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स्वास्थ्यदक्षिण अफ्रीका

योनी में पहने जा सकने वाले छल्ले जो एड्स से बचाते हैं

३० नवम्बर २०२३

योनी में पहने जा सकने वाले सिलिकॉन के बने छल्ले एचआईवी से सुरक्षा दे सकते हैं. इन्हें और सस्ता किए जाने की कोशिशें हो रही हैं.

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एचआईवी से बचाने वाला छल्ला
वजाइनल रिंग को पहनने से एचआईवी से सुरक्षा मजबूत होती हैतस्वीर: Andrew Loxley/AP Photo/picture alliance

दक्षिण अफ्रीका की एक कंपनी ने ऐसे छल्ले बनाने का ऐलान किया है जो योनी में पहने जा सकेंगे और एचआईवी वायरस से सुरक्षा दे सकेंगे. जनसंख्या परिषद ने ऐलान किया कि जोहानिसबर्ग की कियारा हेल्थ नामक कंपनी अगले कुछ सालों में ये छल्ले बनाना शुरू कर देगी.

एड्स की रोकथाम के क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि इन छल्लों को सस्ता बनाए जाने की जरूरत होगी.ये छल्ले सिलिकॉन के बने होंगे और कंपनी का कहना है कि हर साल ऐसे करीब दस लाख छल्ले बनाए जा सकेंगे. ये छल्ले योनी में पहने जाते हैं और ऐसे रसायन छोड़ते हैं जो एचाईवी संक्रमण की रोकथाम में मदद करते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अलावा करीब एक दर्जन देश इन छल्लों को मंजूरी दे चुके हैं.

गैरसरकारी जनहित संस्था जनसंख्या परिषद के पास इन छल्लों का पेटेंट है. फिलहाल ये छल्ले स्वीडन की एक कंपनी द्वारा बनाए जाते हैं. अफ्रीका में ऐसे करीब पांच लाख छल्ले उपलब्ध हैं, जिन्हें अफ्रीकी महिलाओं को मुफ्त दिया जाता है.

महिलाओं के लिए विकल्प

यूएन एड्स के प्रवक्ता बेन फिलिप्स ने कहा कि इन छल्लों का फायदा ये है कि महिलाएं इन्हें बिना किसी को बताए और किसी की इजाजत लिए बिना इस्तेमाल कर सकती हैं. उन्होंने कहा, "जिन महिलाओं के साथी कंडोम का इस्तेमाल नहीं करते और उन्हें एचआईवी से बचाने वाली गोलियां नहीं लेने देते, उन्हें एक विकल्प मिल जाता है.”

अफ्रीका में एचआईवी महिलाओं के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक वहां 60 फीसदी नए संक्रमण महिलाओं में ही होते हैं.

सस्ते करने पर जोर

इन छल्लों में डैपीवाइरिन नामक एक दवा होती है, जो एक महीने तक रिसती रहती है. फिलहाल एक छल्ले की कीमत 12 से 16 अमेरिकी डॉलर यानी एक से डेढ़ हजार रुपये के बीच होती है. लेकिन विशेषज्ञ उम्मीद कर रहे हैं कि अगर अफ्रीका में ही इनका बड़े पैमाने पर निर्माण होने लगे तो कीमतों में कमी आएगी.

एचआईवी की दवाई को तरसे मरीज

विशेषज्ञ ऐसे छल्लों के विकास पर भी काम कर रहे हैं जो एक महीने के बजाय तीन महीने तक काम करें. उससे भी औसत कीमत कम हो सकेगी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऐसी महिलाओं के लिए इन छल्लों के इस्तेमाल की सिफारिश की है, जो एचआईवी वायरस के सबसे ज्यादा खतरे में हैं. अफ्रीका के करीब एक दर्जन देश इन छल्लों को मंजूरी दे चुके हैं. इनमें दक्षिण अफ्रीका, बोट्सवाना, मलावी, युगांडा और जिम्बाब्वे शामिल हैं.

इस मंजूरी का आधार दो अध्ययनों को बनाया गया है, जिसका निष्कर्ष था कि इन छल्लों के इस्तेमाल से महिलाओं में एचआईवी संक्रमण का खतरा एक तिहाई तक कम हो सकता है. अन्य अध्ययनों में यह भी कहा गया था कि संक्रमण का खतरा आधा हो जाता है.

वीके/सीके (एपी)

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