मुलायम के घर में झगड़ा ऐसे शुरू हुआ
१६ सितम्बर २०१६ये झगड़ा भले ही हाल के दिनों में खुल कर सबके सामने आया हो, लेकिन इसकी चिंगारी कई महीनों से सुलग रही थी. एक नजर डालते हैं इस पूरे घटनाक्रम पर:
दिसंबर 2015: मुलायम सिंह यादव के परिवार में पहली बार तनाव दिखा जब उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार के तीन अहम मंत्रियों को हटा दिया. इसके बाद अखिलेश मुलायम के गृह नगर सैफई में होने वाले सैफई महोत्सव नहीं गए. अखिलेश के विरोध के बाद तीनों मंत्रियों आनंद बहादुरिया, सुनील यादव साजन और सुबोध यादव को वापस मंत्रिमंडल में लिया गया.
मार्च 2016: अमर सिंह की समाजवादी पार्टी में फिर से एंट्री हुई. शिवपाल यादव ने इसका समर्थन किया जबकि अखिलेश यादव और मुलायम के चचेरे भाई और राज्यसभा में पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने इसका विरोध किया.
जून 2016: शिवपाल यादव ने बड़ी मेहनत करके मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल के साथ गठबंधन किया. कौमी एकता दल का अगस्त में समाजवादी पार्टी में विलय भी होना था, लेकिन अखिलेश ने इसका विरोध किया और मामला अधर में लटक गया.
जुलाई 2016: शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी छोड़ने की धमकी दी. मुलायम सिंह ने मामले में हस्तक्षेप किया और उन्हें शांत किया.
अगस्त 2016: शिवपाल यादव कौमी एकता दल के विलय के मुद्दे पर डटे रहे. उन्होंने मुलायम को भी मना लिया लेकिन अखिलेश नहीं माने.
11 सितंबर 2011: अखिलेश यादव ने भ्रष्टाचार के आरोपों में गायत्री प्रजापति और राज किशोर को मंत्रिमंडल से हटा दिया, लेकिन मुलायम और शिवपाल ने इसका विरोध किया. इसी दिन अमर सिंह ने एक पार्टी दी जिसमें अखिलेश नहीं गए लेकिन उनके मुख्य सचिव दीपक सिंघल इसमें शामिल हुए. बताया जाता है कि इस पार्टी में दीपक सिंघल ने सरकार और समाजवादी पार्टी में अखिलेश की स्थिति का मजाक उड़ाया.
12 सितंबर: अखिलेश यादव ने दीपक सिंघल को हटा दिया जिससे शिवपाल और नाराज हो गए.
13 सितंबर: मुलायम सिंह यादव पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष पद से अखिलेश यादव को हटा दिया और उनकी जगह शिवपाल यादव को नियुक्त कर दिया. उसी दिन शाम को अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव से तीन अहम मंत्रालय छीन लिए.
15 सितंबर: शिवपाल यादव ने दिल्ली में मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की और कहा कि वह उनके लिए हर कुरबानी देने को तैयार हैं. उसी दिन शाम और देर रात तक शिवपाल की लखनऊ में मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के साथ बैठक हुई. रात 10 बजे शिवपाल सिंह, उनकी पत्नी और बेटे ने समाजवादी पार्टी और उत्तर प्रदेश सरकार में सभी पदों से इस्तीफा दे दिया.
16 सितंबर: अखिलेश यादव ने कहा कि उन्होंने और उनके पिता ने फैसला किया है कि पार्टी और सरकार से बाहरी लोगों को दूर रखना है. जब उनसे पूछा गया कि कितने बाहरी लोग है तो उन्होंने एक कहा, एक भी हो सकता है. माना जाता है कि उनका इशारा अमर सिंह की तरफ था.
17 सितंबर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपना फैसला बदलते हुए अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को उनसे लिए गए सारे विभाग वापस देने और बर्खास्त खनन मंत्री गायत्री प्रजापति को फिर से मंत्रिमंडल में शामिल करने का निर्णय लिया.
23 अक्टूबर: मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिवपाल को बर्खास्त किया. पर्यटन मंत्री ओम प्रकाश सिंह, खादी मंत्री नारद राय व मंत्री शादाब फातिमा को भी बर्खास्त कर दिया. इन सभी को अमर सिंह का करीबी माना जाता है.
23 अक्टूबर: अखिलेश यादव के करीबी समझे जाने वाले और लंबे समय से राज्यसभा में पार्टी का चेहरा रहे रामगोपाल यादव को छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया.
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