पेड़ों से जुड़ी अद्भुत परंपराओं की दुनिया
दुनिया की बहुत सारी संस्कृतियों में पेड़ों की पूजा की जाती है. अक्सर ये प्रतीकात्मक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. इनके सम्मान में हर साल 25 अप्रैल को आर्बर डे मनाया जाता है.
जीवन के प्रतीक पेड़
धरती पर जीवन की शुरुआत शिशु रूप में होती है. यह बीज छोटे से अंकुर से भव्य पेड़ का रूप लेगा, जो सैकड़ों वर्ष तक जीवित रह सकता है. कुछ अन्य प्रजातियां भी हैं, जो सदियों तक जीवित रह सकती हैं. अपनी लंबी आयु की वजह से पेड़ जीवन और विकास के प्रतीक हैं. जर्मनी में माता-पिता अक्सर अपने बच्चों के लिए एक पेड़ लगाते हैं, जो ज्यादातर फल देने वाले पेड़ होते हैं.
वर्ल्ड ट्री यिद्रासिल
स्कैंडिनेवियाई पौराणिक कथाओं में यह पवित्र पेड़ दुनिया का केंद्र है. यह स्वर्ग, धरती और पाताल को साथ जोड़ता है. इसका मुकुट देवताओं का घर है. इसकी जड़ें ड्रैगन और सांपों का घर हैं. यह सदाबहार है और निरंतर जीवन और मृत्यु के चक्र में है. इस तरह यिद्रासिल दुनिया को सनातन संतुलन में रखता है.
रोमांटिक पेड़
जर्मनी में रोमांटिक युग के चित्रकार कास्पर डेविड फ्रीडरिष ने 1822 में यह चित्र बनाया था, जिसमें पुराना ओक किसी स्मारक की तरह पेंटिंग के बीच में खड़ा है. ध्यान से देखने पर ही लोगों को एक चरवाहा नजर आता है, जो इसके विशाल तने से टिककर खड़ा है और पेड़ों को देख रहा है. वर्ल्ड ट्री की तरह ही ओक का पेड़ भी दो तरह की दुनिया, स्वर्ग और धरती को जोड़ता है. यह ताकत का प्रतीक है और इसका मृत मुकुट भंगुरता का.
फॉन गॉ के रंग-बिरंगे पेड़
विंसेंट फॉन गॉ की 'फ्लॉवरिंग ऑर्चर्ड्स' सीरीज विशुद्ध जीवन का संदेश देती है. नीदरलैंड्स के चित्रकार फॉन गॉ दक्षिणी फ्रांस के प्रोवेंस इलाके से इतना प्रभावित हुए कि वहीं बस गए. उस दौरान उन्होंने करीब 190 चित्र बनाए. इनमें से ज्यादातर लैंडस्केप थे, जिनमें रोशनी और रंगों का उत्सव मनाया गया. उन्होंने अपने मशहूर चित्रों में सूरजमुखी, सुनहरे पीले खेत और फलों से लदे पेड़ों को रचा है.
ज्ञान का मोहक वृक्ष
बाइबिल में 'पहले पाप' की मशहूर कथा के केंद्र में एक पेड़ है. कहानी है कि एडम और ईव स्वर्ग में खुशी से रहते थे. फिर एक सांप ने ईव को ज्ञान के पेड़ से वह फल खाने के लिए उकसाया, जिसे खाने की मनाही थी. फिर ईश्वर ने उन्हें स्वर्ग से निष्कासित कर दिया. हालांकि, मूल लैटिन बाइबिल में सेब का जिक्र नहीं किया गया है, बल्कि सिर्फ 'निषिद्ध सेब' की बात की गई है, लेकिन इसके तमाम चित्रों में सेब ही दिखाया गया है.
बैंक्सी का ग्रफीटी पेड़
स्ट्रीट आर्टिस्ट बैंक्सी ने लंदन में बुरी तरह से कांट-छांटे गए पेड़ में से एक को फिर से जीवंत करने के लिए उसके पीछे दिख रही सफेद दीवार को हरे रंग से रंग दिया. हालांकि, यह कलाकृति ज्यादा दिनों तक अस्तित्व में रह नहीं पाई, क्योंकि कुछ उपद्रवियों ने हरे रंग की कलाकृति पर सफेद रंग डाल दिया. वैसे इस पेड़ पर जल्द ही असली कोंपलें फूटने लगेंगी.
उपचार करने वाले पेड़
वसंत में जब जंगल फिर से हरा-भरा होने लगता है, वह 'शिनरिन-योकू' के लिए सबसे अच्छा समय है. इस जापानी शब्द का मतलब 'वन-स्नान' होता है. यह पेड़ों की उपचार करने की क्षमता पर निर्भर रहता है और लोगों को प्रकृति से जोड़ता है. जापान में तो वन-चिकित्सा को आधिकारिक चिकित्सा प्रणाली तक माना गया है. जंगल में टहलने वाले लोग जानते हैं कि पेड़ों के निकट रहना कितना फायदेमंद हो सकता है.
