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यूक्रेन को क्लस्टर बम देने पर कई यूरोपीय देशों को आपत्ति

९ जुलाई २०२३

अमेरिका ने यूक्रेन को क्लस्टर बम देने की घोषणा करके नई बहस छेड़ दी है. रूस के अलावा कई ऐसे देशों ने भी इस फैसले की आलोचना की है, जो यूक्रेन का साथ दे रहे हैं.

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कल्स्टर बम की वजह से अकसर आम लोग निशाना बनते हैं
कल्स्टर बम में सैकड़ों छोटे छोटे बम होते हैं तस्वीर: MOHAMMED ZAATARI/AP/picture alliance

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को क्लस्टर बम देने का बचाव किया है और इसे "कठिन फैसला" बताया है. लिथुएनिया में नाटो की अहम बैठक से ठीक पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस फैसले पर मुहर लगाई है. इस फैसले पर बैठक में भी सवाल उठेंगे. यूरोपीय सहयोगी देश एक बार जरूर पूछेंगे कि आखिर जिस विवादित हथियार को 100 से ज्यादा देशों ने खारिज किया है, उसे यूक्रेन को देने का फैसला क्यों किया गया. बमों के इस्तेमाल में आम नागरिकों की मौत का इतिहास रहा है और यही कारण है कि नाटो में शामिल देशों में भी दो-तिहाई से ज्यादा ने क्लस्टर बमों पर प्रतिबंध लगा रखा है.

यूक्रेन की तरफ से यह मांग काफी दिनों से थी और उसने वचन दिया है कि इनका इस्तेमाल रूसी जमीन पर नहीं होगा. वह इन्हें सिर्फ अपने इलाकों में घुस आए रूसी लोगों को वहां से हटाने के लिए ही इनका इस्तेमाल करेगा. खासतौर से शहरी इलाकों में इन बमों का इस्तेमाल नहीं करने का यूक्रेन ने अमेरिका को लिखित रूप से भरोसा दिया है.

जो बाइडेन ने अमेरिकी समाचार चैनल सीएनएन को दिए इंटरव्यू में कहा है, "ऐसा करने के लिए खुद को तैयार करने में मुझे थोड़ा वक्त लगा." बाइडेन का कहना है कि गोला-बारूद देने पर रक्षा विभाग की सलाह और सहयोगियों से संसद में चर्चा करने के बाद वह इस नतीजे पर पहुंचे. बाइडेन ने कहा, "यूक्रेनी लोगों के पास गोला-बारूद खत्म हो रहा है" और क्लस्टर बम आगे बढ़ते रूसी टैंकों को अस्थायी रूप से रोकने में मददगार होगा.

रूस ने यूक्रेन युद्ध में क्लस्टर बमों का खूब इस्तेमाल किया है
यूक्रेन के चेर्निहिव में बच्चों के इस अस्पताल पर रूस ने क्लस्टर बम का इस्तेमाल किया थातस्वीर: Andre Luis Alves/AA/picture alliance

बाइडेन के फैसले पर अमेरिकी सांसद भी बंटे हुए है. एक तरफ जहां डेमोक्रैटिक पार्टी के कुछ सांसदों ने इसका विरोध किया है, तो दूसरी तरफ विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी के कुछ सांसद इसका समर्थन कर रहे हैं. अमेरिका में इस मुद्दे पर कई महीने से बहस चल रही थी. क्लस्टर बम अमेरिका की तरफ से 80 करोड़ डॉलर के उस नये सैन्य सहायता पैकेज का हिस्सा है, जो यूक्रेन को भेजा जायेगा. शुक्रवार को घोषित इस पैकेज में बख्तरबंद गाड़ियां, कई तरह के गोला-बारूद जैसे कि होवित्जर के गोले और रॉकेट सिस्टम शामिल हैं.

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इस कदम का स्वागत करते हुए बाइडेन के प्रति आभार जताया है. जेलेंस्की ने ट्विटर पर इसे, "एक समय पर, विस्तृत और बेहद जरूरी सुरक्षा पैकेज" बताया है, जो "यूक्रेन को दुश्मन पर जीत और तानाशाही पर लोकतंत्र की जीत के करीब लाएगा."

यूरोप में फैसले की आलोचना

रूस के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के इस फैसले पर सख्त नाराजगी जताई है. हालांकि, रूस खुद इन बमों का इस युद्ध में बार-बार इस्तेमाल करता आया है. रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया साखारोवा ने कहा है, "यह कदम अमेरिका के आक्रामक रूस-विरोधी रुख का एक और साफ रहस्योद्घाटन है, जिसका मकसद यूक्रेन में संघर्ष को ज्यादा से ज्यादा लंबा खींचना है." साखारोवा का कहना है कि क्लस्टर बम और ज्यादा आम लोगों को मारेंगे.

