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समाज

ट्रैक्टर से ट्विटर तक किसानों का आंदोलन

४ जनवरी २०२१

दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के आंदोलन का आज 40वां दिन है. आज एक बार फिर सरकार और किसानों के बीच बातचीत होने वाली है. किसान हाईवे पर प्रदर्शन तो कर ही रहे हैं लेकिन उनका आंदोलन ऑनलाइन भी चल रहा है.

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तस्वीर: Altaf Qadri/AP/picture-alliance

खेत में ट्रैक्टर चलाने वाले किसान अपने आंदोलन को चलाते-चलाते हाईटेक हो चले हैं. पिछले 40 दिनों से आंदोलन कर रहे किसानों ने इस दौरान हर तरह के आरोप झेले. सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक सात दौर की बातचीत हो चुकी है. तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग कर रहे किसानों के पास एक अहम सहयोगी-ट्विटर हैंडल है, जो दुनिया भर में फैले उनके समर्थक चला रहे हैं.

किसान आंदोलन के कारण दिल्ली की सीमाओं के पास ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह ठप हुई पड़ी है. आंदोलन कर रहे अधिकतर किसान सिख धर्म से संबंध रखते हैं. उनका कहना है कि वे ट्विटर पर भी आंदोलन चला रहे हैं और बीजेपी के आरोपों को बेबुनियाद साबित करने की कोशिश रहे हैं. बीजेपी कुछ लोगों पर अलगाववादी होने का आरोप लगाती है जबकि आंदोलनकारी इसको खारिज करते आए हैं.

ट्विटर पर आंदोलन

पंजाब के लुधियाना के भवजीत सिंह नवंबर के समय में उस वक्त ऊर्जावान हो गए जब उन्होंने देखा कि कैसे किसानो पर ऑनलाइन हमले हो रहे हैं. नवंबर के आखिर में उन्होंने कुछ दोस्तों और आईटी के जानकारों के साथ @Tractor2twitr ट्विटर अकाउंट की शुरुआत की. इसके बाद दिसंबर महीने में वे दिल्ली-हरियाणा सीमा पर धरने में शामिल हो गए. भवजीत अपने साथ दो स्मार्टफोन भी लेकर आए.

भवजीत कहते हैं, "हम अपने अभियान को और तेज करेंगे क्योंकि हम संगठित हो रहे हैं और हमें अब अधिक समर्थन मिल रहा है." भवजीत आगे कहते हैं,  "हमारा संदेश सही दिशा में जा रहा है." इस ट्विटर हैंडल के 23,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं और यह हर दिन एक नया हैशटैग चलाते हैं. 13,000 किलोमीटर दूर ह्यूस्टन में बलजिंदर सिंह, इस ट्विटर हैंडल के कोर ग्रुप के सदस्य हैं, जो हैंडल को चलने में मदद करते हैं. बलजिंदर सिंह कहते हैं कि बीजेपी "हम लोगों को निशाना बना रही थी और हमें लगा कि पलटवार करना चाहिए. हम सभी किसानों के बेटे-बेटी हैं." किसान एकता मोर्चा ने हाल के दिनों में ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब, व्हॉट्सऐप और स्नैपचैट पर भी अकाउंट खोल लिया है.

बीजेपी के प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा कहते हैं कि उन्हें ऐसा लगता है कि कुछ लोग इस आंदोलन को हाईजैक करने की कोशिश कर रहे हैं.

आंदोलन स्थलों पर हर रोज सैकड़ों लोग मदद लेकर पहुंचते है. दिल्ली की सीमाओं पर कुछ संगठनों ने पानी से बचने के लिए टेंट लगाए हैं तो वहीं सुबह से लेकर रात तक वहां भोजन की व्यवस्था भी है.

एए/सीके (रॉयटर्स)

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