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मानवाधिकारअफगानिस्तान

अफगानिस्तान में 20 लाख लोगों को नहीं मिल पाएगी खाद्य सहायता

६ सितम्बर २०२३

संयुक्त राष्ट्र की सहायक एजेंसी विश्व खाद्य कार्यक्रम वित्तीय संसाधनों की भारी कमी के कारण इस महीने अन्य 20 लाख अफगानों को खाद्य सहायता की डिलीवरी में कटौती करेगा.

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अफगानिस्तान
अफगानिस्तानतस्वीर: Sanaullah Seiam/Xinhua/picture alliance

मंगलवार को विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि संगठन को इस महीने अतिरिक्त 20 लाख अफगान नागरिकों को उपलब्ध कराए जाने वाले भोजन की मात्रा में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. डब्ल्यूएफपी का कहना है कि वित्तीय संसाधनों की भारी कमी इसकी वजह है. उसके मुताबिक धन की कमी के कारण राहत खाद्य सामग्री का वितरण बंद हो जाएगा.

एक करोड़ होंगे प्रभावित

इस तरह अफगानों की संख्या अब एक करोड़ हो जाएगी, जो केवल इस वर्ष के दौरान विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा प्राप्त सहायता बंद होने से प्रभावित होंगे. अफगानिस्तान में विश्व खाद्य कार्यक्रम की देशीय निदेशक ह्सियाओ-वेई ली के मुताबिक, "हमारे पास सीमित संसाधनों के कारण हम अब उन सभी अफगान नागरिकों को भोजन सहायता प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं, जो बेहद कमजोर हैं."

उन्होंने कहा, "पहले से ही भूख और कुपोषण के चिंताजनक स्तर के बीच, हम भूख की मार झेल रहे और भुखमरी का सामना कर रहे लोगों के बीच चयन करने के लिए विवश हैं."

यूएन एजेंसी ने चेतावनी जारी की है कि खाद्य सहायता में कटौती के कारण लगभग 14 लाख नवजात शिशुओं की माताओं, गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों को कुपोषण से निपटने के लिए विशेषीकृत भोजन का लाभ नहीं मिल पाएगा, जिससे स्वास्थ्य केंद्रों पर कुपोषण मामलों में वृद्धि होने की आंशका है.

लाखों लोगों को खाद्य सहायता की जरूरत है
लाखों लोगों को खाद्य सहायता की जरूरत हैतस्वीर: DW

एक अरब डॉलर की तत्काल जरूरत

डब्ल्यूएफपी ने यह भी कहा है कि उसे 2.1 करोड़ लोगों को जीवन रक्षक खाद्य सहायता प्रदान करने और उनकी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए अगले छह महीनों में तत्काल एक अरब डॉलर की आवश्यकता है.

अफगानिस्तान पिछले चालीस वर्षों से चल रहे खूनी आंतरिक संघर्ष के साथ-साथ बेहद खराब अर्थव्यवस्था और लगातार बढ़ते पर्यावरणीय संकट का दंश झेल रहा है.

'कैद जैसा है' तालिबान का राज

संयुक्त राष्ट्र आपात राहत समन्वय कार्यालय ने आगाह किया है कि अफगानिस्तान इस समय "व्यवस्थागत पतन और मानवीय तबाही" के साथ एक अभूतपूर्व मानवीय संकट का सामना कर रहा है.

अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद से ही महिलाओं पर अनेक तरह की पाबंदियां लगाई जा चुकी हैं. महिलाओं का बाहर जाना, काम करना और पढ़ाई करना अब मुश्किल हो चुका है.

अगस्त 2021 में सत्ता पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने लड़कियों को उच्च शिक्षा से बाहर का रास्ता दिखाया. शुरूआत में लड़के-लड़कियों को विश्वविद्यालयों में बिल्कुल अलग-अलग बैठने को कहा. कुछ वक्त तक लड़कियों को सिर्फ महिला शिक्षक या बड़ी उम्र के मर्द ही पढ़ा सकते थे लेकिन बाद में ये भी बंद हो गया. साल 2022 में अफगान शिक्षा मंत्रालय के एक आदेश ने छात्राओं के यूनिवर्सिटी जाने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी.

एए/वीके (डीपीए, एएफपी)