लकड़ी की वास्तुकला का पुनरुद्धार
जंगल के पेड़ भले लकड़ी बन गए हों, लेकिन लोगों के काम तो ये तब भी आते हैं. आजकल लकड़ी से बहुत सारे निर्माण किए जा रहे हैं. ब्रसेल्स में माल ढुलाई के स्टेशन रहे गेर मैरिटाइम को आंखों को सुंदर दिखने वाली जगह में बदल दिया गया है. यह घर के भीतर बने घर जैसा दिखता है. अब यह किसी कस्बे जैसा बन गया है, जहां स्टोर, दफ्तर और उद्यान हैं.
लकड़ी के लैंडमार्क
स्पेन के सेविए में लकड़ी के बने बड़े से ढांचे को 'प्लाजा दे ला एन्कार्नेसियॉं' कहते हैं. इस ढांचे का नाम मेट्रोपोल पारासोल है, जो रात में रोशनी से नहा उठता है. इसका आकार छाते, मशरूम और पेड़ों की याद दिलाता है. करीब 150 मीटर लंबा, 70 मीटर चौड़ा और 26 मीटर ऊंचा मेट्रोपोल पारासोल दुनिया में लकड़ी से बनी सबसे बड़ी संरचनाओं में से एक है.
जंगल वाले टावर या टावरों वाले जंगल
मिलान में 2014 में दो टावरों का निर्माण शुरू हुआ. इन्हें नाम मिला बोस्को वर्टिकाले यानी लंबा खड़ा जंगल. इनमें पेड़ और झाड़ियां लगाई गई हैं. कुछ बालकनियां तो बिल्कुल छोटे जंगलों जैसी लगती हैं. इन्हें इस तरह सजाया गया है कि कुछ बड़े पेड़ तो तीन मंजिल तक ऊंचे हो सकते हैं. शहरों के माइक्रो-क्लामेट और रहन-सहन पर इन पेड़ों का सकारात्मक असर हो सकता है.
सिंगापुर के सुपरट्री
सिंगापुर के 'गार्डन्स बाइ द बे' में आपको ये सुपरट्री देखने को मिलेंगे, जो 25 से 50 मीटर ऊंचे होते हैं. यह बारिश का पानी इकट्ठा करते हैं, सौर ऊर्जा पैदा करते हैं और पार्क में ग्रीनहाउसों के लिए वेंटिलेशन का काम करते हैं. सिंगापुर जाने वाले पर्यटकों के बीच ये जंगल बहुत ही लोकप्रिय हैं.
मेपोल: पेड़ों की परंपरा
अप्रैल के आखिर में जर्मनी, ऑस्ट्रिया और साथ ही आसपास के कुछ देशों में 20 से 40 मीटर ऊंचा मेपोल खड़े किए जाते हैं. इन्हें अक्सर रंग-बिरंगी चीजों से सजाया जाता है. अमूमन इन्हें तैयार करने में पूरे के पूरे समुदाय मदद करते हैं. इनके तैयार होने पर बीयर और ब्रांस बैंड म्यूजिक के साथ जश्न मनाया जाता है.
क्रिसमस ट्री
एक और मशहूर पारंपरिक पेड़ है क्रिसमस ट्री. इसे सिल्वर फिर या नॉर्डमान फिर भी कहा जाता है. यूरोप में इसे सजाने की पंरपरा 16वीं सदी से चली आ रही है, लेकिन अब तो दुनिया के कई देशों में क्रिसमस पर इन्हें सजाया जाता है. हालांकि, क्रिसमस की छुट्टियां खत्म होने के बाद लोग इन्हें फेंक भी देते हैं. वैसे कुछ जगहों पर इन्हें चिड़ियाघरों में हाथियों को खाने के लिए भी दे दिया जाता है.
अंतिम ठिकाने बनते पेड़
बहुत सारे लोग पर्यावरण सम्मत अंत्येष्टि में दिलचस्पी रखते हैं. इसीलिए कुछ जगहों पर जंगलों में कब्रिस्तान हैं, जहां किसी मृत व्यक्ति के अवशेष जंगल में जमीन के नीचे दफनाए जाते हैं. मृतक की याद में निशानियां भी लगाई जाती हैं, ताकि रिश्तेदार अपने संबंधियों को याद कररने वहां आ सकें. वहीं कुछ बिल्कुल गुमनाम वन कब्रिस्तान भी हैं. तो अगर यहां कब्र पर कोई बीज गिर जाए, तो एक नया जीवन पैदा हो सकता है.