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दलित छात्र की मौत पर राजस्थान में तनाव

चारु कार्तिकेय
१६ अगस्त २०२२

राजस्थान में एक अध्यापक के पीटने के बाद नौ साल के एक दलित छात्र की मौत को लेकर तनाव फैला हुआ है. मृतक के परिवार का स्पष्ट आरोप है कि इस घटना के पीछे जाति आधारित दुर्भावना ही है.

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Indien Gruppenvergewaltigung und Ermordung an Dalit-Frauen Proteste
तस्वीर: Mayank Makhija/NurPhoto/picture alliance

13 अगस्त को जालोर जिले के सुराणा गांव के रहने वाले नौ वर्षीय इंद्र मेघवाल की अहमदाबाद के एक अस्पताल में मौत हो गई थी. इंद्र के परिवार का आरोप है कि उसकी मौत उन चोटों की वजह से हुई जो उसे 20 जुलाई को लगी थीं, जब जालोर के सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में शिक्षक छैल सिंह ने उसकी पिटाई की थी.

इंद्र के पिता देवाराम का आरोप है कि सिंह ने उनके बेटे को इसलिए पीटा था क्योंकि उसने उस घड़े से पानी पी लिया था जिससे सिर्फ सिंह पानी पीते थे. देवाराम के मुताबिक सिंह ने इंद्र को "ऊंची जाति के लिए रखे गए घड़े से पानी पीने के लिए" जातिसूचक गालियां देते हुए इतना मारा की उसके कान से खून आने लगा.

जातिगत भेदभाव

बाद में इंद्र की हालत काफी खराब हो जाने के बाद उसे जालोर, उदयपुर और फिर अहमदाबाद में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. देवाराम ने जातिगत भेदभाव को ही उनके बेटे की मौत का कारण बताते हुए सिंह के खिलाफ पुलिस से शिकायत की, जिसके बाद सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया.

दलित महिलाओं को न्याय में देरी क्यों?

पुलिस ने एफआईआर में सिंह के खिलाफ हत्या और एससी/एसटी अधिनियम के तहत धाराएं लगाईं हैं, लेकिन इसके जातिगत भेदभाव का मामला होने की पुष्टि नहीं की है. पुलिस पर देवाराम के साथ भी मारपीट करने के आरोप लग रहे हैं.

हालांकि खुद राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के कुछ विधायक तक इसे जातिगत भेदभाव का ही मामला बता रहे हैं. 15 अगस्त को कांग्रेस विधायक और राज्य के अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा देवाराम के घर गए और मामले में जातिगत भेदभाव की पुष्टि करते हुए सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की.

कांग्रेस में बवाल

उन्होंने मांग की कि मृतक के परिजनों को 50 लाख रुपये मुआवजा एवं परिवार के दो सदस्यों को सरकारी नौकरी दी जाए⁦, पूरे मामले की पुलिस मुख्यालय के सतर्कता आयोग से जांच कराई जाए, शिक्षक छैल सिंह द्वारा संचालित स्कूल की मान्यता तत्काल रद्द की जाए और उसकी संपत्ति कुर्क करके मुआवजा राशि के रूप में वसूल किया जाए.

राज्य में कांग्रेस के एक और विधायक पानाचंद मेघवाल ने पूरे मामले पर अपना विरोध जताते हुए विधायक पद से ही इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपने त्यागपत्र में लिखा है कि राजस्थान में "दलितों और वंचितों की मटकी से पानी पीने के नाम पर तो कहीं घोड़ी पर चढ़ने और मूंछ रखने पर घोर यातनाएं दे कर मौत के घाट उतारा जा रहा है."

मेघवाल ने यह भी आरोप लगाया, "जांच के नाम पर फाइलों को इधर से उधर घुमा कर न्यायिक प्रक्रिया को अटकाया जा रहा है."

दलितों के खिलाफ अपराध के मामलों में राजस्थान देश में दूसरे नंबर पर है. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2019 में देश में अनुसूचित जातियों के लोगों के खिलाफ अपराध के 45,935 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से राजस्थान में 6,794 मामले दर्ज किए गए.

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