उत्तरी गुजरात से ताल्लुक रखने वाले वाघरी जनजाति के लोग इस्तेमाल की हुई चीजों को दोबारा इस्तेमाल लायक बनाकर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं. ये पुराने कपड़ों के बदले नए बर्तन, प्लास्टिक के डब्बे या नकदी देते हैं. रीयूज का ये मॉडल अनोखा है. पर्यावरण और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे वाघरी लोगों को लंबे समय से भेदभाव का शिकार होना पड़ रहा है.