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समाज

रिपोर्ट: क्रूरता से हुई दानिश सिद्दीकी की हत्या

३० जुलाई २०२१

तालिबान ने पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की पहचान की पुष्टि के बाद उनकी "क्रूरता से हत्या" की थी. यह दावा अमेरिकी पत्रिका की एक रिपोर्ट में किया गया है.

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तस्वीर: Mumbairt/CC

भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी अफगान सुरक्षाबलों के साथ पाकिस्तान से सटी अहम सीमा चौकी के पास तालिबान लड़ाकों के साथ संघर्ष को कवर रहे थे. 16 जुलाई 2021 को उनकी हत्या तालिबान ने "क्रूरता से हत्या" की थी, यह दावा अमेरिकी पत्रिका वॉशिंगटन एग्जामिनर ने अपनी रिपोर्ट में किया है.

गुरुवार को अमेरिकी पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक सिद्दीकी अफगानिस्तान में गोलीबारी में फंसकर नहीं मारे गए और ना ही वह इन घटनाओं के दौरान हताहत हुए, बल्कि तालिबान ने उनकी बेरहमी से हत्या कर दी थी.

वॉशिंगटन एग्जामिनर की रिपोर्ट के अनुसार सिद्दीकी ने अफगानिस्तान की राष्ट्रीय सेना की टीम के साथ स्पिन बोलदाक क्षेत्र की यात्रा की, ताकि पाकिस्तान के साथ लगी अहम चौकी पर संघर्ष को कवर किया जा सके.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान तालिबान ने अफगान सेना पर हमला कर दिया. सेना के सदस्य दो टीमों में बंट गए. सिद्दीकी और तीन अफगान सैनिक अन्य सैनिकों से अलग हो गए. हमले के दौरान सिद्दीकी को छर्रे लगे और इसलिए वह तथा उनकी टीम एक स्थानीय मस्जिद में गए, जहां उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया. हालांकि, जैसे ही यह खबर फैली कि एक पत्रकार मस्जिद में है तालिबान ने हमला कर दिया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थानीय जांच सुझाव देती है कि तालिबान ने सिर्फ सिद्दीकी की मौजूदगी के कारण मस्जिद पर हमला किया.

तालिबान की क्रूरता

तालिबान ने जब सिद्दीकी को पकड़ा तब वह जिंदा थे, तालिबान ने सिद्दीकी की पहचान की पुष्टि की और फिर उन्हें और उनके साथ के लोगों को भी मार डाला. सिद्दीकी को बचाने की कोशिश में अफगान कमांडर और उनकी टीम के बाकी सदस्यों की मौत हो गई.

अमेरिकन इंटरप्राइज इंस्टीट्यूट में सीनियर फेलो माइकल रूबीन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, "व्यापक रूप से प्रसारित एक तस्वीर में सिद्दीकी के चेहरे को पहचानने लायक दिखाया गया है, हालांकि मैंने भारत सरकार के एक सूत्र द्वारा मुझे दी गई गई अन्य तस्वीरों और सिद्दीकी के शव के वीडियो की समीक्षा की, जिसमें दिखा कि तालिबान ने सिद्दीकी के सिर पर हमला किया और फिर उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया."

तालिबान जो कहे वही सच!

रूबीन अपनी रिपोर्ट में लिखते हैं, "सिद्दीकी को मारने और फिर उनके शव को क्षत-विक्षत करने का निर्णय दर्शाता है कि तालिबान युद्ध के नियमों या वैश्विक संधियों का सम्मान नहीं करते हैं."

रूबीन कहते हैं कि तालिबान हमेशा से ही क्रूर रहे हैं लेकिन हो सकता है कि सिद्दीकी के भारतीय होने के कारण वे अपनी क्रूरता को एक नए स्तर पर ले गए. वे यह भी संकेत देना चाहते हैं कि पश्चिमी पत्रकारों का उनके नियंत्रण वाले अफगानिस्तान में आना सही नहीं है और वे उम्मीद करते हैं कि तालिबान के प्रचार को सच्चाई के रूप में स्वीकार किया जाएगा.

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