साखारोवा ने यह भी कहा कि इन हथियारों को देने के मंजूरी अमेरिका की हताशा दिखाते हैं. साथ ही, यूक्रेन की कोशिशों की नाकामी भी. साखारोवा ने यूक्रेन के उस वादे को भी खारिज किया कि इनका इस्तेमाल सिर्फ सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के लिए होगा.

यूरोपीय देशों में स्पेन ने भी बम देने के फैसले की आलोचना की है. वह क्लस्टर बमों के खिलाफ कन्वेंशन में शामिल है. स्पेन की रक्षा मंत्री मार्गरीटा रोबल्स ने मैड्रिड में कहा, "स्पेन की यूक्रेन के साथ पूरी प्रतिबद्धता है, लेकिन साथ ही इस बात के प्रति भी कि कुछ हथियार और बम किसी भी हाल में नहीं दिये जाने चाहिए."

ब्रिटेन का कहना है कि वह उस समझौते में शामिल है, जो क्लस्टर बमों के उपयोग को "हतोत्साहित" करता है. प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने पत्रकारों से कहा, "हम रूस के अवैध और बिना उकसावे के किये हमले के खिलाफ यूक्रेन का साथ देते रहेंगे. हालांकि, हमने यह काम भारी युद्धक तोप और हाल ही में लंबी दूरी के हथियार के रूप में किया है और हमें उम्मीद है कि सारे देश यूक्रेन की मदद करते रहेंगे."

जर्मनी भी उन देशों में शामिल है, जहां क्लस्टर बमों पर प्रतिबंध है. जर्मनी का कहना है कि वह यूक्रेन को ऐसे बम नहीं देगा, लेकिन उसने यह भी कहा है कि वह अमेरिका की स्थिति को समझता है. जर्मन सरकार के प्रवक्ता ने कहा है, "हम इस बात के लिए निश्चिंत हैं कि अमेरिकी दोस्तों ने इस तरह के गोला-बारूद की सप्लाई का फैसला हल्के में नहीं लिया होगा. हमें यह याद रखना होगा कि रूस पहले ही बड़े पैमाने पर क्लस्टर बमों का इस्तेमाल कर चुका है."

रुसी सेना यूक्रेन में भी क्लस्टर बम का इस्तेमाल कर रही है
सीरिया में रूसी सेना की ओर से दागे गये क्लस्टर बम (फाइल)तस्वीर: Ibrahim Hatib/AA/picture alliance

क्या है क्लस्टर बम

क्लस्टर बम ऐसे बम होते हैं, जिन्हें दागे जाने पर इनके अंदर से कई सारे छोटे-छोटे बम निकलते हैं. अमेरिका का कहना है कि मोर्चे पर रूसी फौजों को आगे बढ़ने से रोकने और उन्हें पीछे धकेलने में यूक्रेन को क्लस्टर बमों से मदद मिलेगी. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलीवान ने कहा है कि अमेरिका क्लस्टर बमों के ऐसे संस्करण भेजेगा, जिनकी "डूड रेट" बहुत कम होगी. इसका मतलब है कि इसमें ऐसे छोटे-छोटे बम बहुत कम निकलेंगे, जो फटेंगे नहीं. न फटने वाले बम अक्सर युद्ध क्षेत्र में बिखर जाते हैं और ऐसे लोगों की जान के दुश्मन बनते हैं, जो निशाने पर नहीं होते. अमेरिका ने कहा है कि हजारों क्लस्टर बम दिये जाएंगे, लेकिन ठीक-ठीक संख्या नहीं बताई है.

इन बमों का 1998 से 2020 के बीच पांच बार परीक्षण किया गया है और अमेरिका का दावा है कि इनका डूड रेट 2.35 प्रतिशत से नीचे रहेगा. अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस कमेटी के मुताबिक कुछ क्लस्टर बमों का डूड रेट 40 प्रतिशत तक होता है. यानी उनमें ऐसे बमों की संख्या बहुत ज्यादा होती है, जो दागते वक्त फटते नहीं हैं.

इन बमों का इस्तेमाल न करने के कन्वेंशन पर 120 देशों ने सहमति जताई है. इन देशों में इन्हें बनाने, किसी को सौंपने या जमा करने पर रोक है. अमेरिका, रूस और यूक्रेन ने इन देशों में शामिल नहीं हैं.

अमेरिका ने 2003 में इराक पर हमले के दौरान बड़ी संख्या में क्लस्टर बमों का इस्तेमाल किया था. अमेरिका ने अफगानिस्तान में भी इन बमों का जमकर इस्तेमाल किया. ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक अफगानिस्तान पर हमले के पहले तीन सालों में अमेरिका ने 1,500 से ज्यादा क्लस्टर बम बरसाये थे.

एनआर/वीएस (एपी, डीपीए, एएफपी)