता कर्मियों को भी अपने अभियान जारी रखने के लिए, बेहद चुनौतीपूर्ण हालात का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि तालिबान के साथ तालमेल करना बहुत मुश्किल काम है.

एए/वीके (डीपीए, रॉयटर्स)

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