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मानवाधिकारअफगानिस्तान

यूएन: महिला कर्मचारियों को प्रताड़ित कर रहा तालिबान

९ मई २०२३

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि तालिबान द्वारा संगठन की महिला कर्मचारियों पर बैन लगाने के बाद उसकी कुछ महिला कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है.

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यूएन मिशन के लिए काम नहीं कर सकतीं अफगान महिलाएं
यूएन मिशन के लिए काम नहीं कर सकतीं अफगान महिलाएंतस्वीर: Ali Khara/REUTERS

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि महिलाओं के काम पर तालिबान द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बाद उनकी महिला कर्मचारियों को प्रताड़ित किया जा रहा है, उन्हें हिरासत में लिया गया और उनके आने-जाने को प्रतिबंधित कर दिया गया है.

अप्रैल में तालिबान ने देश में महिलाओं के काम पर लगाए गए प्रतिबंध का दायरा बढ़ाते हुए इसमें यूएन मिशन के लिए काम करने वाली महिलाओं को भी शामिल कर लिया था. अफगानिस्तान में यूएन के लिए लगभग 3,300 कर्मचारी काम करते हैं, जिनमें करीब 400 महिलाएं शामिल हैं.

दक्षिण एशियाई देश में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट में कहा, "यह भेदभावपूर्ण और गैरकानूनी उपायों की श्रृंखला में सबसे ताजा है, जो देश के डी फैक्टो अधिकारियों द्वारा अफगानिस्तान में सार्वजनिक और दैनिक जीवन के अधिकांश क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों की भागीदारी को गंभीर रूप से प्रतिबंधित करने के लक्ष्य के साथ लागू किया गया है."

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विरोध की आवाजों को दबाता तालिबान

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने इस साल विरोध करने वाली आवाजों पर नकेल कसना जारी रखा, खासकर ऐसे लोगों पर जो महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर बोलते हैं.

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में चार महिलाओं की मार्च में काबुल में हुई गिरफ्तारी का हवाला दिया गया है, ये महिलाएं शिक्षा और काम की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही थी. इन्हें अगले दिन रिहा कर दिया गया था. साथ ही पेनपाथ के प्रमुख मतिउल्लाह वेसा की गिरफ्तारी के बारे में भी रिपोर्ट में बताया गया है. यह संगठन एक सिविल सोसायटी संगठन है, जो देश में लड़कियों के लिए दोबारा स्कूल खोलने के लिए अभियान चला रहा था.

रिपोर्ट में एक महिला अधिकार कार्यकर्ता परीसा मोबारिज और उनके भाई की फरवरी में हुई गिरफ्तारी के बारे में भी बताया गया. दोनों को उत्तरी ताखर प्रांत में गिरफ्तार किया गया था.

तालिबान ने महिलाओं को शिक्षा हासिल करने और काम से रोका
तालिबान ने महिलाओं को शिक्षा हासिल करने और काम से रोका तस्वीर: Ali Khara/REUTERS

रिपोर्ट में कहा गया है कि कई और नागरिक समाज कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया गया, कथित तौर पर उन पर कोई आरोप नहीं लगाए गए. लेकिन तालिबानी खुफिया विभाग ने उन्हें मनमाने ढंग से हिरासत में रखा था.

अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के सहायता मिशन (यूएनएएमए) में मानवाधिकार प्रमुख फियोना फ्रेजर ने कहा, "यूएनएएमए पूरे अफगानिस्तान में नागरिक समाज पर बढ़ते प्रतिबंधों से चिंतित हैं."

अफगान तालिबान ने छठी कक्षा से आगे की लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया और औरतों के अकेले बाहर जाने पर भी रोक है.

भुखमरी से जूझ रही अफगान जनता

पिछले साल दिसंबर में तालिबान ने सभी विदेशी और घरेलू एनजीओ को महिला कर्मचारियों से काम न कराने का आदेश दिया था. उस समय यूएन को इस प्रतिबंध के आदेश से छूट दी गई थी. महिला कर्मचारी देश में जमीनी सहायता कार्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं.

उनकी भूमिका तब अहम हो जाती है जब अन्य जरूरतमंद महिलाओं की पहचान करनी होती है. देश की लगभग दो तिहाई आबादी यानी 2 करोड़ 80 लाख लोगों को इस साल मानवीय सहायता की जरूरत है. ये संख्या साल 2021 की तुलना में तीन गुना बढ़ गई है.

18 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने अफगानिस्तान सोशियो-इकोनिमिक आउटलुक 2023 शीर्षक वाली नई रिपोर्ट जारी की, जिसमें अगस्त 2021 में देश की सत्ता पर तालिबान का कब्जा स्थापित होने और उसके बाद उसके शासन से उत्पन्न हुई परिस्थितियों की समीक्षा की गई है. रिपोर्ट बताती है कि सत्ता पर तालिबान के कब्जे के बाद अफगान अर्थव्यवस्था ढह गई थी, जिसके कारण पहले से ही कठिनाइयों से जूझ रहे इस देश के निर्धनता के गर्त में धंसने की गति तेज हो गई.

एए/सीके (एएफपी, एपी)

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