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एक घरेलू महिला की 'तानाशाह' से चुनावी टक्कर

५ अगस्त २०२०

बेलारूस के राष्ट्रपति चुनाव में जीत की दावेदारी पेश करने वाली एक ऐसी महिला है, जो कुछ महीने पहले तक केवल घर और बच्चे संभाल रही थी. किसी फिल्मी कहानी की तरह अपने ब्लॉगर पति के जेल में डाले जाने के कारण चुनाव में खड़ी हुई.

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Swetlana Tichanowskaja
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Gapon

37 साल की स्वेतलाना तिखानोवस्काया ने कभी भी राष्ट्रपति बनने का सपना नहीं देखा था. लेकिन कुछ ही हफ्ते पहले उम्मीदवार के तौर पर नामांकन स्वीकार होने की देर थी और देखते ही देखते वह राजनीतिक दुनिया में एक अनजान व्यक्ति से बेलारूस के सबसे शक्तिशाली नेता को चुनौती देने वाली सबसे प्रबल दावेदार बन कर उभर गईं. उनका मुकाबला छठी बार राष्ट्रपति बनने की कोशिश में लगे आलेक्जेंडर लुकाशेंको से है. 9 अगस्त को होने वाले चुनाव में जीतने के पीछे तिखानोवस्काया का मकसद भी उतना ही असाधारण है जितनी उनकी अचानक चुनावी मैदान में कूदने की कहानी.

स्वेतलाना तिखानोवस्काया के पति यूट्यूब पर ब्लॉगिंग करने वाले एक मशहूर और लोकप्रिय शख्स हैं. वह चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन इससे पहले कि वे उम्मीदवारी के लिए नामांकन भी भर पाते, लुकाशेंको सरकार ने उन्हें जेल में डलवा दिया. कथित तौर पर ऐसा ही देश के कई अन्य कई लोगों के साथ भी किया गया है. अब पति को जेल से निकालने और अपने पूर्व-सोवियत देश के 95 लाख लोगों को सही मायनों में आजादी दिलाने को तिखानोवस्काया अपनी जीत का मकसद बताती हैं. वह कहती हैं, "मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूं इसलिए उन्होंने जो शुरु किया उसे आगे बढ़ाने में लगी हूं. मुझे बेलारूसियों से प्यार है इसलिए उन्हें चुनाव के मौके देना चाहती हूं."

तिखानोवस्काया की चुनावी रैली में दिख रहा है भारी समर्थन.
तिखानोवस्काया की चुनावी रैली में दिख रहा है भारी समर्थन.तस्वीर: picture-alliance/dpa/Sputnik/V. Tolochko

पति की जगह चुनाव मैदान में

पेशे से अंग्रेजी की शिक्षिका रही तिखानोवस्काया ने मई में चुनाव में खड़े होने का फैसला किया. उनके 41 वर्षीय पति सर्गेई तिखानोवस्की को अचानक हिरासत में लिए जाने के कारण वह राष्ट्रपति पद के लिए अपना नामांकन तक नहीं भर पाए थे. लेकिन सबको हैरान करते हुए देश के चुनाव आयोग ने उनकी पत्नी स्वेतलाना तिखानोवस्काया का नामांकन पत्र स्वीकार कर लिया. वहीं इसी आयोग ने ऐसे दो मजबूत उम्मीदवारों का नामांकन रद्द कर दिया जो लुकाशेंको के खिलाफ खड़े होना चाहते थे.

Weißrussland Wahlen Demonstration der Oppsition in Minsk
तीनों महिलाएं पश्चिम में लोकप्रिय हॉलीवुड फिल्म की तर्ज पर "चार्लीज एंजेल्स" कही जा रही हैं.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Grits

तिखानोवस्काया के पति के अलावा दोनों अन्य महिलाओं के पतियों ने राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने का नामांकन भरा था. इस समय देश में विपक्ष के तीन ही चेहरे दिख रहे हैं. इन तीनों महिलाओं के पतियों को लुकाशेंको ने जेल में डलवा दिया है. उनके पति पर सरकार ने आरोप लगाए थे कि वह देश में बड़े स्तर पर अशांति फैलाने और रूसी हत्यारों के साथ मिलीभगत कर रहे थे. इन आरोपों को "बहुत डरावना” बताते हुए उन्होंने अपने दोनों बच्चों को विदेश भेज दिया है ताकि वे सुरक्षित रहें.

स्वेतलाना तिखानोवस्काया के पास कोई राजनीतिक अनुभव ना होने के बावजूद वे बहुत तेजी से देश में विपक्ष का सबसे मजबूत चेहरा बनने में कामयाब रही हैं. हजारों लोग सड़कों पर उतर कर उनकी उम्मीदवारी को समर्थन दे रहे हैं. उन्होंने चुनावी रैलियों में बताया है कि उन्हें धमकियां मिल रही हैं लेकिन फिर भी वह मैदान में हैं. तिखानोवस्काया साफ कहती हैं कि अगर वे जीतती हैं तो अपने पति समेत दूसरे विपक्षी नेताओं को आजाद कराएंगी और फिर नए सिरे से चुनाव करवाएंगी.

26 सालों से अपराजित शासक

राष्ट्रपति लुकाशेंको ने रूस पर बेलारूस में "हत्यारे” भेजने की बात पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि एक हफ्ते पहले ही बेलारूस में गिरफ्तार किए गए 33 रूसी देश में आतंकवाद फैलाने के लिए भेजे गए थे और वे उनके विपक्षी एक्टिविस्टों के साथ मिलकर काम कर रहे थे. 1994 से लगातार सत्ता में बने रहे लुकाशेंको अब भी सत्ता में बने रहने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते दिख रहे हैं.

Bildkombo Alexander Lukaschenko und Swetlana Tichanowskaja
देश की युवा पीढ़ी ने सन 1994 से ही बेलारूस की कमान संभालने वाले लुकाशेंको के अलावा किसी और को देखा ही नहीं हैं.

लुकाशेंको के शासन को अक्सर यूरोप का आखिरी तानाशाही राज भी कहा जाता है लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है. जैसा कि देश के सबसे ताजा चुनाव में भी देखा जा सकता है, जहां विपक्षी उम्मीदवारों को भी चुनावी सभाएं करने, टीवी पर इंटरव्यू देने जैसे तमाम मौके हैं. जनता की अप्रूवल रेटिंग में हमेशा बहुमत में रहने वाले लुकाशेंको का फिर से जीत कर आना लगभग तय माना जा रहा है क्योंकि कई नागरिक यह सोच कर उनका समर्थन करते आए हैं कि पड़ोसी रूस या यूक्रेन के मुकाबले उनके यहां शांति और स्थायित्व बरकरार है भले ही देश की अर्थव्यवस्था बेहाल हो, महंगाई बहुत ज्यादा और मीडिया की आजादी बहुत कम हो.

इधर, जर्मनी के बिल्ड अखबार को दिए एक इंटरव्यू में तिखानोवस्काया ने जर्मन चांसलर मैर्केल के लिए संदेश दिया है कि उन्हें लुकाशेंको से बात करनी चाहिए और कहना चाहिए कि हम लड़ाई नहीं चाहते हैं केवल निष्पक्ष चुनाव चाहते हैं.

आरपी/एए (एएफपी)

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