1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सुप्रीम कोर्ट ने निजी कॉलेज के हिजाब बैन के आदेश पर लगाई रोक

९ अगस्त २०२४

मुंबई के एक कॉलेज ने कैंपस में हिजाब, बुर्का और टोपी पहनने पर रोक लगाई थी. कुछ छात्राओं ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की लेकिन उनकी याचिका खारिज हो गई. अब सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है.

https://p.dw.com/p/4jIiN
दिल्ली में हिजाब पहनने के अधिकार के लिए प्रदर्शन करती एक लड़की
भारत के मुस्लिम समुदाय का एक तबका हिजाब को जरूरी समझता है और इसके बगैर लड़कियों या महिलाओं को घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है.तस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई की और कॉलेज के सर्कुलर पर आंशिक रूप से रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की बेंच ने सुनवाई के दौरान कॉलेज से पूछा है कि क्या आप बिंदी और तिलक लगाकर आने वाली लड़कियों पर भी रोक लगाएंगे. कोर्ट ने सर्कुलर जारी करने वाले एनजी आचार्य एंड डीके मराठे कॉलेज को नोटिस जारी कर 18 नवंबर तक जवाब मांगा है. इस कॉलेज को चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी संचालित करती है.

भारत के अदालती मामलों पर रिपोर्ट करने वाली वेबसाइट लाइव लॉ की खबर के मुताबिक, कॉलेज ने कोर्ट में कहा कि नियम इसलिए लागू किया गया, जिससे स्टूडेंट्स का धर्म उजागर ना हो. सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस खन्ना ने कहा, "ऐसा नियम लागू मत कीजिए. क्या उनके नामों से उनके धर्म के बारे में पता नहीं चलता? उन्हें साथ मिलकर पढ़ने दीजिए." कोर्ट का यह भी कहना था कि धर्म का पता नाम से भी चलता है, तो फिर क्या उन्हें नाम की बजाय नंबर से पुकारा जाएगा? वहीं, जस्टिस संजय कुमार ने सवाल उठाया कि क्या यह लड़की पर निर्भर नहीं करता कि वह क्या पहनना चाहती है. अदालत ने आजादी के इतने सालों बाद कॉलेज में धर्म की बात होने पर भी सवाल उठाया.

 हिजाब पहने आपस में चर्चा करती भारत की दो लड़कियां
हिजाब को लेकर भारत में पहले भी विवाद होता रहा हैतस्वीर: DW

चेहरा ढंकने वाले नकाब पर रोक जारी

कॉलेज ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि चेहरा ढंकने वाले नकाब या बुर्का बातचीत के दौरान बाधा पैदा करते हैं. इस पर कोर्ट ने सहमति जताते हुए कहा कि कक्षा में चेहरा ढंकने वाले नकाब की अनुमति नहीं दी जा सकती. साथ ही कैंपस में धार्मिक गतिविधियां भी नहीं की जा सकती हैं.

कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी को भी इस अंतरिम आदेश का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए. ऐसा होने की स्थिति में कॉलेज प्रशासन कोर्ट से आदेश में बदलाव करने की मांग कर सकता है. भारत के दूसरे राज्यों में भी हिजाब को लेकर काफी विवाद हो चुका है. राजस्थान और कर्नाटक में तो यह मामला कई दिनों तक राजनीतिक हलकों और मीडिया में चर्चा का मुद्दा बना हुआ था. 

राजस्थान में हिजाब पर थम नहीं रहा विवाद

पहले भी हुआ है हिजाब विवाद

दो साल पहले कर्नाटक में भी कॉलेज में हिजाब पहनने पर विवाद हुआ था. इसकी वजह से भारत की राजनीति में भी जब तब उबाल आता है. जनवरी 2022 में उडुपी जिले के एक सरकारी कॉलेज में हिजाब पहनकर आने पर रोक लगाई गई थी. कॉलेज प्रशासन ने कहा था कि वे स्टूडेंट्स के बीच एकरूपता बनाने के लिए ऐसा कर रहे हैं. इसके बाद फरवरी में कर्नाटक सरकार ने आदेश जारी कर कक्षा के अंदर हिजाब पहनने पर रोक लगा दी थी. इस आदेश को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.

कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब बैन करने के आदेश को बरकरार रखा था. कोर्ट ने कहा था कि यह बैन छात्रों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है. इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. वहां जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की दो-सदस्यों वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई की.

सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर, 2022 को इस मामले में विभाजित फैसला सुनाया. यानी इस मुद्दे पर दोनों जजों की राय अलग-अलग थी. जस्टिस हेमंत गुप्ता ने प्रतिबंध के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि यह सभी धर्मों के स्टूडेंट्स पर समान रूप से लागू होता है. वहीं, जस्टिस धूलिया ने इस प्रतिबंध को असंवैधानिक बताया था. उन्होंने कहा था कि यह प्रतिबंध समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है.

विभाजित फैसले के बाद यह तय हुआ था कि मामले को सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच के पास भेजा जाएगा. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक इस मामले के लिए कोई बड़ी बेंच नहीं बनाई गई है.