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शपथ से पहले ही 'इंडिया आउट' करने में जुटे मालदीव के नये नेता

विवेक कुमार
२३ अक्टूबर २०२३

पिछले महीने ही मालदीव के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने वाले मोहम्मद मुईज भारतीय सेनाओं की अपने देश से वापसी चाहते हैं. बीबीसी को दिये इंटरव्यू में मुईज ने खरे शब्दों में कहा कि वह इस काम में किसी तरह की देरी नहीं चाहते.

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मालदीव के नये राष्ट्रपति मोहम्मद मुईज
मालदीव के नये राष्ट्रपति मोहम्मद मुईज चीन के समर्थक माने जाते हैंतस्वीर: Mohamed Afrah/AFP

बीबीसी को दिये एक इंटरव्यू में मालदीव के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डॉ. मुईज ने कहा, "हम मालदीव की मिट्टी पर किसी विदेशी सेना के पांव नहीं चाहते. मैंने मालदीव के लोगों से यह वादा किया था और पहले दिन से मैं अपना वादा निभाना चाहता हूं.”

इसी महीने की शुरुआत में मुईज ने राष्ट्रपति चुनाव का जीता था. जीत के बाद अपने समर्थकों को संबोधन में उन्होंने कहा था कि वह मालदीव के लोगों की मर्जी के खिलाफ विदेशी सेना की मौजूदगी जारी नहीं रख सकते. 45 साल के मुईज ने कहा, "लोगों ने हमसे कह दिया है कि वे यहां विदेशी सेना नहीं चाहते हैं."

सिर्फ 75 सैनिकों पर विवाद

मालदीव में भारतीय सेना की एक टुकड़ी तैनात है जिनके पास कुछ टोही विमान हैं. हिंद महासागर की निगरानी के लिए तैनात इस टुकड़ी में करीब 75 सैनिक हैं.

पिछले करीब दो साल से मालदीव में भारतीय सेना की मौजूदगी का विरोध लगातार बढ़ा है. नवंबर 2021 में मालदीव के फुनादू द्वीप पर एक स्कूल की दीवार पर ‘इंडिया आउट' लिखा मिला था. ये दो शब्द ‘इंडिया आउट' एक अभियान बन गया था, जिसने भारत और मालदीव के संबंधों को बड़ा नुकसान पहुंचाया.

इस अभियान का नेतृत्व पहले ‘प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम)' के नेता और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन कर रहे थे जिन्हें चीन का करीबी माना जाता है. 2018 में वह चुनाव हार गए थे. बाद में उन्हें हवालेबाजी और एक अरब डॉलर के सरकारी धन का दुरुपयोग करने का दोषी पाया गया. इसके लिए 2019 में यामीन को पांच साल की सजा हुई थी. कोविड-19 के कारण उनकी जेल की सजा को घर में नजरबंदी में तब्दील कर दिया गया.

मालदीव में 29 हजार भारतीय

मालदीव में लगभग 29 हजार भारतीय रहते हैं और पहले ‘इंडिया आउट' अभियान व अब चीन समर्थक माने जाने वाले डॉ. मुईज की जीत से उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता है.

इंडिया आउट के समर्थक मानते हैं कि अपनी सेना की मौजूदगी के जरिये भारत उनके देश के अंदरूनी मामलों में दखल दे रहा है, जिससे मालदीव की संप्रभुता प्रभावित हो रही है. दरअसल, ‘इंडिया आउट' के रूप में वे भारतीय सेना को मालदीव से बाहर करने की मांग कर रहे हैं. भारतीय नौसेना का एक डोर्नियर विमान और दो हेलीकॉप्टर मालदीव में तैनात हैं जो यहां-वहां फैले 200 छोटे द्वीपों से मुख्यतया मरीजों को इलाज के लिए अस्पतालों तक पहुंचाने का काम करते हैं.

इसके अलावा ये विमान मालदीव के विशाल इकोनॉमिक जोन को अवैध मछली पकड़ने से भी बचाने के लिए इस्तेमाल होते हैं. लेकिन विपक्षी नेताओं का कहना है कि विदेशी सेना की मौजूदगी मालदीव की संप्रभुता का अपमान है. मालदीव में शोध कर चुके ऑस्ट्रेलिया स्थित नेशनल सिक्यॉरिटी कॉलेज में सीनियर रिसर्च फेलो डॉ. डेविड ब्रूस्टर कहते हैं विपक्षियों की ये चिंताएं जायज नहीं हैं.

पूर्व में डीडब्ल्यू से बातचीत में डॉ. ब्रूस्टर ने कहा, "किसी भी छोटे देश के लिए इस तरह की चिंताएं कुछ हद तक समझी जा सकती हैं क्योंकि उन्हें बड़े देशों के साथ संबंधों में संतुलन बनाकर चलना होता है. लेकिन इस मामले में चिंताएं व्यावहारिक नहीं हैं. मालदीव में भारतीय नौसेना और तटरक्षकों की मौजूदगी मामूली है. वे मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स के तहत काम करते हैं और उनका मुख्य काम एक विमान और दो हेलीकॉप्टरों को छोटे द्वीपों से मरीजों को इलाज के लिए अस्पतालों तक पहुंचाने में इस्तेमाल करने के लिए सहयोग देना है.”

भारत की चिंताएं

मालदीव भारत के लिए हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ठिकाना है. यह छोटा देश सार्क का भी सदस्य है और खाड़ी देशों से ऊर्जा संसाधनों की सारी सप्लाई इसी के आसपास से होकर गुजरती है. इसलिए अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश मालदीव को खासी अहमियत देते हैं.

लेकिन डॉ. मुईज की जीत भारत के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई है. बीबीसी को दिये इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अपनी जीत के कुछ ही दिन बाद वह भारतीय राजदूत से मिले थे और उन्होंने "बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा कि हर भारतीय सैनिक को हटना होगा."

डॉ. मुईज नवंबर में राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. उन्होंने इब्राहिम मोहम्मद सालेह को हराया है जो भारत समर्थक माने जाते हैं और 2018 से देश के राष्ट्रपति थे. मुईज ने सालेह की ‘पहले भारत‘ की नीति के खिलाफ चुनाव लड़ा था और इस नीति को मालदीव की सुरक्षा व संप्रभुता के लिए खतरा बताया था.

मुईज का गठबंधन चीन के साथ करीबी संबंध बनाने का समर्थक है. चीन ने देश में अरबों डॉलर का निवेश किया है. लेकिन भारत भी मालदीव की मदद करता रहा है. उसने विकास परियोजनाओं के लिए दो अरब डॉलर की मदद दी है.

मुईज का कहना है कि भारतीय सेना की मौजूदगी इसलिए मालदीव के लिए खतरनाक है क्योंकि दक्षिण एशिया में चीन और भारत के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं. उन्होंने कहा, "मालदीव इतना बड़ा देश नहीं है कि दो महाशक्तियों के आपसी झगड़े के बीच में उलझ सके. हम इसमें नहीं पड़ेंगे.”

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